03.10.2018 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 04.10.2018
Updated: 04.10.2018

News in Hindi

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 438* 📝

*उदारमना आचार्य उदयप्रभ*

*जीवन-वृत्त*

गतांक से आगे...

असाधारण व्यक्तित्व के धनी, महादानी, सबल, योद्धा, कवि, लेखक, साहित्य रसिक, विद्वानों का सम्मानदाता, उदारहृदय एवं सर्वधर्म समदर्शी जैन महामात्य वस्तुपाल को पाकर गुजरात की धरा धन्य हो गई। मध्यकाल के धर्म प्रभावक जैन श्रावकों में अमात्य वस्तुपाल का स्थान विशिष्ट था। सरस्वती कण्ठाभरणादि चौबीस उपाधियों से अलंकृत एवं संग्राम भूमि में तिरेसठ बार विजय प्राप्त करने वाला वस्तुपाल अमात्य धर्म प्रचार कार्य में सतत प्रयत्नशील रहता था। धार्मिक प्रवृत्तियों के संचालन में उसने विपुल धनराशि का व्यय किया।

श्री वस्तुपाल का यश दक्षिण दिशा में श्रीपर्वत तक, पश्चिम में प्रभास तक, उत्तर में केदार पर्वत तक और पूर्व में वाराणसी तक विस्तृत था।

इतिहास प्रसिद्ध इस महामात्य को प्रभावित करने वाले धर्म आचार्यों में जयसिंहसूरि, नरचंद्रसूरि, शांतिसूरि, नरेंद्रप्रभसूरि, विजयसेनसूरि, बालचंद्रसूरि आदि कई आचार्यों के नाम हैं। उनमें एक नाम आचार्य उदयप्रभसूरि का भी है।

*साहित्य*

उदयप्रभाचार्य धर्म प्रचारक एवं यशस्वी साहित्यकार थे। उन्होंने संघपति चरित्र, आरम्भसिद्धि, सुकृतकीर्ति कल्लोलिनी, नेमीनाथ चरित्र, षड्शीति टिप्पण, कर्मस्तव टिप्पण, उपदेशमाला, उपदेश-कर्णिका वृत्ति इन ग्रंथों की रचना की।

संघपति चरित्र ग्रंथ का दूसरा नाम धर्माभ्युदय है। यह महाकाव्य है। इस ग्रंथ की रचना वीर निर्वाण 1757 (विक्रम संवत् 1287) में हुई।

नेमिनाथ चरित्र संस्कृत भाषा की प्रशस्त रचना है। सुकृतकीर्ति कल्लोलिनी नामक ग्रंथ भी उत्तम कोटि का है। यह वस्तुपाल, तेजपाल के धार्मिक कार्यों का प्रशस्ति काव्य है। इसके 179 श्लोक हैं। इसमें चावड़ा वंश नरेशों के शौर्य का वर्णन, वस्तुपाल की वंशावली, उनकी संघ यात्राएं, चालुक्य नृपों का वर्णन तथा वीरधवल और उनके पूर्वजों की प्रशंसा है। नागेंद्रगच्छ के आचार्यों की पट्टावली भी है। शत्रुंजय पर्वत पर आदिनाथ मंदिर के किसी शिलापट्ट पर उत्कीर्ण कराने के उद्देश्य से इस प्रशस्ति काव्य की रचना की गई। ऐतिहासिक दृष्टि से यह ग्रंथ महत्त्वपूर्ण है।

*समय-संकेत*

सुकृतकीर्ति कल्लोलिनी काव्य की रचना वीर निर्वाण 1758 (विक्रम संवत् 1288) में हुई।

धर्माभ्युदय काव्य की रचना वीर निर्वाण 1757 (विक्रम संवत् 1287) में हुई। महामात्य वस्तुपाल ने स्वयं धर्माभ्युदय काव्य की प्रतिलिपि वीर निर्वाण 1760 (विक्रम संवत् 1290) में तैयार करवाई। इस आधार पर आचार्य उदयप्रभसूरि का समय वीर निर्वाण की 17वीं (विक्रम की 13वीं) शताब्दी का उत्तरार्द्ध है।

*सरस व्याख्याकार आचार्य रत्नप्रभ के प्रेरणादायी प्रभावक चरित्र* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 92* 📜

*नथमलजी रांका*

*प्रभावशाली व्यक्ति*

नथमलजी रांका अपने समय में ब्यावर के एक प्रमुख श्रावक थे। उनके पिता फतेचंदजी आसींद से आकर वहां बसे थे। नथमलजी उनके एकमात्र पुत्र थे। उनका जन्म संवत् 1911 में हुआ। प्रारंभिक सामान्य शिक्षा के पश्चात् वे बाल्यावस्था में ही दुकान का कार्य देखने लगे। व्यापार कार्य में उनकी कर्तृत्व शक्ति ने अच्छा निखार पाया, अतः वे शीघ्र ही एक कुशल व्यापारी बन गए। क्रमशः उनका व्यापार उन्नत और विस्तीर्ण होता चला गया। उत्तरोत्तर सफलता के सोपान चढ़ते हुए वे वहां के एक धनी और प्रभावशाली व्यक्ति बन गए। ब्यावर के गणनीय व्यक्तियों में उनका नाम आने लगा।

*तीन विवाह*

नथमलजी का प्रथम विवाह उस समय की परंपरा के अनुसार बाल्यकाल में ही कर दिया गया। उनकी पत्नी ब्यावर के निकटस्थ गांव 'समेल' की थी। वह बहुत स्वल्प आयुष्य लेकर आई थी, अतः युवावस्था के द्वार तक पहुंचते-पहुंचते ही दिवंगत हो गई। पारिवारिक जनों ने तब उनका दूसरा विवाह भीलवाड़ा मंडल के मोतीपुरा गांव में किया। वह पत्नी भी दो पुत्रियां देकर चल बसी।

भारतीय समाज में पुत्र को बड़ा महत्त्व दिया जाता है। पुत्रियों को पराया धन समझा जाता है। इसीलिए अनेक पुत्रियां होने पर भी पुत्र की आकांक्षा बनी रहती है। पिता की वंश परंपरा को पुत्र ही आगे बढ़ाता है। नथमलजी के मन में भी यह भावना थी। वे अपनी संपत्ति का उत्तराधिकारी तो चाहते ही थे, पर मूल बात वंश के नाम की थी। उक्त भावना ने उन्हें तीसरा विवाह करने को प्रेरित किया। रानी स्टेशन के पार्श्ववर्ती गांव मांडल में उनका वह विवाह संवत् 1961 में संपन्न हुआ। उनकी तीसरी पत्नी का नाम धापू बाई था। यद्यपि वह मूर्तिपूजक आम्नाय की पुत्री थी, परंतु रांका परिवार में आते ही तेरापंथ में ऐसी रच-पच गई कि एक प्रमुख श्राविका के रूप में जानी जाने लगीं।

आशा और निराशा के द्वंद में वर्ष पर वर्ष व्यतीत होते रहे, परंतु धापू बाई की गोद हरी नहीं हुई। दंपत्ति ने तब पूरे विचार-विमर्श के पश्चात् बदनोर निवासी लिखमीचंदजी रांका के पुत्र कंवरलालजी को गोद ले लिया।

*कूप-निर्माण*

नथमलजी एक उदारमना व्यक्ति थे। उनमें धन कमाने की कला थी तो उसे व्यय करने की भी। जनहित के किसी भी कार्य में वे मुक्त हस्त व्यय करने में नहीं हिचकते थे। ब्यावर शहर जब विस्तार पाने लगा तब उसकी जल व्यवस्था गड़बड़ाने लगी। नए जल स्रोतों की खोज आवश्यक हो गई। नथमलजी ने उस समय ब्यावर के निकट 'जालिया' में एक बड़ा कूप खुदवाया। संयोग से उसमें अच्छा और भरपूर जल निकल आया। पेयजल की आपूर्ति का उस समय के लिए वह एक श्रेष्ठ साधन बन गया। जनता की पीड़ा के प्रति बढ़ती गई उक्त जागरूकता ने जनमानस में नथमलजी का स्थान बहुत ऊंचा कर दिया। जनकवि नारायण प्रसाद पांडे ने उस समय एक तुक्का कहा। वह आज भी लोगों के मुख पर मुखरित है। वह इस प्रकार है—

"पांडे ने इक बात उपाई,
वह जन-जन के मन में भाई।
ब्यावर शहर दुनिया में बांका,
कुवा खुदा गया नथमल रांका।।"

नगर की प्यास बुझाने में अत्यंत उपयोगी वह उपक्रम सभी ओर से प्रशंसित हुआ। तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी ने भी उसके लिए नथमलजी को एक धन्यवाद पत्र भेंट किया।

*"एक बनिया क्या कर सकता है...?" यह नथमलजी रांका के एक जीवन-प्रसंग* से जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 *अधिवेशन स्थल - रामलक्ष्मण पेरेडाइस, चेन्नई से..*

🎴 *अभातेमम 43 वां राष्ट्रीय महिला अधिवेशन संकल्प*

📍 *प्रथम सत्र विषय - संकल्पों का दौर कदम सृजन की ओर*

📍 *अभातेमम अध्यक्ष श्रीमती कुमुद कच्छारा द्वारा अध्यक्षीय आव्हान*

📍 *महामंत्री नीलम सेठिया द्वारा वर्ष भर में हुए उपलब्धि पूर्ण कार्यो की जानकारी प्रदान*

📍 *लगभग 230 क्षेत्रो से तरकरीबन 1200 संभागियों की उपस्थिति*

दिनांक: 03/10/2018

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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 03 अक्टूबर 2018

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

👉 *अधिवेशन स्थल - माधावरम, चेन्नई से..*

🌐 *पूज्य गुरुदेव के पावन सान्निध्य में अभातेमम के 43वें राष्ट्रीय महिला अधिवेशन संकल्प का पुरजोर हुआ आगाज*

📍 *असाधारण साध्वी प्रमुखाश्री जी के मार्गदर्शन में*

📍 *अभातेमम अध्यक्ष श्रीमती कुमुद कच्छारा की गरिमामय उपस्थिति में*

📍 *सुदूर देश के विभिन्न क्षेत्रों से समागत केशरिया परिधान में सुसज्जित नारी शक्ति पूज्यवर व साध्वी प्रमुखा श्री के सान्निध्य में*


दिनांक: 03/10/2018

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💎 *संघ - संपदा बढ़ती जाए, प्रगति शिखर पर चढ़ती जाए ।* ⛰
🌈 *भेक्ष्व शासन नन्दन वन की सौरभ से सुरभित भूतल हो।।*🌷

⛩ *चेन्नई (माधावरम), महाश्रमण समवसरण में..*

💠 *आज होगा अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के 43वें राष्ट्रीय अधिवेशन "संकल्प" का शुभारंभ..*
🙏 *गुरुवरो धम्म-देसणं!* 🙏

👉 *आज के "मुख्य प्रवचन" कार्यक्रम के कुछ विशेष दृश्य..*

दिनांक: 03/10/2018

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