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*14/12/2018 आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🌸 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का विहार पथ* 🌸
(संभावित कार्यक्रम)
*14 दिसम्बर 2018*
*प्रववन व प्रवास स्थल*
Govt. Higher Secondary School, Saram
Saram, Tamil Nadu 604307
लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।
https://goo.gl/maps/wijXz2Qna6C2
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
10.5 kms From kyatsandra
to Agham Mandir,
Tumkur
बैगलोर-हिरियुर रोड
☎9602007283,9535050000
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी का प्रवास*
कामघेनु ग्रेनाईट
गोलापल्ली गांव
बैगलौर -कृष्णगिरी हाईवे
☎8085400108,9894362604
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी, मुनि श्री प्रशान्त कुमार ठाणा 5 का प्रवास*
Premchand ji Surana
13/1 Nathan Nagar -2
Subramaniya puram
Coimbatore -641002
☎9345490434,9487534817
9629588016,
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री तन्मय कुमार जी आदि ठाणा 3 का प्रवास*
प्यारेलाल जी पितलिया के निवास स्थान पर
No-21,Ranganathan Avenue Road
Kilpauk,Chennai- 10
☎9558651374,9840066262
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या मुख्य नियोजिका साध्वी श्री विश्रुत विभा जी ठाणा 20 का प्रवास*
NATIONAL POLYPLAST INDIA LTD
Thiruvandarkoil, Puducherry 605107
https://maps.app.goo.gl/ut3P4
☎ 8209531985,9442001073
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावती जी ठाणा 5* का प्रवास
प्रकाशचंद जी मुकेशजी मुथा
26-दीवान रामा रोड
पुरुषवाकम, चैनैइ
☎9710428995
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
लूणचन्दजी,मोतीलाल जी सुराणा के निवास स्थान
त्यागराज पुरम Vellore
चेन्नैइ-बैगलोर हाईवे
☎7044937375,9741248298
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर, बैगलौर*
☎080-22912735
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री राकेश कुमारी जी (बायतु) ठाणा 4* का प्रवास
College मे
बेगनुर
☎7702146197,
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4 का प्रवास*
Ligana Halli से विहार करके Jain Publi School NH 4 Tumkur road पधारें गें।
टुमकुर से 6Km पहले हे।
हिरियुर- बैगलौर रोड
☎6375865526,9448371822
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
सुनील जी दलाल
#3 Bhikshu Sadhana
Buddha Marg near Mahadeshwara Nursing Home Mysore
☎9448023050,9845013961
9601420513
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
जूगराज जी श्री श्रीमाल
#1 (Old no:977),JUGRAJ 11th Main,46th Cross,3rd Block Opp wellness
Rajajinagar,Bangalore-10
☎7798028703,9845351101
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*संघ संवाद What'sapp से जुड़ने के लिए दिए गए link पर जाकर Click करें*
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*संघ संवाद की और अधिक जानकारी के लिए इन नम्बरो पर संपर्क करें*
📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रंखला -- 493* 📝
*मंगलप्रभात आचार्य मघवागणी*
*और*
*आचार्य माणकगणी*
आचार्य मघवागणी एवं माणकगणी तेरापंथ धर्मसंघ के प्रज्ञावान एवं यशस्वी आचार्य थे। मघवागणी फूल की तरह कोमल प्रकृति के थे। माणकगणी के व्यक्तित्व में माणिक जैसी चमक थी। मघवागणी के सौम्य स्वभाव और माणकगणी की नई विचारधारा ने धर्मसंघ को बहुमुखी प्रगति दी। अहिंसा एवं अध्यात्म के पथ को उजागर किया।
*गुरु-परंपरा*
मघवागणी एवं माणकगणी दोनों के दीक्षा गुरु जयाचार्य थे एवं शिक्षा गुरु भी जयाचार्य ही थे। जयाचार्य से पूर्व की गुरु-परंपरा में आचार्य भिक्षु के उत्तराधिकारी भारमलजी, भारमलजी के उत्तराधिकारी रायचंदजी एवं रायचंदजी के उत्तराधिकारी जयाचार्य थे।
*जन्म एवं परिवार*
मघवागणी का जन्म बिदासर में वीर निर्वाण 2367 (विक्रम संवत् 1897) चैत्र शुक्ला एकादशी को बेगवानी परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम पूरनमलजी और माता का नाम बन्नांदेवी था। छोटी बहन का नाम गुलाब था। मघवा नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मघराज रखा गया।
माणकगणी का जन्म राजस्थान की राजधानी जयपुर नगर में वीर निर्वाण 2382 (विक्रम संवत् 1912) भादवा कृष्णा चतुर्थी को जौहरी परिवार में हुआ। उनका गोत्र खारड़ था। उनके पिता का नाम हुकमीचंदजी एवं माता का नाम छोटांजी था। उनके बाबा का नाम लक्ष्मणदासजी था।
*जीवन-वृत्त*
मघवागणी एवं गुलाब दोनों रूप संपन्न एवं बुद्धि संपन्न थे। युवाचार्य जीतमलजी का बिदासर में चातुर्मास हुआ। युवाचार्य के प्रवचनों ने बिदासर के लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूरनमलजी की पत्नी बन्नांजी, पुत्र मघराज एवं पुत्री गुलाब के मन में जयाचार्य के प्रवचनों से नया परिवर्तन आया। ये तीनों संयमी जीवन ग्रहण करने के लिए तैयार हुए। संयमी जीवन स्वीकार करने के लिए कम से कम नौ वर्ष की आयु होना आवश्यक है। गुलाब की आयु कम होने के कारण महान् त्याग मार्ग पर बढ़ने में बाधा थी। पुत्री को साथ रखने के लिए मां बन्नांजी को कुछ समय के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी। मघवागणी के मन में मुनि बनने की अत्यधिक उत्सुकता थी। उन्हें अपने इस कार्य में स्वल्प समय का विक्षेप भी भारी अनुभूत हो रहा था, अतः वे मां से अनुमति प्राप्त कर दीक्षा के लिए तैयारी करने लगे। युवाचार्य जीतमलजी के सामने अपनी भावना प्रस्तुत की। तत्त्वज्ञान सीखा। बालक के व्यक्तित्व में अप्रतिम योग्यता प्रतिभासित हो रही थी। युवाचार्य जय बालक के जीवन से प्रभावित हुए। उन्होंने चातुर्मास समाप्ति के बाद मृगसर कृष्णा पंचमी को मघराज को दीक्षा प्रदान करने की घोषणा की। इस घोषणा से मघराज के मन में खुशियां उछलने लगीं। परिवार वालों ने नाना प्रकार के उत्सव मनाए। दीक्षा तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही थी, वैरागी के मन का उल्लास बढ़ता जा रहा था।
*वैरागी मघराज की दीक्षा के दिन घटना-चक्र ने एक विचित्र मोड़ लिया...* उसके बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।
🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡
📜 *श्रंखला -- 147* 📜
*भैरजी सालेचा*
*तेरापंथ में*
भैरजी सालेचा जसोल के सेवापरायण श्रावकों में से एक थे। वे जसोल के सालेचा परिवार में बाहर से गोद आए थे। अपने परिवार में वे पहले मंदिरमार्गी थे। गोद आने के पश्चात् भी बहुत वर्षों तक कट्टरता पूर्वक उसी आम्नाय को मानते रहे। धीरे-धीरे और बड़े संकोच के साथ जब वे तेरापंथ के संपर्क में आए तब साधु-साध्वियों के कठोर आचार-व्यवहार को देखकर सहज ही उधर आकृष्ट होते चले गए। फिर तो वे स्वयं ही तेरापंथ के विषय में अधिकाधिक जानकारी करने में रुचि लेने लगे।
संवत् 1967 में मुनि फौजमलजी का जसोल में चातुर्मास हुआ। उनके संपर्क ने भैरजी को जहां तत्त्वज्ञान दिया वहां धार्मिक निष्ठा भी प्रदान की। पूर्ण रूप से तात्त्विक जानकारी प्राप्त कर लेने के पश्चात् उन्होंने मुनिश्री के पास तेरापंथ की गुरुधारणा कर ली और अन्य व्यक्तियों के साथ एकरस होकर उस मार्ग पर आगे बढ़ने लगे।
*जैसे को तैसा*
भैरजी सालेचा घमंडीरामजी महता के समवयस्क तो थे ही, समधी भी थे। विनोद के लिए मनुष्य हर किसी को अपने मजाक का लक्ष्य बना लेता है। फिर समधी को तो इसका सर्वप्रथम पात्र समझा जाता है। दोनों समधियों में परस्पर खूब मजाक चला करता था। यद्यपि दोनों में प्रकृतिगत और कार्यगत काफी अंतर था, पर कुछ समानताएं भी थीं। दोनों ही कविता में रुचि लेने वाले थे और स्वयं भी कविता किया करते थे। धार्मिक क्षेत्र में दोनों का प्रायः साथ रहा करता था। एक बाहरी समानता उनमें यह भी थी कि दोनों ही दाढ़ी रखा करते थे। घमंडीरामजी की दाढ़ी बहुत सघन थी। वे उसे खूब संवार कर रखा करते थे, किंतु भैरजी की दाढ़ी वैसी नहीं थी। केवल उनकी ठुड्डी पर ही थोड़े से केश थे। घमंडीरामजी उसे बहुधा 'बकर-दाढ़ी' कहकर उपहास किया करते थे।
एक दिन घमंडीरामजी ने भैरजी की उस विरल सी दिखाई देने वाली दाढ़ी को अपने विनोद का लक्ष्य बनाया। उन्होंने एक सोरठा सुनाते हुए कहा—
"दाढ़ी दे दातार, फरहर लागै फूटरी।
चूंखा मत दे चार, कुल लजवावै कूतरी।।"
अर्थात् हे भगवान! दाढ़ी ही देनी हो तो खूब सघन देना जो की हवा में लहराती हुई बड़ी सुंदर लगे। ऐसी दाढ़ी मुझे कभी मत देना जो रुई के चिपकाए हुए दो-चार फाहों की तरह दिखाई दे। ऐसी दाढ़ी तो वस्तुतः अपने कुल को लज्जित करने वाली ही होती है।
सोरठा क्या था वस्तुतः भैरजी पर एक करारा व्यंग था। व्यंग से भी आगे वह उनके व्यक्तित्व पर भी चोट करने वाला था, किंतु भैरजी ऐसी चोटों से घबराने वाले व्यक्ति नहीं थे। वे स्वयं भी तो समय-समय पर ऐसी ही विनोदात्मक चोटें करते रहते थे। इस अवसर पर भी वे कब चूकने वाले थे। जैसे को तैसा उत्तर देते हुए उन्होंने भी एक करारा सा दोहा बनाकर सुनाया—
"घास फूस मगरै घणा, सुण रे शाह सगा।
असल केसरी सिंह रै, साढ़े तीन तगा।।"
अर्थात् समधीजी! पहाड़ों पर उग आने वाला घास-फूस सघन तो बहुत होता है, परंतु उसे जो चाहे सो ही काट कर ले जाता है। दूसरी ओर शेर के मुख पर पूरे चार केश भी नहीं होते, परंतु देखें उसके कोई हाथ तो लगा ले।
*तपस्या में रुचि*
भैरजी जहां सामायिक आदि नित्य क्रियाएं नियमित रूप से किया करते थे, वहां समय-समय पर विभिन्न तपस्याएं भी किया करते थे। तपस्या में उनकी स्वाभाविक अभिरुचि थी। प्रतिवर्ष 5, 7, 10 या 15 तक का कोई थोकड़ा अवश्य कर लिया करते। उसके अतिरिक्त उपवास, बेला आदि भी प्रतिवर्ष काफी संख्या में हो जाया करते थे। अधिक से अधिक उन्होंने मासखमण की तपस्या की थी। संवत् 1981 में उनका देहावसान हो गया।
*पचपदरा के धार्मिक वृत्ति वाले श्रावक बनजी चंदाणी का प्रेरणादायी जीवन-वृत्त* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🛐 *श्री जिन धर्म मांही जे रसिया,* 🎼
☝ *त्यांरै देव गुरु दिल बसिया रे ।* ❤
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🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ विहार करके "औंगुर" (T.N.) पधारेंगे..*
🛣 *आज का विहार लगभग 10 कि.मी. का...*
⛩ *आज दिन का प्रवास: गवर्नमेंट हाई स्कूल, औंगुर" (T.N.)*
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👉 *आज के विहार के कुछ मनोरम दृश्य..*
दिनांक: 13/12/2018
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👉 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत प्रवचन का विडियो:
*मनोवृति की दुर्बलता: वीडियो श्रंखला३*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
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Helpline No. 8233344482
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👉 प्रेक्षा ध्यान के रहस्य - आचार्य महाप्रज्ञ
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