Update
🌈 *आया-आया पर्युषण, बरसै रिमझिम भादूड़ो ।*
*सोने री किरण्यां उतरी आंगणे ।*
1⃣ *07/09/2018: खाद्य संयम दिवस*
2⃣ *08/09/2018: स्वाध्याय दिवस*
3⃣ *09/09/2018: सामायिक दिवस*
4⃣ *10/09/2018: वाणी संयम (मौन) दिवस*
5⃣ *11/09/2018: अणुव्रत चेतना दिवस*
6⃣ *12/09/2018: जप दिवस*
7⃣ *13/09/2018: ध्यान दिवस*
8⃣ *14/09/2018: संवत्सरी महापर्व*
9⃣ *15/09/2018: क्षमापना दिवस*
👉 *पर्युषण पर्व का प्रथम दिन "खाद्य संयम दिवस"*
👉 *आज के "मुख्य प्रवचन"* और *"जयाचार्य परिनिर्वाण दिवस"* के *कुछ विशेष दृश्य..*
दिनांक: 07/09/2018
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🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🔰 *भावभरा आमंत्रण* 🔰
💠 *आयोज्य कार्यक्रम सम्बन्धित सूचना*💠
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*आइये!*
*सपरिवार अपनी*
*श्रद्धा-भक्ति अर्पण*
*करने चलें।*
*अपनी यात्रा सुनिश्चित करें।*
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💢 *216 वां भिक्षु चरमोत्सव*💢
💠 *सान्निध्य* 💠
*शासन श्री मुनि श्री रविंद्रकुमार जी*
*व तपोमूर्ति मुनि श्री पृथ्वीराज जी*
💥 *विराट भिक्षु भक्ति संध्या*💥
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*गूजेंगी स्वर लहरी*
*झूमेंगे भिक्षु भक्त*
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*दिनांक - 22 सितम्बर 2018, सिरियारी*
♨ *आयोजक-निमंत्रक:- आचार्य श्री भिक्षु समाधि स्थल संस्थान, सिरियारी*♨
प्रसारक -🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 72* 📜
*अम्बालालजी कावड़िया*
*प्रथम तिलक*
भामाशाह के वंशज होने के कारण जब-जब ओसवाल पंचायत एकत्रित होकर उत्सव या भोज करती, तब उस अवसर पर कावड़िया वंश के प्रमुख व्यक्ति को प्रथम तिलक किया जाता था। नगर सेठ, पंच तथा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों को उसके पश्चात्। उक्त सम्मान भामाशाह के समय से ही उनकी समग्र वंश परंपरा के लिए प्राप्त था। कालांतर में कावड़िया परिवार की आर्थिक दुर्बलता तथा उक्त परंपरा पर समुचित ध्यान नहीं दे पाने के कारण वह क्रम बंद हो गया। अंबालालजी के पितामह ने उस विषय को महाराणा सरूपसिंह जी के सम्मुख उठाया और संवत् 1812 में उसे फिर से चालू करने का 'परवाना' प्राप्त किया। उक्त घटना के कुछ वर्षों पश्चात् महाराणा सज्जनसिंहजी के सम्मुख नगर सेठ तथा दीवानजी की ओर से उसमें 'उजरदारी' जारी की गई। संवत् 1936 में उक्त विषय का मुकद्दमा प्रारंभ हुआ और वह महाराणा फतेहसिंहजी के शासनकाल में संवत् 1964 तक चला। उसमें निर्णय के परिणाम स्वरुप अंबालालजी को पूर्ण विजय प्राप्त हुई।
*एक उत्तर*
वकील होने के कारण कावड़ियाजी का संपर्क बहुत व्यापक था। प्रभाव भी अच्छा था। कुछ लोगों के लिए वे ईर्ष्या के विषय भी बने हुए थे। परंतु वे उनकी कोई परवाह नहीं करते थे। सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्रों में उठाए जाने वाले हर प्रश्न का एक बड़ा सबल उत्तर दिया करते थे। एक बार जैन समाज के ही कुछ विशिष्ट व्यक्ति उनके पास बैठे हुए थे। वे अन्य संप्रदाय को मानने वाले थे, अतः धार्मिक चर्चा चलने पर उनमें से किसी एक व्यक्ति ने तेरापंथ की मान्यताओं का मजाक उड़ाते हुए कहा— "कावड़ियाजी! तेरापंथ की मान्यता तो ऐसी है, जिसे सुनकर लज्जा से सिर झुक जाता है।" कावड़ियाजी ने बराबर का व्यंग करते हुए कहा— "हां आप ठीक ही कह रहे हैं। तेरापंथ की मान्यता ही ऐसी है कि उससे आपका सिर तो लज्जा से झुक जाता है और हमारा गर्व से उन्नत हो जाता है।" उक्त व्यक्ति ने झुंझलाते हुए कहा— "आप बात को मजाक में मत ले जाइए। मैं वास्तविकता के आधार पर कह रहा हूं।" कावड़ियाजी बोले— "आपकी उस वास्तविकता का कोई उदाहरण हो तो बतलाइए। मेरे जैसा सामान्य जन भी उसे समझने की कोशिश करेगा।" उस व्यक्ति ने बड़ी संजीदगी के साथ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा— "गाय के बाड़े में आग लगी हो तो तेरापंथी उसे बुझाते नहीं। कोई अन्य बुझाता हो तो वे उसे भी निषेध करते हैं। क्या यह लज्जा की बात नहीं है?" कावड़ियाजी ने कहा— "आपने वास्तविकता के आधार पर बात कहने की बात कही थी, परंतु यह तो मूलतः ही अवास्तविक है। आज तक हमने तो कभी किसी गाय के बाड़े में आग लगी देखी नहीं और किसी तेरापंथी को बुझाने में निषेध करते भी देखा नहीं। अतः इसको छोड़िए और वास्तविकता पर आइए। आप अपने घर को आग लगा कर देखिए कि अंबालाल उसे बुझाने के लिए आता है या नहीं। पूरे सत्यासत्य का निर्णय इसी एक कार्य से हो जाएगा।" पास में बैठे सभी लोगों ने ठहाका लगाया और वह बात वही समाप्त हो गई।
*श्रावक अंबालालजी कावड़िया की सेवा परायणता और संवत् 1972 का आचार्यश्री कालूगणी का चातुर्मास उदयपुर को प्राप्त होने के रोचक प्रसंग* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 418* 📝
*कलिकालसर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र*
*ग्रन्थों की मौलिकता पर विद्वानों के विचार*
आचार्य हेमचंद्र का सबसे पहला व्याकरण सिद्धहेमव्याकरण है। जिसकी रचना सिद्धराज जयसिंह की प्रार्थना पर की गई। इतनी उच्चकोटि की इस प्रथम रचना का व्याकरण के क्षेत्र में शीर्षस्थ स्थान है। हेमचंद्र की पारगामी प्रज्ञा पर दिग्गज विद्वानों के मस्तिष्क झुक गए। उन्होंने कहा
*किं स्तुमः मुंह शब्दपाथोधेः, हेमचन्द्रयतेर्मतिम्।*
*एकेनापीह येनेदृक् कृतं शब्दानुशासनम्।।*
शब्द समुद्र हेमचंद्राचार्य की प्रतिभा की क्या स्तवना करें, जिन्होंने इतने विशाल शब्दानुशासन की रचना की है।
*भ्रातः संवृणु पाणिनिप्रलपितं कात्रंणकन्था वृथा।*
*मा कार्षीः कटु शाकटायनवचः क्षुद्रेण चान्द्रेण किम्।।*
*किं कण्ठाभरणादिभिर्बठरयत्यात्मानमन्यैरपि।*
*श्रूयन्ते यदि तावदर्थमधुरा श्रीहेमचन्द्रोक्तय।।139।।*
इन पंक्तियों में हेमचंद्राचार्य के इस विशाल व्याकरण की महत्ता है।
अभिधान चिंतामणि आदि चारों कोष, काव्यानुशासन, छंदोनुशासन तथा प्रमाणमीमांसा आदि ग्रंथों की रचना आचार्य हेमचंद्र ने सिद्धराज जयसिंह के शासनकाल में की। नरेश कुमारपाल के शासनकाल में योगशास्त्र, वीतरागस्तुति आदि ग्रंथों की रचना कुमारपाल को उद्बोधन देने के लिए हुई।
आचार्य हेमचंद्र की अंतिम रचना त्रिषष्टीशलाकापुरुष चरित है। इसकी रचना भी कुमारपाल की प्रार्थना पर हुई।
अर्हन्नीति आदि ग्रंथों की रचना उनकी हेम-सी निर्मल प्रतिभा का परिणाम है।
प्रभावक चरित ग्रंथ में हेमचंद्राचार्य की प्रमुख कृतियों का उल्लेख है।
*कलिकालसर्वज्ञ हेमचंद्राचार्य द्वारा रचित ग्रन्थों की मौलिकता पर विद्वानों के विचार* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 उदयपुर - ज्ञानशाला दिवस के द्वितीय चरण का आयोजन
👉 जयपुर - जैन विद्या परीक्षा प्रमाण पत्र व पारितोषिक वितरण कार्यक्रम का आयोजन
👉 विजयनगर, बेंगलुरू - तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन
👉 गांधीनगर (बेंगलुरु): महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित
👉 बेंगलुरू - जैन संस्कार विधि से नूतन फेक्ट्री का शुभारंभ
👉 सूरत - कन्या मंडल द्वारा दो दोस्तों की मित्रता श्री कृष्ण और सुदामा परिसंवाद का मंचन
👉 तेजपुर -तिविहार संथारा सआनंद गतिमान
👉 कालबादेवी - मासखमण सिद्धि तप व कण्ठी तप अनुमोदना कार्यक्रम
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*आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*निद्रा संयम: वीडियो श्रंखला २*
👉 *खुद सुने व अन्यों को सुनायें*
*- Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
संप्रेषक: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
प्रकाशक - प्रेक्षा फाउंडेसन
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