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आज दिनांक 13 अक्टूबर को हरीपर्वत, आगरा मे स्थित श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर जी के सामने निर्मित मानस्तम्भ मस्तकाभिषेक का शुभारंभ प. पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज के पावन सानिध्य में आरम्भ
इस अवसर पर विशाल घटयात्रा एवं विशाल धर्म सभा का आयोजन
घटयात्रा का दृश्य दर्शनीय था जिसमें लगभग हजारों महिलाए पंक्तिबद्ध होकर मंगल कलश लेकर जय जयकार के नारे लगाते हुए चल रही थी।
बैंड बाजो की ध्वनि अनेक झण्डे लेकर चलने वाले व्यक्ति बनाया गया ।सुंदर मानस्तंभ घटयात्रा में चार चाँद लगा रहे थे।
प्रतिष्ठाचार्य पं. श्री सनत कुमार श्री विनोद कुं.जी राजवाश जिला सागर (म. प्र.) के निर्देशन में महिलाओं से पंडाल एवं मांसतंभ की शुद्धि की।
पश्चात पूज्य आचार्य श्री ज्ञासागर जी मुनिराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि भारतीय संस्कृति में प्रभु प्रार्थना का बहुत महत्व है। व्यक्ति सुख शांति हेतु मंदिर, मस्जिद,गुरुद्वारा जाता है। मंदिरों में जाकर व्यक्ति का अन्य सांसारिक विकल्प नहीं करना चाहिए।प्रभु के गुणगान करते हुए यही भावना भाना चाहिए कि हे प्रभु जिन गुणों की आपने की है उन गुणों की प्राप्ति हमें भी हो जाए।
मंदिरो के सामने अधिकांश स्थानों पर विशाल मानस्तम्भ बनाए जाते है।
आगरा महानगर में श्री शांतिनाथ दि. जैन मंदिर के सामने निर्मित मंस्तंभ का 6 वर्षों के बाद मानस्तंब में विराजमान चारो प्रतिमाओं का अभिषेक होता है, जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति का अहंकार मान चूर चूर हो जाता है।
इस बार 8 वर्षों बाद मानस्तम्भ का महामस्तकाभिषेक का आयोजन घटयात्रा के द्वारा प्रारंभ हुआ।
भव्य जुलूस में हजारों महिलाए सिर पर मंगल कलश रखकर जब चल रही थी बड़ा ही भव्य दृश्य सभी को लग रहा था! आप सभी का उत्साह आगे भी इसी तरह वृद्धिगत रहे। 8 वर्षों के बाद आप सभी को अभिषेक करने का जो सौभाग्य प्राप्त हो रहा है, उसमें प्रमाद मत करना। सभी प्रभु का अभिषेक कर यही भावना भाना की मेरी आत्मा भी आप जैसी पवित्र हो। पूज्य श्री के प्रवचन के पश्चात भक्तामर विधान हुआ । जिसमें अनेक श्रद्धालुओं ने पूजन की।
Source: © Facebook
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