15.01.2019 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 15.01.2019
Updated: 17.01.2019

Update

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*16/01/2019 आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं चारित्रात्माओं के दक्षिण भारत में सम्भावित विहार/ प्रवास सबंधित सूचना*
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🌸 *परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी का विहार पथ* 🌸
(संभावित कार्यक्रम)
*16 जनवरी 2019*

*प्रवचन स्थल व प्रवास स्थल*
Sastra University Road, Tirumalaisamudram, Tamil Nadu 613401

लोकेशन जानने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें।

https://maps.app.goo.gl/63uuw
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ति मुनिश्री मुनिसुव्रत कुमार जी ठाणा 2* का प्रवास
तेरापंथ भवन हिरियूर से विहार करके विहारधाम होसुर पधारेंगे
हिरियुर - चित्रदुर्गा हाईवे
☎9602007283
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री रणजीत कुमार जी एवं मुनि श्री रमेश कुमार जी का प्रवास*
SRI VANI INTERNATIONL SCHOOL - CBSE
सेलम - इरोड रोड
☎8085400108,7000790899
9442600853
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी, मुनि श्री प्रशान्त कुमार ठाणा 5 का प्रवास*
*Sampatmal ji Deepak* *kumar Tater*
*S-3*, *first* *floor*
*Saphire Block*
*Prime Apartment*
*Tiruppur*
☎7397261201,8107033307
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री डाॅ अमृत कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
*Sampatmal ji Deepak* *kumar Tater*
*S-3*, *first* *floor*
*Saphire Block*
*Prime Apartment*
*Tiruppur*
☎7023159043,9363013721
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री राज कुमार जी ठाणा 2 का प्रवास*
प्राइमरी स्कूल
तोमापल्ली
☎7305863274
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत कुमार जी ठाणा 3 का प्रवास*
राजेन्द्रा भवन
काकीनाड़ा
☎9665000605
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔹 *आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री तन्मय कुमार जी आदि ठाणा 3 का प्रवास*
Madanlalji Neeraj kumar Marlecha
Kuppu Muthu Street
Near Srinivasa Hotel
Ellis Road, Chennai
☎9558651374,
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या मुख्य नियोजिका साध्वी श्री विश्रुत विभा जी ठाणा 20 का प्रवास*
तेरापंथ सभा भवन
Coimbatore
☎8209531985,7010955917
7200690967
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री यशोमती जी ठाणा 4* का प्रवास
लादुराम जी सुमेरचंद जी डुगरवाल
श्रीपुरम,बैगलौर
☎7892993369,7297958479
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री विद्यावती जी ठाणा 5* का प्रवास
अशोक कुमार जी अनिल कुमार जी लुणावत
No 7/15 Barracks Gate Road
Pattalam Chennai-12
Near-Terapanth Vidayalaya
☎7010865763,9940347212
8825668982
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या शासन श्री साध्वी श्री कंचनप्रभा जी ठाणा 5* का प्रवास
*तेरापंथ सभा भवन*
*गॉधीनगर, बैगलौर*
☎080-22912735
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*संघ संवाद* + *संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिस्या साध्वीश्री काव्यलताजी ठाणा - 3*
Umed Singh ji Bokaria
I-45 Annanagar East
I- Block 10th Street
Chennai- 600102
☎8428020772,9841026820
8056026820
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*संघ संवाद+ संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री सुर्दशना श्री जी ठाणा 4* का प्रवास
सुबह इडिया पट्टी से विहार कर के फ़्रि.बी.रोड गांव शंकरी तिरन् चिनमलाई मेमोरियल में तामिगाउडर सर के घर पर विराजें गें।
कल का विहार 9 Km का हे।
सेलम- इरोड रोड
☎9829812488,9448371822
9901043079,
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*संघ संवाद + संघ संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री लब्धि श्री जी ठाणा 3 का प्रवास*
शांतिलाल जी सुकलेचा के निवास स्थान पर
नंजंनगुड
मैसुर - ऊटी रोड
☎9601420513
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*संध संवाद*+ *संध संवाद*
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🔸 *आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री मधुस्मिता जी ठाणा 6 का प्रवास*
Laxmipat Ji Dugar
591,Signature Appartments,Flat no.SA,Behind Reliance Digital,Raja rajeshwari Nagar,Bangalore-560098
☎7798028703,9986594408
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*संघ संवाद*+ *संघ संवाद*
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*संघ संवाद What'sapp से जुड़ने के लिए दिए गए link पर जाकर Click करें*
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*संघ संवाद की और अधिक जानकारी के लिए इन नम्बरो पर संपर्क करें*
📲 *जितेन्द्र घोषल*: *9844295823*
📲 *मंजु गेलडा*: *9841453611*
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*प्रस्तुति:- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 15 जनवरी 2019

प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Update

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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।

📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙

📝 *श्रंखला -- 516* 📝

*कमनीय कलाकार आचार्य कालूगणी*

*समय के पारखी*

कालूगणी को प्राचीनता से मोह नहीं था और उनका नवीनता के प्रति उपेक्षा भाव नहीं था। वे समय के पारखी थे। स्वस्थ परंपरा एवं संस्कृति के संरक्षक थे। उन्हें आवश्यकता एवं उपयोगिता के अनुसार नई परंपरा को जन्म देने में भी तनिक झिझक नहीं थी।

एक बार उदयपुर चातुर्मास में राजलदेसर निवासी चम्पालालजी बैद की प्रेरणा से स्थानीय रेजिडेंट ने गुरुदेव कालूगणी के दर्शन किए। नीचे बैठने में रेजिडेंट को कठिनाई थी। इसलिए गुरुदेव के सामने उनके बैठने के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई। तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य देव के सामने इस प्रकार की व्यवस्था करने का यह प्रथम अवसर था। कार्यक्रम संपन्न होने के बाद चम्पालालजी ने अपने द्वारा की गई नई व्यवस्था के संबंध में गुरुदेव से क्षमा मांगी। गुरुदेव प्रसन्न मुद्रा में बोले "चम्पालालजी! बगत देख नहीं वरतै वो बाणियो गंवार।" जो समय देखकर कार्य नहीं करता वह बनिया भी गंवार बुद्धि का होता है। आचार्यश्री कालूगणी के एक ही वाक्य ने सारे वातावरण को बदल दिया।

आचार्यश्री कालूगणी सक्षम व्यक्तित्व के धनी थे। एक बार सुप्रसिद्ध जर्मन विद्वान् डॉ. हर्मन जेकोबी ने उनके दर्शन किए। यह घटना वीर निर्वाण 2440 फाल्गुन शुक्ला दशमी (विक्रम संवत 1970) की है। डॉ. जेकोबी 18 भाषाओं के विद्वान् थे। जैन दर्शन एवं आगमों के गंभीर अध्येता थे। कल्पसूत्र, आचारांग, सूत्रकृतांग और उत्तराध्ययन का उन्होंने आंग्ल भाषा में अनुवाद किया था। तेरापंथ धर्मसंघ की एकात्मता ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित किया। कालूगणी के समक्ष अपनी अंतर जिज्ञासा प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा "अहिंसा अपरिग्रह के संदेशवाहक जैन तीर्थंकर मांस भक्षण करते हैं, यह बात मेरे अंतर्मन ने कभी स्वीकार नहीं की पर आचारांग का अनुवाद करते समय 'मंसं वा मच्छं वा' पाठ देखकर मेरी प्राचीन धारणा बदल गई।"

आचार्य कालूगणी ने 'भगवती' आदि के आगमिक आधार पर चूर्णिकारों तथा टीकाकारों का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए 'मंसं वा मच्छं वा' पाठ का विवेचन किया और पन्नवणा सूत्र में आए हुए वनस्पति के साथ इस पाठ का उद्धरण देते हुए बताया 'मंसं वा मच्छं वा' नाम वनस्पति विशेष से संबंधित है।

आचार्य श्री कालूगणी से प्रामाणिक आधार पाकर डॉ. हर्मन जेकोबी की भ्रांति दूर हो गई और वे संतुष्ट होकर लौटे। जूनागढ़ की एक सभा में आचार्यश्री कालूगणी की सन्निधि का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा "मैं इस यात्रा में भगवान् महावीर की विशुद्ध परंपरा के वाहक श्रमण और श्रमणियों को देखकर आया हूं। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य कालूगणी से मुझे 'मंसं वा मच्छं वा' पाठ का सम्यक् अर्थबोध हुआ। इससे मेरी भ्रांत धारणा का निराकरण हो गया।"

डॉ. जेकोबी जैसे विद्वान् को प्रभावित करना कठिन कार्य था। जो आचार्यश्री कालूगणी द्वारा संभव हो सका।

*कमनीय कलाकार आचार्य कालूगणी के विद्वानों, नरेशों व सामान्य-जन पर प्रभाव* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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अध्यात्म के प्रकाश के संरक्षण एवं संवर्धन में योगभूत तेरापंथ धर्मसंघ के जागरूक श्रावकों का जीवनवृत्त शासन गौरव मुनि श्री बुद्धमलजी की कृति।

🛡 *'प्रकाश के प्रहरी'* 🛡

📜 *श्रंखला -- 170* 📜

*लालचंदजी पारख*

चुरू निवासी श्रावक लालचंदजी पारख का जन्म संवत् 1925 में हुआ। उनके पिता का नाम जुहारमलजी था। घर की आर्थिक स्थिति बहुत साधारण थी, अतः बाल्यकाल में ही उन्हें कार्य का महत्त्व समझने का अवसर मिला। अर्थाभाव जहां अनेक व्यक्तियों को निराश और हतप्रभ बना देता है वहां उनको उसने साहसी और बुद्धिमान बनाया। बाल्यावस्था से ही वे अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार कर स्वयं के पैरों पर खड़ा होने का प्रयास करने लग गए। जब वे 13 वर्ष के थे तभी रोकड़ संभाल लेने तक की क्षमता उन्होंने अर्जित कर ली थी। लगता है वाणिज्य उनके जीवन में प्रारंभ से ही सहज संस्कार बनकर आया था।

फतेहपुर निवासी मेघराजजी दूगड़ के पुत्र को उनके बड़ी बहन ब्याही गई थी। उनके सहयोग से वे कलकत्ता गए और उन्ही की दुकान पर कार्य करने लगे। मेघराजजी ने उनको बड़े प्यार से पुत्रवत् मान कर रखा। उन्होंने भी दुकान में जो भी कार्य उन्हें संभलाया गया उसे बहुत ही सुचारुता से पूर्ण किया। बाल्यकाल में इतनी कार्य-दक्षता और उत्तरदायिता उससे पूर्व मेघराजजी ने कभी किसी बालक में नहीं देखी थी। एक-एक कार्य की परीक्षा लेते हुए मेघराजजी ने उन्हें क्रमशः आगे बढ़ाया और प्रथम वर्ष में ही रोकड़ संभालने तक का कार्य समर्पित कर दिया। उसे बाल्यावस्था की उनकी योग्यता और क्षमता का एक प्रमाणपत्र कहा जा सकता है।

*नब्बे रुपये और नौकरी*

एक बार उन्होंने रोकड़ लिखी, परंतु उसमें नब्बे रुपये घट गए। उन्होंने कई बार रोकड़ को जांचा तथा रुपयों को गिना, परंतु गोल निकल नहीं पाया। जब वे असमंजसता की स्थिति में कभी रोकड़ और कभी रुपयों की छानबीन कर रहे थे तब दुकान के एक मुनीम ने उन पर व्यंग कसते हुए पार्श्वस्थित व्यक्ति से कहा— "सेठ ने रोकड़ का काम तो संभला दिया, परंतु बेचारे ने अपने जीवन में इतने रुपए कब देखे हैं? भूखमरा रोकड़ पर बैठेगा तो रुपए घटेंगे ही।"

लालचंदजी को मुनीम की वह बात बाण की तरह चुभ गई। वापस कुछ उत्तर दे पाएं ऐसी स्थिति में नहीं थे, अतः मन मसोस कर चुप ही रहना पड़ा। उन्होंने अत्यंत व्यग्रता के साथ रोकड़ और रुपयों को फिर जांचा, परंतु हिसाब बराबर नहीं हो पाया सो नहीं ही हो पाया। आखिर दुकान बढ़ा देने का समय होने पर खिन्नता के साथ वह कार्य अधूरा छोड़कर ही उठ जाना पड़ा। सोने का समय था। दुकान के सभी व्यक्ति सो गए। वे भी सोए तो सही किंतु आंखों में एक बल भी नहीं पड़ा। मुनीम का पूर्वोक्त व्यंग रह-रहकर उनके मन में टीसता रहा। वे सोचने लगे यदि ये नब्बे रुपए नहीं मिले तो मैं ही चोर समझा जाऊंगा। विचारों की उसी उधेड़बुन में उनके मस्तिष्क में एक विचार कौंधा। वह विचार क्या था, अमावस्या के सूचीभेद्य अंधकार में प्रकाश की एक रेखा थी। उस समय दस तथा सौ रुपयों के नोट एक ही आकार के थे। उन्होंने सोचा कहीं भूल से मैंने सौ का एक नोट दस रुपयों के नोटों की गड्डी में तो नहीं रख दिया है? उन्हें इतनी व्यग्रता हुई कि इस विचार की परीक्षा किए बिना नहीं रह सके। उसी समय उन्होंने सेठ को जगाया और अपनी दुविधा बतलाते हुए रुपयों को एक बार फिर से गिन लेने की इच्छा व्यक्त की।

मेघराजजी ने कहा— "अभी गिन लेने की कौनसी आवश्यकता है? प्रातःकाल होने पर ही गिन लेना। गड्डी में से निकल कर नोट कहीं भाग थोड़े ही जाएगा।"
लालचंदजी ने कहा— मुनीमजी ने मुझ पर जो व्यंग कसा है, उसने मुझे तिलमिला दिया। जब तक नब्बे रुपए नहीं मिल जाएंगे, मैं सो नहीं पाऊंगा।"

मेघराजजी ने उनकी व्यग्रता को देखा और समझा तत्काल तिजोरी से निकाल कर दोनों गड्डियां उनके सामने रख दी। लालचंदजी ने उनके सामने ही दस रुपयों वाली गड्डी को ध्यानपूर्वक देखना प्रारंभ किया तो पाया कि वस्तुतः ही सौ रुपए का एक नोट उसमें था।

दूसरे दिन लालचंदजी ने मेघराजजी से कह दिया कि अब मैं नौकरी नहीं करूंगा। बहुत समझाने-बुझाने तथा मुनीम को छोड़ देने तक की बात कह देने पर भी वे नहीं माने। उन्होंने कहा— "मुनीमजी को मेरी ईमानदारी पर विश्वास नहीं है, अतः मुझे किसी भी स्थिति में यहां नहीं रहना चाहिए। उन्होंने उसी दिन नौकरी छोड़ दी।

*लालचंदजी पारख ने नौकरी छोड़ देने के बाद अपनी आजीविका चलाने के लिए क्या साधन ढूंढा...?* जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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News in Hindi

☀ *केवलज्ञानी परुपियो, वारु तेहिज धर्म विचार हो।*🛐
🌻 *हितकारी, सुखकारी, सुगति तेह थी लहै।।*☝
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🙏 *पूज्यप्रवर अपनी धवल सेना के साथ प्रातःविहार करके "इनाडूकंपट्टी" (तन्जावूर) पधारेंगे..*
🛣 *आज प्रातःकाल का विहार लगभग 11 कि.मी. का..*

⛩ *आज दिन का प्रवास: राजा'स हायर सेकंडरी स्कूल, इनाडूकंपट्टी (T. N.)*
*लोकेशन:*
https://goo.gl/maps/sPszw95J17Q2

🙏 *साध्वीप्रमुखा श्री जी विहार करते हुए..*
👉 *आज के विहार के कुछ मनोरम दृश्य..*

दिनांक: 15/01/2019

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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला १४* - *भावनात्मक स्वास्थ्य और प्रेक्षाध्यान ४*

एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*

प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482

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