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👉 राजगढ़ - भ्रूण हत्या महापाप विषय पर कार्यशाला का आयोजन
👉 टिटिलागढ - "मासखमण (32 दिन) तप अभिनन्दन" का कार्यक्रम आयोजित
👉 त्रिपुर - तेयुप द्वारा बाढ़ में आवश्यक राहत सामग्री से सहयोग
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 29 अगस्त 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 411* 📝
*कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र*
*राजवंश*
गतांक से आगे...
आचार्य हेमचंद्र व्यवहार कुशल थे। भागवत मत समर्थक विद्वान् देवबोध और राज सम्मानित कवि श्रीपाल में परस्पर तनाव पूर्ण वातावरण था। एक बार विद्वान् देवबोध अर्थ संकट में उलझ गया और कर्जदार हो गया। सहायता के लिए हेमचंद्राचार्य के पास आया। हेमचंद्रसूरि ने उसे आत्मीय भाव से संतुष्ट किया। कवि श्रीपाल के साथ उसके मैत्री संबंध स्थापित करवाए तथा उचित सहयोग देकर उसको संकट से मुक्त किया।
सिद्धराज जयसिंह के कोई पुत्र नहीं था, अतः पुत्र प्राप्ति की भावना से उन्होंने तीर्थ यात्राएं कीं। तीर्थ यात्रा में हेमचंद्र भी साथ थे। शत्रुञ्जय आदि क्षेत्रों की तीर्थ यात्रा संपन्न कर गिरनार शिखर से उतरकर सोमेश्वर गए। सोमेश्वर के शिवालय में आचार्य हेमचंद्र ने एक श्लोक बोला—
*यत्र तत्र समये यथा तथा योऽसि*
*सोऽस्यभिधया यया तया।*
*वीतदोषकलुषः स चेद् भवानेक*
*एव भगवन्नमोऽस्तु ते।।181।।*
*(प्रबंध चिंतामणि, पृष्ठ 85)*
राग, द्वेष रहित वीतराग प्रभु को मेरा नमस्कार है। फिर वे किसी भी समय, किसी भी देश के हैं और किसी भी नाम से मंडित हैं।
वहां से वे कोटिनगर गए। नरेश ने अंबादेवी के दर्शन किए। हेमचंद्रसूरि ने वहां तीन दिन का उपवास किया। अंबादेवी प्रकट हुई। सिद्धराज जयसिंह नरेश के उत्तराधिकारी के संबंध में पूछने पर देवी ने उत्तर दिया "पूर्व अंतराय कर्म के कारण नरेश को पुत्र की प्राप्ति नहीं होगी। राजा के निकट संबंधी देवप्रसाद का पौत्र त्रिभुवनपाल का पुत्र कुमारपाल सिद्धराज जयसिंह का उत्तराधिकारी होगा।" देवी अदृश्य हो गई।
अपने उत्तराधिकारी का नाम जानकर राजा के मन में प्रसन्नता नहीं हुई। प्रत्युत कुमारपाल के प्रति द्वेषांकुर प्रस्फुटित हुआ। नरेश द्वारा कुमारपाल के लिए षड्यंत्र रचा जाने लगा। स्थिति को जानकर अपने प्राणों को बचाने के लिए कुमारपाल घर से पलायन कर गया। वेश बदलकर वह गुप्त रूप में रहने लगा। कई बार वह षड्यंत्र के जाल से बाल-बाल बच निकला।
एक बार प्राणों की सुरक्षा के लिए कुमारपाल आचार्य हेमचंद्र की शरण में पहुंच गया। पाटण नरेश द्वारा नियुक्त राजपुरुषों को आते देख कर आचार्य हेमचंद्र ने ताड़पत्रों में छिपाकर कुमारपाल के प्राणों की रक्षा की। यह घटना पाटण नगर की है।
एक बार खंभात में हेमचंद्राचार्य ने क्षुधा से पीड़ित कुमारपाल को किसी श्रावक से बत्तीस द्रमुक दिलवाए। उस समय हेमचंद्राचार्य ने कुमारपाल की आकृति और शुभ लक्षणों को देख कर कहा "वत्स! आज से सातवें वर्ष में तू पाटण राज्य का अधिकारी बनेगा।"
*क्या अंबादेवी की भविष्यवाणी और आचार्य हेमचंद्र का कथन सही हुआ...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 65* 📜
*उदयचंदजी बैद (ताराणी)*
*प्रथम आघात*
उदयचंदजी का जन्म राजलदेसर निवासी मघराजजी बैद (ताराणी) के घर संवत् 1905 ज्येष्ठ कृष्णा 13 को हुआ। उनसे पांच पीढ़ी पूर्व उनके पूर्वजों में ताराचंदजी बैद अत्यंत प्रभावशाली व्यक्ति हुए थे। तभी से उनके वंशज 'ताराणी' बैद कहलाने लगे। उदयचंदजी 6 भाइयों में चतुर्थ थे। उनके 5 बहिनें भी थीं। कालू निवासी खुमाणचंदजी डागा की पुत्री के साथ उनका विवाह हुआ। संवत् 1929 में उनकी पत्नी का अचानक ही देहांत हो गया। उस समय वे 25 वर्ष के पूर्ण युवक थे। गृही जीवन में प्रविष्ट होने के पश्चात् उन्हें यह प्रथम किंतु तीव्र आघात लगा था। उसका प्रभाव उनके मन पर काफी समय तक बना रहा। पारिवारिकों ने दूसरा विवाह करना चाहा, परंतु वे उसके लिए तैयार नहीं हुए। लगभग तीन वर्षों तक परिजनों का निरंतर दबाव पड़ता रहा और वे निषेध करते रहे। आखिर परिवार के बड़े-बूढ़ों और हितैषियों ने सामूहिक दबाव डालते हुए उन्हें समझाया कि लंबे जीवन में सुख और शांति के लिए तुम्हें अपना उजड़ा घर फिर से बसा ही लेना चाहिए। आखिर उन सबके कथन का प्रभाव उन पर पड़ा और उन्होंने दूसरा विवाह करना स्वीकार कर लिया।
*द्वितीय आघात*
बैद परिवार का व्यापार कार्य बंगाल में था। छोटे-छोटे गांवों तक में अनेक ओसवाल परिवार रहा करते थे। उदयचंदजी तथा उनके छोटे-बड़े भाई उस समय बंगाल में ही थे। उन लोगों ने वहीं आस-पास के क्षेत्रों में उपयुक्त लड़की की खोज की और संवत् 1932 में कालियागंज (बंगाल) में रह रहे एक परिवार में उनकी सगाई पक्की कर दी। मुहूर्त देखकर लेन-देन भी कर दिया। विवाह का दिन निश्चित करने का अवसर आया, उससे पूर्व किसी ने लड़की के पिता को न जाने क्या कहकर भ्रांत कर दिया कि वह अपनी पुत्री उन्हें देने से इनकार कर गया।
बैद परिवार ने लड़की के पिता को समझाने का बहुत प्रयास किया, किंतु वह किसी भी प्रकार से मानने को तैयार नहीं हुआ। उसकी उस प्रवृति से उन लोगों ने स्वयं को अपमानित अनुभव किया और उस पर मुकद्दमा चालू कर दिया। मुक़द्दमे की देखरेख उदयचंदजी के छोटे भाई दानचंदजी किया करते थे। दो वर्ष तक मुकद्दमा चलता रहा। उदयचंदजी मुकद्दमा चलाते रहने के पक्ष में नहीं थे, परंतु बंधुजन अपमान का पूरा बदला चुकाना चाहते थे। इसी बीच दानचंदजी देश में आ गए। पीछे से मुकदमे की देखरेख उदयचंदजी को ही करनी थी। उन्होंने इस अवसर पर लाभ उठाया और समाज के अग्रणी व्यक्तियों से कहा कि यदि लड़की स्वयं पंचों के सम्मुख आकर कह दे कि वह इस विवाह को पसंद नहीं करती तो दोनों पक्षों का समझौता हो जाने के पश्चात् में मुकदमा उठा लेने को तैयार हूं। लड़की का पिता इसके लिए तैयार हो गया। एक निश्चित तिथि को पंचों और मजिस्ट्रेट के सम्मुख लड़की को लाया गया और उसने स्पष्ट कह दिया कि मैं इस विवाह को पसंद नहीं करती। यह तो मेरे पिता की अवस्था के हैं। उदयचंदजी के लिए यह द्वितीय मानसिक आघात था। उनका मन विरक्ति से भर गया। उसी समय सबके सम्मुख उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण कर लिया।
*राजलदेसर के श्रावक उदयचंदजी बैद (ताराणी) के जीवन में आए नए मोड़* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
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Update
👉 अनपरा (उ.प्र.): "भ्रूण हत्या - सामाजिक अभिशाप" विषयक संगोष्ठी का आयोजन
👉 चेन्नई - पहचान" में हुबली तेरापंथ कन्या मंडल की सहभागिता
👉 पीलीबंगा - तेरापंथ महिला मंडल का सम्मान
👉 जयपुर - "आचार्य श्री तुलसी सेतु " नामकरण समारोह का आयोजन
👉 बेंगलुरु: तेरापंथ सभा द्वारा कोडगु बाढ़ में आवश्यक राहत सामग्री से सहयोग
👉 विजयनगर, बेंगलुरु: महिला मंडल द्वारा तेरापंथ दर्शन एवं तत्वज्ञान परीक्षार्थियों का सम्मान
👉 सरदारशहर: “चातुर्मास के अनमोल क्षण - करें स्वयं का आध्यात्मिक आरोहण एवं करें लक्ष्य का निर्धारण” विषयक कार्यशाला का आयोजन
👉 सादुलपुर - सफलता कैसे मिले पर संगोष्ठी का आयोजन
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News in Hindi
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आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल
माधावरम, चेन्नई
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परम पूज्य गुरुदेव
मंगल उद्बोधन
प्रदान करते हुए
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आचार्य प्रवर के
मुख्य प्रवचन के
कुछ विशेष दृश्य
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कार्यक्रम की
मुख्य झलकियां
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दिनांक:
29 अगस्त 2018
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प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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*संथारारत "शासनश्री" मुनि श्री सुमेरमल जी 'सुदर्शन' के प्रति परमपूज्य गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी का पावन संदेश......*
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👉 दिल्ली - *संथारा रत मुनिश्री के दर्शनार्थ केंद्रीय मंत्री पहुंचे..*
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल, माधावरम,
चेन्नई.......
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परम पूज्य आचार्य प्रवर
के प्रातःकालीन भ्रमण
के मनमोहक दृश्य....
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दिनांक:
29 अगस्त 2018
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प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 जयपुर - "आचार्य श्री तुलसी सेतु " नामकरण समारोह का आयोजन
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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