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जल्दी सोना जल्दी उठना लाभदायक है -आचार्य श्री ज्ञानसागर जी
दिनांक 4-5-2018 को श्री दिगंबर जैन क्षेत्रपाल मंदिर ललितपुर में प्रातः काल धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा आज व्यक्ति देर से सोता है और देर से उठता है। फल स्वरुप व्यक्ति की बुद्धि भी, स्वास्थ्य भी, धूमिल होता जा रहा है। नीतिकारों ने कहा है, जल्दी सोने वाले और जल्दी उठने वाले अधिक स्वस्थ बुद्धिमान रहते हैं। *अधिक देर तक आप अगर मोबाइल यूज करते हैं तो स्वास्थ्य पर तो दुष्प्रभाव पड़ता ही है, आपकी मानसिक स्थिति पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।*
जल्दी उठने के कई लाभ हैं: जल्दी उठने वाला व्यक्ति अपना समय अच्छी तरह से धार्मिक क्रियाओं में भी दे पाते हैं। घर के काम भी व्यवस्थित कर लेते हैं। *साथ ही ब्रह्म मुहूर्त में उठने से जहां स्वास्थ्य अच्छा प्रभाव पड़ता है वही बुद्धि प्रखर होती है।*
इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि माता-पिता अगर थोड़ी सी सावधानी रखें तो आपकी संतान कभी भी आप से हटकर नहीं जिएंगे।और अगर असावधानी रखोगे तो आपके बच्चे आपके न होकर भौतिकता में डूब जाते हैं। आप अपने बच्चों को चाहते हैं कि बाहर जाकर पढ़ें सर्विस करें, पर वह वहां पर जाकर कितनी परेशानियों से गुजरते हैं यह आपको ज्ञात नहीं है। आप तो मुनीम बनकर रहे हैं, अतः अपने गौरव को घटाएं नहीं। *अपने बच्चों को ऐसे संस्कार दें जिससे वह व्यसनमुक्त जीवन व्यतीत कर सकें।*
आचार्य श्री ने वर्तमान परिवेश को सुधारने की माता पिता को प्रेरणा दी। घर में कैसे आप बच्चों का संरक्षण कर सकते हैं इस ओर ध्यान दें अन्यथा आगे क्या होगा?
कब किसका वक्त बदल जाए कुछ पता नहीं, प्रात:काल जहां जन्म उत्सव की खुशियां मनाई जाती है। वहीं पर शाम को किसी के निधन के क्षणों में रुदन प्रारंभ हो जाता है। एक दिन व्यक्ति गरीबी से जूझता है तो, एक दिन अमीरी का अनुभव करता है। कभी स्वस्थता का अनुभव करता है तो कभी बीमारी से ग्रसित हो जाता है। *चिंता नहीं चिंतन करो आगे क्या होगा ऐसा सोच सोचकर चिंतित मत होओ, जो होगा उसका भी अनुभव करेंगे हमें ऐसी सोच रखनी चाहिए।*
प्रवचन से पूर्व धर्म सभा का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ। 5 मई 2018 आयोजित होने वाली 53वीं करियर काउंसलिंग की जानकारी धर्म सभा में उपस्थित लोगों को दी गई।
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वर्षों पूर्व यहाँ हमारी चातुर्मास हुआ था। उसका स्मरण ताज़ा हो रहा है -आचार्य श्री विद्यासागर जी [ क्या बात कही आचार्य श्री ने..:)
आपकी बहुत सालों से भावना थी, आशीर्वाद की। आज की प्रात:काल की पूर्णिमा के मंगल अवसर पर इंदौर में भी आर्यिका के सानिध्य में शिलान्यास होने जा रहा है। वे लोग यहाँ के शिलान्यास का स्मरण कर रहे हैं। कार्य वहाँ का भी सानंद सम्पन्न हो जाए, आशीर्वाद उनके मिल रहा है। गुरु जी ने संघ को गुरुकुल बनाने का कहा था। यहाँ से धर्म-ध्यान मिलता है। हमें गुरु जी का जो आशीर्वाद मिला है, वरदान मिला है। गुरु जी की की जहाँ पर कृपा होती है, वहाँ पर माँगलिक कार्य होता है। भावों के साथ यहाँ की जनता तपस्या रत थी। भावों के साथ तन-मन-धन के साथ अपने भावों की वर्षा की है। आज पूर्णिमा है, वह भी रविवार को आ गई है। तिथियाँ अतिथियों को बुला लेती है। गुरु जी ने सल्लेखना के समय हमसे कहा था
हमने पूछा था, हमें आगे क्या करना है? उन्होंने कहा था जो होता है, जिसका पुण्य जैसा होता है, उसकी भावना बलवती होती रहती है। यहाँ का कार्य सम्पन्न है। आज हर मांमलिक कार्य, आप लोगों की भावना, उत्साह को देख कर, कार्य को करने को कटिबद्ध हो गए हैं। वैसे काम छोटा लगता है लेकिन काम की गहराई की नाप भी निकाली जाती है, भावों की गहराई भी देखी जाती है। कल पाँच-छ: महाराज जी आ गए हैं, उनका भी समागम हो गया है।
भावों में कभी दरिद्रता नहीं रखी जाना चाहिए। बुन्देलखण्ड बाहर के प्रदेशवालों को प्रेरित करता रहता है। यहाँ के लोगों का समूह ने उदारता के साथ जो धनराशि दी है, यह गौरव का विषय है। जजों कुछ अधुरा है, पूर्ण होने जा रहा है। जैन जगत जागरुक है समर्पित है। करोड़ों रुपए बड़े बाबा के पास आ गए और आते जा रहे हैं। जनता अभी थकी नहीं है। सात्विक भोजन हो रहा है। बच्चों को आगे के जीवन में और अच्छे संस्कार बढ़ाते जाए। सहयोग बहुत दूर से भी मिल रहा है। देव भी उनके चरणों में सहयोग वहाँ देते रहते हैं। उनके चरणों में रहते हैं। जहाँ, दया, धर्म, संस्कार, अहिंसा धर्म की विजय होती है, वे सहयोग में रहते हैं। यहाँ पर आस पास छोटे-छोटे गाँवों में चार-पाँच हज़ार समाज के घर हैं। यहाँ के लोगों ने बीड़ा उठाया है। उत्साह के साथ आए हैं और आवेंगे। अभी मंगलाचरण हुआ है। यहाँ पर प्रतिभा स्थली की पूर्व पीठिका की कार्य स्थली बनी है। सेवा की गतिविधियाँ ब्रह्मचारिणी सम्हालेंगी। अध्ययन के साथ संचालन करेंगी। एकाध महिने का समय बचा है। निवृत्त होकर मंगलाचरण बढ़ावेंगी। इंदौर में शिलान्यास सम्पन्न होकर के तैयार हो रहा है। वे यहाँ पर भी आई हैं। ११० छात्राओं के आवेदन आए हैं। ५४ आवेदनों का चयन हो गया है। यह आँकड़ा ९ का है अखण्ड है। यह संख्या उत्साह का कार्य है। रात-दिन एक कर के अपनी भावनाएँ उँड़ेल कर के कार्य अवश्य तैयार करेंगे। यह सब कुछ गुरुदेव की कृपा से हो रहा है। हम तो बीच में आ कर लाभ ले रहे हैं। मूल स्त्रोत तो गुरु जी ही हैं। हमें फल की इच्छा नहीं है। लेकिन उत्साह गुरु जी से मिलता रहता है। आप अपकी उत्साह, भावना, प्रवृत्ति बढ़ती चली जाए।
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आओ आज हम एक बहुत मज़ेदार और Interesting कहानी सुनते हैं, ये कहानी है एक चोर की, अंजन चोर की जो लोगों की चीज़ें चुराता था.. #Kids_Stories By Jinvaani Team (www.jinvaani.org) #Watch_nd_Share
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today click muni sudhasagar Ji @ Nareli.. #जिज्ञासा_समाधान -मुनि सुधासागर जी:)
मंदिरों पर पूर्ण अधिकार समाज का ही होता है। मंदिर कमेटी के पदों पर बैठने वालों को स्वच्छ, निर्मल, और पारदर्शी और सभी की सहमति से कार्य करने वाला होना चाहिए। मंदिरों में मनमाने ढंग से कार्य करना एकदम गलत है।* यदि कोई उनसे हिसाब मांगता है, तो उन्हें झल्लाना या गुस्सा नहीं करना चाहिए, बल्कि शांति के साथ सभी की समस्या का समाधान करना चाहिए। उन्हें समाज के सेवक रूप में आगे आना चाहिए, ना कि मंदिर के मालिक के रूप में।_
2⃣ _*व्यक्ति के बाहरी वैभव और धन-दौलत को देखकर उसके पुण्य-पाप का निर्णय नहीं करना चाहिए।* धर्म को सांसारिक दृष्टि से नहीं तौला जा सकता। धर्मात्मा के साथ तो सदा ही संकट लगे रहते हैं। सच्चा धर्म तो वही है, जो संसार का नाश करे। संसार बढ़ाने वाला सच्चा धर्म नहीं होता।_
3⃣ _*जब व्यक्ति के बच्चों की शादी हो जाए, तब उसे अपनी उम्र का मध्य भाग जान लेना चाहिए। ऐसे मैं उसे गुरु रूपी लाठी का सहारा लेना जरूरी है और तद्रूप अपनी जिंदगी को ढालना चाहिए।*_
4⃣ _आज चिकित्सा और शिक्षा व्यापार बन गया है। यह कलयुग की बलिहारी है। परन्तु प्रायःकर व्यक्ति हमेशा दूसरे के धंधे के ऊपर ही कमेंट करता है।_
_*आचार्य भगवन हमेशा कहते हैं कि, दूसरे की आलोचना करने की अपेक्षा स्वयं उस मार्ग पर बढ़ कर दिखाएं तो मार्ग बन जाएगा। आप दूसरों के लिए जो बातें करते हो, उन बातों पर स्वयं को भी अमल में लाना चाहिए।*_
5⃣ _*जब भी कोई अशुभ घटना घटती है,तब व्यक्ति निमित्त को ही दोष देता है। जबकि हर बार निमित्त ही दोषी नहीं होता, कभी -कभी व्यक्ति की असावधानी के कारण भी घटनाएं घटित होती हैं।* निमित्त को दोष देना ही हैं तो बुरी बातों में देना चाहिए। धर्म के कारण कभी किसी का बुरा नहीं हो सकता।_
6⃣ _*पंचकल्याणक आदि में जो सौधर्म इंद्र, कुबेर आदि पात्र बनते हैं, उन्हें आहार दान नहीं देना चाहिए। क्योंकि उनमें इंद्र प्रतिष्ठा के माध्यम से देवताओं की स्थापना की गई है। और देवता आहार दान नहीं दे सकते।* ऐसी मेरी व्यक्तिगत धारणा हैं। राजा नाभिराय, राजा श्रेयांस, भरत, बाहुबली आदि जो पात्र बनते हैं वह आहारदान दे सकते हैं, क्योंकि ये मनुष्य होते हैं।_
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_*नोट*- पूज्य गुरुदेव जिज्ञासाओं को समाधान बहुत डिटेल में देते हैं। हम यहाँ मात्र उसका सार ही देते हैं। *किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं।*_
_*📺पूज्य गुरुदेव का जिज्ञासा समाधान कार्यक्रम प्रतिदिन लाइव देखिये - जिनवाणी चैनल पर*_
_*👉🏻सायं 6 बजे से, पुनः प्रसारण अगले दिन दोपहर 2 बजे से*_
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संकलन
*🏵दिलीप जैन, शिवपुरी 🏵*
*9425488836
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दोपहर में 12-4 भीषण गरमी केकारण.. Prevention cruelty of animal act से पशु पर वज़न धोने वाले जानवरो पर समान ले जाना प्रतिबंधित रहेगा @ ग्वालियर #share • #Live_Let_Live
माननीय जिलाधीश ग्वालियर ने मूक पशुओं पर, दया अहिँसा का भाव,दिखाते हुऐ, आदेश पारित किया। बहुत बहुत आभार। सभी माननीय जिलाधिक्षों से विनम्र निवेदन है कि बह भी इस भीषण गर्मी को देखते हुए, इन मूक पशुओं पर दया दिखाते हुए,इस ही आदेश पारित करने की कृपा करें!
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News in Hindi
जैनम जैयतु जिनशासनम! वन्दे विद्यासागरम! Page crossing 80000 Likes now, thankYou all 🙏
आचार्य महाराज प्रायः घण्टों-घण्टों नासा दृष्टि किए हुए, पद्मासन लगाकर ध्यान मुद्रा में मौन बैठे रहते हैं। और यही हम साधकों से भी उपदेश में कहते हैं। सच है इस कलि काल में भी ऐसी साधना करने वाले साधकों के चरणों में अपना मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। इनके दर्शन करने से उन जंगलों में रहने वाले मुनियों की याद आती है कि जैसे गुरुदेव हमेशा शहरों से, नगरों से दूर, एकान्त जंगली इलाके के क्षेत्रों पर जाकर साधना करते हैं, वे मुनिराज भी ऐसा ही करते होंगे। जैसे हमने शास्त्रों में सुना है, पढ़ा है वैसी ही साधु की अदभुत चर्या के दर्शन उनके चरणों में आकर करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। उन्हें देखकर आँखें तृप्त नहीं होतीं। ऐसा लगता है हमेशा उनकी वीतराग छवि के दर्शन करता रहूँ।
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