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👉 अहमदाबाद - कन्या किशोर कार्यशाला Cluster - 2019 कार्यशाला का आयोजन
👉 विजयनगर, बेंगलुरु - जैन संस्कार विधि द्वारा सामुहिक जन्मोत्सव
👉 बेंगलुरु - मतदाता जागरूकता अभियान कार्यक्रम आयोजित
प्रस्तुति: *🌻संघ संवाद 🌻*
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👉 प्रेरणा पाथेय:- आचार्य श्री महाश्रमणजी
वीडियो - 2 अप्रैल 2019
प्रस्तुति ~ अमृतवाणी
सम्प्रसारक 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैनधर्म की श्वेतांबर और दिगंबर परंपरा के आचार्यों का जीवन वृत्त शासन श्री साध्वी श्री संघमित्रा जी की कृति।
📙 *जैन धर्म के प्रभावक आचार्य* 📙
📝 *श्रृंखला -- 566* 📝
*विद्वद् रत्न आचार्य विमलसागर*
*जीवन-वृत्त*
गतांक से आगे...
विमलसागरजी मुनिचर्या के नियमों का दृढ़ता से पालन करते रहे। उनके सामने आहार आदि विधि में तथा अन्य साधनों की प्रवृत्तियों में कई कठिनाइयां भी उपस्थित हुईं, पर वे समता से सब स्थितियों को पार करते रहे। मुनि जीवन में पावापुर, इंदौर आदि क्षेत्रों में विमलसागरजी ने चातुर्मास किये और कई दीक्षाएं इनके द्वारा संपन्न हुईं।
विमलसागरजी के गुणों से प्रभावित होकर वीर निर्वाण 2488 (विक्रम संवत् 2018) मार्गशीर्ष शुक्ला द्वितीया के दिन आचार्य महावीरकीर्तिजी के आदेश से धर्म-संघ ने उनको आचार्य पद से अलंकृत किया।
विमलसागरजी के जीवन में कई विशेषताएं थीं। वे संस्कृत, हिंदी, गुजराती, मराठी, प्राकृत भाषा के विद्वान् थे। निमित्त-विद्या एवं सामुद्रिक विद्या के भी वे ज्ञाता थे। वे अपने संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को सरल भाषा में उद्बोधन देते एवं अनेकांत शैली से अपने विषय का विश्लेषण करते। ध्यान साधना के समय एक आसन में बैठकर वे घंटों ध्यान करते। समय-समय पर अनेक प्रकार के तप एवं व्रतोपवास भी करते और त्याग तप के लिए अन्य साधकों को भी प्रेरित करते रहते थे।
उपाध्याय भारतसागरजी, मुनि अरहसागरजी, सम्भवसागरजी, श्रमणसागरजी आदि मुनिगण नन्दामतीजी, आदिमतीजी, स्याद्वादमतीजी आदि आर्यिकाएं तथा क्षुल्लकश्री सन्मतिसागरजी, अनेकान्तसागरजी आदि विमलसागरजी के शिष्य परिवार में से हैं।
विमलसागरजी द्वारा दीक्षित सुमतिसागरजी भी एक विशिष्ट आचार्य हैं। इनके द्वारा भी कई मुनि दीक्षाएं, एलक दीक्षाएं, क्षुल्लक एवं क्षुल्लिका दीक्षाएं संपन्न हुईं।
आचार्य विमलसागरजी स्वर्गीय महावीरकीर्तिजी के पट्ट पर विराजमान थे। वे धर्म-संघ के दायित्व का सफलतापूर्वक वहन करते हुए धर्म-प्रचारक कार्य में विशेष प्रवृत्त रहे थे।
प्रस्तुति --🌻 *संघ संवाद* 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 9* 📜
*ऐतिहासिक काल*
*सम्प्रदाय-भेद के बीज*
जहां विचार होता है, वहां विचार-भेद की संभावना भी रहती ही है। विचार-समन्वय और विचार-भेद का इतिहास प्रायः एक समान ही प्राचीन है। पारस्परिक विचार-समन्वय जहां संगठन के लिए नींव का पत्थर बनता है, वहां विचार-भेद उसको विभक्त कर देने वाला विस्फोट होता है। विस्फोट में से फिर विचार-समन्वय की खोज होती है और उसी आधार पर नए संगठन अथवा सम्प्रदाय की नींव रखी जाती है।
भगवान् महावीर के शासन में विचार-भेद का क्रम उनकी विद्यमानता में ही प्रारंभ हो गया था। गोशालक प्रारंभ में उनके शिष्य रहे थे, परंतु बाद में पृथक होकर वे आजीवक सम्प्रदाय के आचार्य बने। महावीर के जमाता जमालि भी उनकी विद्यमानता में ही विचार-भेद हो जाने पर उनके संघ से पृथक हो गए और अपना स्वतंत्र प्रचार करने लगे। गोशालक जैन परंपरा से सर्वथा विच्छिन्न हो गए थे, जबकि जमालि कुछ बातों में मतभेद रखते थे। उन दोनों ने भगवान् महावीर के सिद्धांतों की प्रामाणिकता का विरोध किया था, अतः उनके संगठनों को जैन शासन के अंगभूत सम्प्रदायों की गणना में नहीं लिया जाता। भगवान् महावीर और उनके सिद्धांतों पर अखंड विश्वास रखने वाले विभिन्न संगठनों को ही इस गणना में लिया जाता है।
जैन संघ में तीर्थंकर-वाणी को सर्वोपरि प्रमाण माना जाता है। वह आत्मानुभूत प्रत्यक्ष के आधार पर सूत्ररूप में प्ररूपित है। उसकी व्याख्या में विभिन्न मतभेद हुए, जो कि सम्प्रदाय-भेद के बीच कहे जा सकते हैं। भाष्यकार तथा टीकाकार प्रत्यक्षदर्शी नहीं थे। उन्होंने सूत्र के आशय को यद्यपि परंपरा के प्रकाश में ही देखने का प्रयास किया, फिर भी जहां-जहां वह हृदयंगम नहीं हो पाया, वहां-वहां उन्होंने अपनी-अपनी युक्तियों को काम में लिया। फलस्वरूप अनेक मतभेद हुए और वे समय-परिपाक से विभिन्न सम्प्रदायों के रूप में फलित हुए।
*श्वेताम्बर और दिगम्बर संप्रदायों की स्थापना* के बारे में जानेंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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👉 राजाजीनगर, (बेंगलुरु) युवा किशोर संगोष्ठी एवं होली स्नेह मिलन का आयोजन
👉 बाड़मेर - सशक्त नारी देश की तकदीर बदल देगी कल की तस्वीर कार्यशाला का आयोजन
👉 टिटिलागढ - ज्ञानशाला प्रशिक्षण शिविर आयोजित
👉 लाछुड़ा -
◆ आध्यात्मिक मिलन त्रिवेणी संगम
◆ स्वागत समारोह का आयोजन
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला ९२* - *कार्य कौशल और प्रेक्षाध्यान ९*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
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🌻 *संघ संवाद* 🌻