Update
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 04 सिंतबर 2018
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Update
👉 कालीकट - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 मदुरै - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 मुम्बई - अणुव्रत संबोध कार्यशाला एवं अणुव्रत समिति शपथ विधि समारोह समपन्न
👉 काठमांडू - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 मालवीय नगर, जयपुर - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 भीम - अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल संगठन यात्रा
👉 पर्वत पाटिया, सूरत - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 धुलिया - अभातेमम के तत्वावधान में खानदेश स्तरीय आंचलिक ओजस कार्यशाला का आयोजन
👉 किशनगंज - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 गांधीनगर (बेंगलुरु):
उपासक श्रेणी की कार्यशाला आयोजित
👉 हासन - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
● ज्ञानशाला की रैली आयोजन
👉 K.G.F. - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 सोलापुर - ज्ञानशाला दिवस का आयोजन
👉 जयपुर - अणुव्रत ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन
👉 सिलीगुड़ी - व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन
👉 सिलीगुड़ी - मासखमण तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन
👉 केलवा - पच्चीस बोल प्रतियोगिता का आयोजन
👉 पूर्वांचल, कोलकाता - "Positive Parenting" सेमिनार का आयोजन
👉 हुबली- ज्ञानशाला दिवस और रैली का आयोजन
👉 मुम्बई - अणुव्रत संबोध कार्यशाला एवं मुंबई समिति का शपथ विधि समारोह सम्पन्न
👉 पुणे - अभातेमम के तत्वावधान में पश्चिम महाराष्ट्रीय स्तरीय विराट महिला सम्मेलन "ऊर्जा" का भव्य आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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आचार्य श्री महाश्रमण
प्रवास स्थल
माधावरम, चेन्नई
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परम पूज्य गुरुदेव
मंगल उद्बोधन
प्रदान करते हुए
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आचार्य प्रवर के
मुख्य प्रवचन के
कुछ विशेष दृश्य
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कार्यक्रम की
मुख्य झलकियां
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दिनांक:
O4 सितंबर 2018
🎯
प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 415* 📝
*कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र*
*साहित्य*
आचार्य हेमचंद्र की प्रतिभा हेम-सी निर्मल थी। वे ज्ञान के विशाल कोष थे। उन्होंने प्रभूत परिमाण में मूल्यवान् ग्रंथों की रचना की। यही कारण है कि उनकी प्रसिद्धि कलीकालसर्वज्ञ के नाम से हुई। उनके ग्रंथों को पढ़कर पाश्चात्य विद्वानों ने उनको ज्ञान का समंदर (Ocean of knowledge) कहकर संबोधित किया। हेमचंद्र विलक्षण विद्वान् थे। जैन संस्कृति को जन-जन में व्याप्त करने की दृष्टि से उन्होंने विविध विधाओं में साहित्य की रचना की। व्याकरण, काव्य, कोष, छंद, अलंकार, न्याय, नीति, ज्योतिष, इतिहास आदि सभी विषयों पर हेमचंद्र की लेखनी चली। उनका सृजनकार्य साहित्यिक इतिहास का अनुपम पृष्ठ है। आज भी हेमचंद्राचार्य द्वारा रचित उपलब्ध ग्रंथ पाठकों को महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रदान करते हैं।
व्याकरण के क्षेत्र में सिद्धहेमव्याकरण, सिद्धहेमलिंगानुशासन तथा धातुपरायण ग्रंथों की रचना की। शब्दकोश की समृद्धि में अभिधान चिंतामणि, अनेकार्थसंग्रह, देशीनाममाला निघण्टुकोष ग्रंथ हैं। अलंकार ग्रंथों में काव्यानुशासन, छंद ग्रंथों में छंदोनुशासन, काव्य ग्रंथों में संस्कृत-प्राकृत द्वयाश्रय काव्य, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चरित, इतिहास ग्रंथों में परिशिष्ट पर्व, दर्शन एवं न्याय विषयक ग्रंथों में प्रमाण मीमांसा, योग व्याख्या ग्रंथों में योगशास्त्र जैसे अनेक उत्तम ग्रंथों की रचना आचार्य हेमचंद्र ने की। जैन इतिहास का ज्ञान करने के लिए तथा संस्कृत पाठी पाठकों के लिए हेमचंद्राचार्य के ये ग्रंथ विशेष उपयोगी हैं।
हेमचंद्र के ग्रंथों का परिचय इस प्रकार है
*सिद्धहेमशब्दानुशासन* यह व्याकरण ग्रंथ है। इसकी रचना गुजरात नरेश सिद्धराज जयसिंह की प्रार्थना पर हुई। इस ग्रंथ के नामकरण में भी सिद्ध राज का नाम प्रयुक्त है। इस व्याकरण के आठ अध्याय हैं। प्रथम सात अध्यायों में संस्कृत भाषा का व्याकरण एवं आठवें अध्याय में प्राकृत भाषा का व्याकरण है। कुल सूत्र संख्या 4685 है। उणादिगण के 106 सूत्र संयुक्त करने पर इस व्याकरण की सूत्र संख्या 4791 हो जाती है। प्राकृत भाषा से संबंधित 1119 सूत्र हैं। अवशिष्ट सूत्र संस्कृत भाषा के हैं। व्याकरण के सूत्रों की रचना जटिल नहीं है। उनमें दुरान्वय भी नहीं है।
वैदिक प्रयोगों से मुक्त होने के कारण इस व्याकरण की मौलिकता है। सूत्र रचना में शकटायन व्याकरण का प्रमुख आधार रहा है। उणादि पाठ, गण पाठ, धातु पाठ, लिङ्गानुशासन, वृत्ति इन पंचाङ्गों से परिपूर्ण यह व्याकरण सुबोध्य है। संस्कृत और प्राकृत दोनों भाषाओं की दृष्टि से यह ग्रंथ उपयोगी है।
*कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य द्वारा रचित कोषग्रन्थों* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 69* 📜
*उदयचंदजी बैद (ताराणी)*
*महान् संलेखना*
गतांक से आगे...
भतीजे हुकमचंदजी की बात सुनकर उदयचंदजी ने कहा— "मैंने चार महीने निकाले हैं, वैसे ही यदि एक-दो महीने और निकाल दूं तो तुम्हारी क्या स्थिति होगी?" हुकमचंदजी, वीरां बाई तथा अणचां बाई ने कहा— "आप निश्चिंत रहें। हम तीनों भी तपस्या करने वाले ही हैं। कमजोर नहीं है। शरीर साथ देता रहेगा तब तक तपस्या चलती रहेगी। शरीर निभाता नहीं लगेगा, तब हम भी संथारा कर लेंगे।" उन सब ने पूछा क्या— "आपको अपने शरीर की शक्ति एक महीना निकाल देने जितनी लगती है?" उदयचंदजी ने कहा— "इस बिछौने को मेरे नीचे से हटा दो। इसमें बिनौले सहित रही है, अतः सचित्त है। मेरे लिए बालू रेत बिछा कर उस पर सतरंजी बिछा दो। साध्वीजी को भी प्रार्थना करो कि वे मुझे दर्शन दे कर सचेतावस्था में अब संथारा कराएं।" उनके पुत्र मालचंदजी ने उनके कथानुसार सारी व्यवस्था की। साध्वियां दर्शन देने के लिए आईं तब उन्होंने अपने अचित्त संस्तारक पर आसीन होकर वंदन किया और दोनों हाथ जोड़ते हुए ध्यान मुद्रा में स्थित होकर कहा— "आपने संथारा कराया था उस समय में अर्धमूर्च्छित था और सचित्त से स्पृष्ट भी था। अब पूर्ण सावधानी और शुद्धावस्था में मुझे विधिवत् चौविहार संधारा करवा दीजिए।" साध्वियों ने तब उन्हें आजीवन चौविहार संथारा करवा दिया।
साध्वियों तथा स्थानीय श्रावक-श्राविकाओं ने उन्हें उसी दिन से स्वाध्याय आदि का पूर्ण सहयोग देना प्रारंभ कर दिया।
श्रावण शुक्ला 12 की रात्रि को लगभग सवा बजे मालचंदजी तथा बींजराजजी उनके पास बैठे हुए थे। बींजराजजी नमस्कार महामंत्र सुना रहे थे। उदयचंदजी उठ कर बैठे और बोले— "तू नमस्कार महामंत्र अशुद्ध बोल रहा है।" उन्होंने स्वयं बोल कर बतलाया कि ऐसे बोल। फिर 'तिक्खुत्तो' के पाठ का स्वयं उच्चारण करते हुए पांचों पदों को वंदन किया। सब से क्षमायाचना की। पारिवारिकों से भी क्षमायाचना की। फिर कहने लगे— "परिवार के अन्य सभी व्यक्ति तो आ गए हैं। मैंने उनसे क्षमायाचना भी कर ली है। केवल एक चांद नहीं आई है।" मालचंदजी ने कहा पत्र तो पहले ही दे दिया था, परंतु किसी कारण से नहीं आ पाई है। आज प्रातः उसके ससुराल में मैंने उसे लाने के लिए आदमी भेज दिया है।" उदयचंदजी ने कहा— "आएगी तो सही, पर मेरे से मिल नहीं पाएगी।" वस्तुतः ही वह उनकी दाह-क्रिया संपन्न होने के भी बाद में पहुंच पाई। उदयचंदजी ने उस समय सभी पारिवारिकों को अपने पीछे शोक मनाने, तीसरा और बारहवां करने, फूल चुनकर गंगा में पहुंचाने आदि सभी प्रथाओं के त्याग करवाए। फिर विश्राम के लिए सो गए।
पश्चिम रात्रि में लगभग 4:00 बजे एक क्षण के लिए सर्वत्र प्रकाश फैला और फिर एक प्रकाश पुंज आकाश की ओर उठता हुआ सबको दिखाई दिया। उसी समय उदयचंदजी ने 120 दिनों की महान् संलेखना और उस पर 8 दिनों का चौविहार संथारा कर विक्रम संवत् 1983 श्रावण शुक्ला 12 को शरीर त्याग कर दिया।
प्रातः 9:30 बजे बैकुंठी उठाई गई और गाजे-बाजे के साथ चांदी के फूलों की उछाल करते हुए धार्मिक भजन गाते हुए उन्हें ले जाया गया। दाह-क्रिया संपन्न नगर लोग वापस आए तो सभी की वाणी में एक ही बात मुखरित थी कि इस युग में इतनी लंबी संलेखना करने वाले वे प्रथम व्यक्ति थे।
*उदयपुर के दृढ़ श्रावक अम्बालालजी कावड़िया के प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में
😷 *अभिनव सामयिक*
दिनांक 09 सितम्बर 2018
💠 निवेदन अपने अपने क्षेत्रों में अभिनव सामयिक अवश्य आयोजित करे।
प्रसारक -🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
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*दिल्ली: मुनिश्री सुमेरमल जी का चौविहार संथारे में देवलोकगमन* 🙏🏻
ग्रीनपार्क दिल्ली -04.09.2018
*तेरापंथ धर्मसंघ के वरिष्ठ सन्त "शासनश्री" मुनिश्री सुमेरमल जी 'सुदर्शन' का संथारे के 10वें दिन चोविहार संथारे में आज सुबह 05:50 बजे देवलोक गमन हो गया।*
*ज्ञातव्य है कि मुनिश्री ने गत दिनांक 26 अगस्त को सायं 07:43 पर तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान किया था। शासनश्री को 3 मिनट का चोविहार संथारा आया।*
*मुनिश्री की पार्थिव देह अंतिम दर्शनों हेतु iTO के निकट अणुव्रत भवन, 210, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग ले जाई जा रही है। दर्शनार्थी अब अणुव्रत भवन ही पहुंचे।*
प्रेषक: 🙏🏻 *संघ संवाद* 🙏🏻
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