09.01.2019 ►Acharya Shri Gyan Sagar Ji Maharaj Ke Bhakt ►News

Published: 10.01.2019

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मथुरा जिला कारागृह में आचार्य श्री का मंगल प्रवचन....

दिनांक 8 जनवरी को जिला कारागृह, मथुरा में कैदियों को संबोधित करते हुए पूज्य आचार्य श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि पूरे विश्व के लोग मथुरा आते हैं, श्रीकृष्ण की जन्म भूमि है। जेल में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, व्यक्ति जन्म से नहीं कर्म से महान बनता है। जीवन को सफल करने के लिए आवश्यक है अच्छे कार्य करें। प्रभु की भक्ति करें, बड़ों का सम्मान दें, दया करुणा परोपकार की भावना को बलवती बनाएं। आप जेल में रहकर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, क्या आप के मां पिता परिवार जन को दुख नहीं होता होगा? अवश्य होता होगा, आपका कर्तव्य था कि आप घर में रहकर अपने कर्तव्यों का पालन करते, अपने बच्चों को संस्कारित करते, पर आपने आवेश में आकर लोभ में आकर ऐसे कार्य किए जो नहीं करना चाहिए। आपने वह कार्य किये है जिसकी वजह से आज आप कारागृह में रह रहे हैं। अपनी अपनी करनी का फल अवश्य मिलता है। अगर बुरे कर्म करेंगे, बुरा फल मिलेगा; अच्छे कर्म करोगे तो अच्छा फल मिलेगा।

आप आगे संकल्प ले कि जो कुछ हुआ उसे पुनः नहीं करेंगे। अच्छे कार्य करके इस कलंक को धो दूंगा। *जो भी अपराध आपसे हुए हैं उसके प्रति पश्चाताप की भावना रखें। गुरुओं के पास जाकर अपने पाप की निंदा गृहा करें ताकि आपकी जीवन रूपी मैली चादर साफ-सुथरी हो जाए।* जीवन मात्र खाने-पीने सोने के लिए नहीं है, ऐसा जीवन तो पशु भी जी लेते हैं। आप मनुष्य हैं, मनुष्य होने के नाते आप ऐसे कार्य करें जिससे नर जीवन सफल हो सके।

आपने श्रवण कुमार का नाम सुना है जिन्होंने अपने कंधे पर मां पिता को चारों धाम की यात्रा कराई थी। एक इतिहास बनाया था और शिक्षा दी थी कि अगर आप अपने मां पिता की सपूत संतान है तो जीवन मैं कभी भी ऐसा कोई कार्य नहीं करना है जिससे मां पिता का नाम, आपका नाम बदनाम हो। घर के लोगों के ऊपर क्या गुजरती है, कैसे वह पर्व को मनाते हैं, कुछ बहन को कैसा लगता होगा जिसका भाई जेल में है, उस पत्नी को बच्चे को कैसा लगता होगा? सोचो! और आगे अच्छा जीवन बने इस हेतु प्रयास करें।

जेलर साहब को ही आप पिता जैसा सम्मान दें। वह भी आप सभी को अपनी संतान जैसा प्रेम वात्सल्य देते हैं। वह आप सभी को सुविधाएं देते हैं। उनके प्रति भी आप अपने कर्तव्यों का पालन करें। *प्रकृति ने आपको शाकाहारी बनाकर भेजा है, मांसाहारी नहीं। प्रकृति प्रदान भोजन करें ताकि आपके विचार अच्छे रहें। आचरण अच्छा रहे।* जैसा खाए अन्न, वैसा होवे मन; जैसा पियो पानी, वैसे होवे वाणी। आप खान पान की शुद्धि पर ध्यान दें, ताकि आप स्वस्थ रहें। मां पिता के बहुत अरमान होते हैं, मेरा बेटा डॉक्टर वकील इंजीनियर बनेगा परंतु आप तो मथुरा जेल में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। कैसा लगता होगा? उनको बीती ताहि बिसार के आगे को सुध लें, जो कुछ हुआ उसे आगे नहीं करेंगे। अब तो उस जेल से निकल कर अच्छे कार्य करके जीवन के नक्शे को अच्छा बनाएंगे। महापुरुषों ने अच्छे कार्य किए, उन अच्छे कार्यों को करने का आप भी संकल्प लें ताकि आप भी महापुरुषों की श्रेणी में अपना नाम लिखवा सकें।

*नशीले पदार्थों से दूर रहें ताकि आपका जीवन विनाश की कगार पर ना जाए।*

नशीले पदार्थों का प्रयोग आपको अनेक बीमारियों से जकड़ देता है, अतः आप सभी नशीले पदार्थों से दूर रहे।

अंत में आचार्य श्री ने जैन धर्म की विशेषताएं बताते हुए दिगंबरत्त्व की चर्चा की।

इस अवसर पर ब्र. अनीता दीदी ने कहा, जहां-जहां भी जिन जिन जिलों में आचार्य श्री के प्रवचन हुए, वहां के कैदियों ने आचार्य श्री के प्रवचन से प्रभावित होकर अंडे मांस मछली तथा नशीले पदार्थों का त्याग किया। आप सभी से भी अपेक्षा है कि आप सभी भी नशीले पदार्थों का, मांसाहार आदि का त्याग कर जीवन को शाकाहारी बनाए। ताकि आप स्वस्थ एवं साआनंद रहे। *आज मथुरा की 87वें जेल* में महाराज श्री का आगमन हुआ है। इन संतों की भावनाएं रहती है कि आप अपने घरों को स्वर्ग बनाएं, राम सीता के आदर्शों को अपनाएं ताकि जीवन का विकास हो।

प्रवचन के पश्चात श्री अरविंद जी पांडेय जेलर साहब ने कहा कि आचार्य श्री के प्रवचन सुनकर बहुत अच्छा लगा। आचार्य श्री ने एक नेक इंसान बनने की प्रेरणा दी है, आप इनके प्रवचन को ग्रहण करके अपने जीवन को सुधारें। पूज्य श्री ने सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। मैं भले ही आपसे छोटा हूं, पर सभी में मुखिया की भूमिका निभा रहा हूं। आप सभी खुश रहें तो मुझे भी खुशी होती है। आप दुखी होते हैं, तो हमें भी दुख होता है। जेलर साहब ने इस बीच कहा कि कुछ ऐसे गरीब कैदी बंधु हैं, जिनको हुनर की आवश्यकता है। जैन समाज ने ऐसे कैदी बंधुओं को हुनर देने की भावना व्यक्त की। पूज्य श्री के प्रवचनों से प्रभावित होकर श्री कई कैदियों ने अंडे, मांस, मछली एवं नशीले पदार्थों का त्याग किया। तदनंतर कैदियों को फल वितरित किए गये।

पूज्य श्री के प्रवचन सुनते समय कई कैदी बंधुओं की आंखों से आंसू थे।

Source: © Facebook

आचार्य श्री ससंघ मंगल विहार...

षष्ठपट्टाचार्य परमपूज्य सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी मुनिराज ससंघ का मंगल विहार आज दिनांक 09-01-019 को दोपहर 2:30 बजे राधा गोविंद मंदिर, जैंत से माँ नरी सेमरी देवी अतिथि गृह, सेमरी के लिए हुआ।

आज रात्रि विश्राम माँ नरी सेमरी देवी अतिथि गृह, सेमरी मथुरा (उ.प्र.) में होगा।

आचार्य श्री का मंगल विहार दिल्ली की और चल रहा है।

अधिक से अधिक संख्या में विहार में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।

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