Update
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*11/07/2018 आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🌈 *अहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना के साथ चेन्नई उपनगरीय यात्रा के तहत पुखराज जी परमार के निवास स्थान - किलपाक से विहार करके Royapettah में विजयकुमार जी गेलड़ा के निवास स्थान, Ellis Road में घर्मीचन्द जी लुंकड़ के निवास स्थान होते हुए मद्रास युनिर्वसिटी में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के जीवन, लेखनी, व्यक्तित्व एवं शिक्षा और जैन दर्शन में उनके योगदान पर व्यख्यान देने पधारेंगे। ततपश्चयात तेरापंथ सभा ट्रस्ट भवन - ट्रिप्लिकेन में पूज्यप्रवर का प्रवास रहेगा..* 🌈
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
*Kamal ji Kunkulor के निवास स्थान पर*
*बंगारपेट*
☎9602007283,9880238255
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी का प्रवास*
*अर्हम भवन*
*विजयनगर, बैगलौर*
☎8085400108,9886766006
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*तेरापथ भवन*
शुशियापुरम, रायापुरम
*तिरुपुर*
☎8107033307,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
*विमल जी सेठीया*
26-34-3 Chaitanya Nagar
Chinagantyada Old Gajuwaka, Visakhapatnam
☎9665000605,
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री प्रशान्त कुमार जी ठाणा २ का प्रवास*
*तेरापथ भवन*
शुशियापुरम, रायापुरम
*तिरुपुर*
☎9629588016,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*मूलचंद जी नहार के निवास स्थान पर*
Bhikshu Kripa
80/9 6th Main B.S.K 1st Stage
*हनुमंतनगर, बेंगलुरु*
☎9901553333,7406150330
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
*इन्द्र जी देवेन्द्र जी नाहटा के निवास स्थान पर*
वेस्टमार्डपल्ली
*सिकन्दराबाद*
☎9959037737,9885043224
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
*प्रवीण जी गोठी के निवास स्थान पर*
*बेल्लारी*
☎6362889726
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
*बालचन्द जी रमेश जी नोलखा के निवास स्थान पर*
*मैसुर*
☎9448023050
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
*विमल जी कटारिया के निवास स्थान पर*
Vaishodevi Enclave
# 459. 12th Main. M.C.Layout Near Vijaynagar Post Office
Vijaynagar. Bengaluru - 40
☎7798028703,962079999
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 10 जुलाई 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 जयपुर (शहर) - तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सेवा कार्य
👉 तिरुप्पुर - तेरापंथ किशोर मंडल का नवगठन
👉 कोटा - अणुव्रत समिति द्वारा नशामुक्ति पर कार्यक्रम
👉 टिटिलागढ - सेल्फ मैनेजमेन्ट एवं टाईम मैनेजमेन्ट पर भव्य कार्यक्रम
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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Update
👉 *आज के अनुपम दृश्य*
🌀 *पूज्यप्रवर ने दिए साध्वीवर्याजी को दर्शन*
दिनांक 09-10-2017
प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 विशखपट्टनम: दीक्षार्थी मुमुक्षु धरती का अभिनंदन समारोह आयोजित
👉 शाहीबाग, अहमदाबाद - चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
👉 मीरारोड, मुम्बई - सास बहू कार्यशाला का आयोजन
👉 अहमदाबाद - पश्चिम सभा शपथ ग्रहण समारोह
👉 जींद - जैन विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 जाखल मंडी - आठ दिवसीय योग शिविर का समापन
👉 हनुमंतनगर (बेंगलुरु):
ज्ञानशाला के बच्चों की कार्यशाला का आयोजन
👉 मानसा - ज्ञानशाला का विधिवत शुभारंभ
👉 अमराईवाड़ी-ओढव - उपासक प्रवेश परीक्षा का आयोजन
👉 हुबली - विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन
👉 मदुराई - फ्री मेडिकल कैम्प महिला मण्डल द्वारा
👉 ईरोड - आचार्य महाश्रमण अक्षय तृतीया प्रवास व्यवस्था समिति कार्यालय का मंगल शुभारम्भ "जैन संस्कार विधि" द्वारा..
👉 वीरगंज (नेपाल) - तेयुप द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम
👉 काठमांडू: तेममं द्वारा स्व प्रबंधन - सवारे अपना जीवन कार्यशाला का आयोजन
👉 राजराजेश्वरी नगर (बेंगलुरु): कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन
*प्रस्तुति: 🌻संघ संवाद*🌻
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News in Hindi
👉 चेन्नई: तमिलनाडु के चीफ एलक्शन कमिश्नर पहुंचे पूज्यप्रवर के दर्शनार्थ..
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 26* 📜
*नगराजजी बैंगानी*
*संस्कारों का बीज*
नागराजजी बैंगानी बिदासर के सुप्रसिद्ध श्रावकों में से एक थे। उनका जीवनकाल संवत् 1880 से 1949 तक का था। उनके पिता पंचाणदासजी उन प्रथम श्रावकों में से एक थे, जिन्होंने संवत् 1986 में पाली जाकर ऋषिराय से थली में पधारने की प्रार्थना की थी। प्रारंभ कालीन श्रावकों में अन्य जहां पहले यति संप्रदाय को मानने वाले थे और बाद में तेरापंथी बने थे, वहां नगराजजी बाल्यकाल से ही तेरापंथ के संस्कारों में पले थे। संवत् 1887 में ऋषिराय के प्रथम थली पदार्पण तथा बिदासर के प्रथम चातुर्मास के अवसर पर वे लगभग सात वर्ष के थे। धार्मिक संस्कारों का बीज उनकी मानस भूमि में उसी वर्ष उप्त हुआ था। जो कि आजीवन अधिकाधिक महत्त्व के साथ पल्लवित, पुष्पित और फलित होता रहा।
वे एक संस्कारी श्रावक थे। उत्तम आचार, निश्छल व्यवहार और सहज आस्थावत्ता ने उनको अन्य सभी से कुछ भिन्न बना दिया था। जयाचार्य और मघवागणी की उन पर महती कृपा थी। आचार्यश्री तथा साधु-साध्वियों की सेवा में बहुधा जाते रहते थे। सामायिक आदि दैनिक धर्म कृत्यों में भी वे बहुत पक्के थे।
*ठाकुर से समझौता*
श्रावक नगराजजी अपने धार्मिक कृत्यों में जितने पक्के थे, उतने ही अपनी आन-बान के भी पक्के थे। स्वाभिमान की सुरक्षा के साथ प्रभावशाली ढंग से जीना ही उन्होंने सीखा था। अपमान या उपेक्षा उनके लिए अत्यंत असह्य तत्त्व थे। संवत् 1930 के आसपास किसी कारणवश बिदासर के ठाकुर बहादुरसिंहजी से उनकी अनबन हो गई। उस स्थिति में वहां रहकर अपने स्वाभिमान की सुरक्षा कर पाना उन्हें कठिन लगने लगा। उन्होंने तत्काल अपने परिजनों तथा मित्रों के साथ विचार विमर्श किया और बीदासर को छोड़कर सपरिवार लाडनूं चले गए। उस युग में साहूकारों का गांव छोड़कर चले जाना जहां ग्रामपति के लिए अपमानजनक होता था, वहां आर्थिक हानि का कारण भी बनता था। बिदासर के ठाकुर शीघ्र ही चेत गए, अतः समझौता करके उन्हें वापस बिदासर ले गए।
*वस्त्रों को खतरा*
लोगों के मन में नगराजजी के प्रति बहुत उच्च भाव था। काछ-वाच की सत्यता के विषय में वे एक आदर्श माने जाते थे। जनता में एक ऐसी धारणा प्रचलित हो गई थी कि उनके द्वारा व्यवहृत वस्त्र का टुकड़ा यदि कोई ताबीज की तरह धारण करे तो रोगी का रोग चला जाता है तथा निसंतान को संतान प्राप्त हो जाती है। इस जन धारणा के कारण उन्हें अपने वस्त्रों को बहुत ध्यान पूर्वक रखना पड़ता था। धोती आदि को वे सदा अपने कमरे में ही सुखाया करते थे। कभी भूल से बाहर सुखा दी जाती तो लोग उसका चिथड़ा-चिथड़ा कर ले जाते थे। हर वस्त्र पर यह खतरा सदैव मंडराता रहता था।
*नगराजजी बैंगानी भविष्यदृष्टा थे... इस बात को प्रमाणित करने वाली उनके जीवन की कुछ अति विशिष्ट घटनाओं* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 372* 📝
*आस्था-आलम्बन आचार्य अभयदेव*
*(नवांगी टीकाकार)*
अभय देव नाम के कई आचार्य हुए हैं। प्रस्तुत आचार्य अभयदेव की प्रसिद्धि नवांगी टीकाकार के रूप में है। अभयदेव श्रमनिष्ठ आचार्य थे। संस्कृत भाषा पर उनका प्रभुत्व था। उनकी स्वाद विजय की साधना दूसरों के लिए आदर्श थी।
*गुरु-परंपरा*
आचार्य अभयदेव चंद्रकुलीन संविग्न परंपरा के (सुविहितमार्गी) श्री वर्धमानसूरि के प्रशिष्य एवं जिनेश्वरसूरि और बुद्धिसागरसूरि के शिष्य थे। वर्धमानसूरि प्रारंभ में कूर्चपुर के चैत्यवासी थे। उनका चौरासी जिन मंदिरों पर प्रभुत्व था। उद्द्योतनसूरि की परंपरा से प्रभावित होकर उन्होंने चैत्यवास का परित्याग किया और सुविहितमार्गी परंपरा को स्वीकार किया।
*जन्म एवं परिवार*
आचार्य अभयदेव का जन्म वैश्य परिवार में वीर निर्वाण 1542 (विक्रम संवत् 1072) में हुआ। इतिहास प्रसिद्ध मालव की धारा नगरी उनकी जन्म भूमि थी। वे महीधर श्रेष्ठी के पुत्र थे। उनकी माता का नाम धनदेवी था। उनका नाम अभयकुमार था। धारा में उस समय नरेश भोज का शासन था।
*जीवन-वृत्त*
आचार्य अभयदेव का विवेक बचपन से ही प्रबुद्ध था। धार्मिक संस्कारों की निधि उन्हें अपने परिवार से सहज उपलब्ध थी। धारा नगरी में एक बार जिनेश्वरसूरि और बुद्धिसागरसूरि का पदार्पण हुआ। पिता महीधर के साथ बालक अभयकुमार ने उनका प्रवचन सुना। वैराग्य का रंग बालक के मन पर चढ़ गया। माता-पिता की आज्ञा लेकर अभयकुमार ने जिनेश्वरसूरि के पास दीक्षा ग्रहण की। आगमों का बाल मुनि ने गंभीरता से अध्ययन किया। ग्रहण और आसेवन रूप विविध विद्याओं को गुरुजनों से उपलब्ध कर क्रियानिष्ठ श्रमण अभयदेव शासन कमल को विकसित करने के लिए भास्करवत् तेजस्वी प्रतीत होने लगे। आचार्य वर्धमानसूरि के आदेश से जिनेश्वरसूरि ने उन्हें वीर निर्वाण 1558 (विक्रम संवत् 1088) में आचार्य पद से अलंकृत किया। उस समय अभयदेवसूरि की उम्र सोलह वर्ष की थी।
खरतरगच्छ वृहद गुर्वावली में प्राप्त उल्लेखानुसार जिनेश्वरसूरि ने श्री जिनचंद्र और अभयदेव दोनों को गुण संपन्न समझकर सूरि पद पर नियुक्त किया था। वह उल्लेख इस प्रकार है
*'जिनेश्वर सूरिभिः जिनचन्द्राभयदेवौ सूरिपदे निवेषितौ क्रमेणयुगप्रधानौ जातौ'*
*(खरतरगच्छ वृहद् गुर्वावली)*
जिनचंद्रसूरि और अभयदेवसूरि दोनों क्रमशः युगप्रधान बने।
प्रभावक चरित्र के अनुसार अभयदेवसूरि महान् क्रियोद्धारक एवं संविग्न परंपरा के सुत्रधार वर्धमानसूरि के प्रशिष्य और जिनेश्वरसूरि के शिष्य थे।
आचार्य अभयदेव सिद्धांतों के गंभीर ज्ञाता थे। आगमेतर विषयों का भी उन्हें विशद ज्ञान था।
*आचार्य वर्धमानसूरि के स्वर्गवास के बाद आचार्य अभयदेवसूरि के जीवन की एक विशिष्ट घटना* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🌈 *"अहिंसा यात्रा" के बढ़ते कदम..*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
👉🏻 आज का प्रवास - *किल्पाक, चेन्नई*
दिनांक: 10/07/2018
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