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👉 दिल्ली ~ अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 राऊरकेला ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फैमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 दिल्ली ~ अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 राऊरकेला - सामूहिक तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
👉 दालकोला ~ अणुव्रत चेतना दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 अहमदाबाद - संथारा परिसम्पन्न
👉 बारडोली - अणुव्रत चेतना दिवस व नशा मुक्ति कार्यक्रम
👉 ब्यावर ~ सामूहिक तप अभिनन्दन समारोह का आयोजन
👉 बोरावड़ - तप अनुमोदना
👉 सैंथिया ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फैमिली कार्यशाला का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 29* 📜
*अध्याय~~2*
*॥सुख-दुःख मीमांसा॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*30. अतृप्तो नाम भोगानां, विगमेन विषीदति।*
*अतृप्त्या पीडितो लोकः, आदत्तेऽदत्तमुच्छ्रयम्।।*
अतृप्त व्यक्ति भोगों के विलय से विषाद को प्राप्त होता है और अतृप्ति से पीड़ित मनुष्य उन्मुक्त भाव से चोरी करता है।
*31. तृष्णया ह्यभिभूतस्य, अतृप्तस्य परिग्रहे।*
*माया मृषा च वर्धेते, तत्र दुःखान्न मुच्यते।।*
जो तृष्णा से अभिभूत और परिग्रह से अतृप्त होता है, उसके माया और मृषा— दोनों बढ़ते हैं। माया और मृषा के जाल में फंसा हुआ व्यक्ति दुःख से मुक्त नहीं होता।
*32. पूर्वं चिन्ता प्रयोगस्य, समये जायते भयम्।*
*पश्चात्तापो विपाके च, मायया अनृतस्य च।।*
जो माया और असत्य का आचरण करता है, उसे उनका प्रयोग करने से पहले चिंता होती है। प्रयोग करते समय भय और प्रयोग करने के बाद विपाक काल में पश्चात्ताप होता है।
*33. विषयेषु गतो द्वेषं, दुःखमानोप्ति शोकवान्।*
*द्विष्टचित्तो हि दुःखानां, कारणं चिनुते नवम्।।*
जो विषयों से द्वेष करता है, वह शोकाकुल होकर दुःखी बन जाता है। द्वेषयुक्त चित्त वाला व्यक्ति दुःख के नए कारणों का संचय करता है।
*34. विषयेषु विरक्तो यः, स शोकं नधिगच्छति।*
*न लिप्यते भवस्थोपि, भागैश्च पद्मवज्जलैः।।*
जो विषयों से विरक्त होता है, वह शोक को प्राप्त नहीं होता। वह संसार में रहता हुआ भी पानी में कमल की तरह भोगों से लिप्त नहीं होता।
*दुःखी कौन— रागी या वीतरागी...? विकार का हेतु आसक्ति... मोह का दुष्परिणाम... दया का पात्र है मूढ़ात्मा... दुःख न चाहते हुए भी दुःख क्यों होता है...?* इत्यादि के बारे में पढ़ेंगे और प्रेरणा पाएंगे... आगे के श्लोकों में... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति
🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏
📖 *श्रृंखला -- 118* 📖
*रक्षाकवच*
गतांक से आगे...
प्राचीन काल की घटना है ताम्रलिप्ती नगर, जिसे कोलकाता कहा जाता है, के एक जैन श्रावक ने सोचा— 'मैं लंका जाऊं और व्यापार करूं। उस समय बहुत सारे लोग किराना का सामान लेकर जाते और लंका में बेच देते। बहुत कमाई होती। लोग धनवान् बन जाते। जैन श्रावक ने व्यवसाय के लिए समुद्र-यात्रा का निश्चय कर लिया। जहाज को सामान से भरा। समुद्र की पूजा की। जलपोत समुद्र के वक्षस्थल को चीर आगे बढ़ने लगा। हिंद महासागर के मध्य में जलयान पहुंचा। नाविकों ने कहा— 'श्रेष्ठीवर! यहां बलि देनी होगी।'
श्रेष्ठी ने कहा— 'क्यों दें बली?'
'श्रेष्ठीवर! जो बली नहीं देता है, देवी उसका अनिष्ट कर देती है।'
'मैं जैन श्रावक हूं। अहिंसा में आस्था रखता हूं। मैं बली नहीं दे सकता।'
'श्रेष्ठीवर! आप बली नहीं देंगे तो नौकाएं टूट जाएंगी, जलपोत नष्ट हो जाएगा, हम सबका जीवन खतरे में पड़ जाएगा।'
'कुछ भी हो जाए, मैं बली नहीं दूंगा।'— श्रेष्ठी ने अपना निश्चय दोहराया।
'श्रेष्ठीवर! इतने सारे लोगों की रक्षा के लिए आप एक बकरे की बलि दे दें। कुल की रक्षा के लिए एक को छोड़ा जा सकता है।'
कुल की रक्षा के लिए बलिदान के अनेक प्रसंग मिलते हैं। शकडाल नंद साम्राज्य का महामंत्री था, सर्वेसर्वा था। कुछ ऐसा योग मिला कि राजा कुपित हो गया। उसने शकडाल के पूरे परिवार का वध करने का निर्णय ले लिया। प्राचीनकाल में ऐसा होता था— राजा पूरे परिवार को मृत्युदंड दे देते थे। शकडाल को राजा के इस निर्णय की जानकारी मिल गई। शकडाल ने गंभीर विचार-मंथन के बाद अपने बलिदान का निर्णय लिया। उसने अपने पुत्र श्रीयक से कहा— आज तुम्हें एक काम करना है। जब मैं राजसभा में जाऊं, सम्राट को नमस्कार करूं, तब तुम्हें इस तलवार से मेरा गला काट देना है। पुत्र बोला— पिताजी! यह कैसे संभव है कि पुत्र अपने पिता का गला काटे? ऐसा मेरे द्वारा कैसे हो सकता है? शकडाल ने कहा— यह कुल की रक्षा का सवाल है। यदि तुम मुझे नहीं मारोगे तो यह कुल और वंश नष्ट हो जाएगा। राजा हम सबको मरवा देगा। कुल के लिए मेरा बलिदान अवश्यंभावी हो गया है। पुत्र को पिता का यह आदेश स्वीकार करना पड़ा। राजसभा में जैसे ही शकडाल ने सिर झुकाया, पुत्र श्रीयक ने तीक्ष्ण तलवार से पिता के सिर को धड़ से अलग कर दिया।
*क्या श्रेष्ठी ने बलि दी या अपने संकल्प पर दृढ़ रहा...?* के बारे में जानेंगे और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 130* 📜
*आचार्यश्री भीखणजी*
*जीवन के विविध पहलू*
*9. अध्यात्म-प्रेरक*
*त्याग-भंग उचित नहीं*
मुनि हेमराजजी दीक्षित होने को तैयार हुए तब विक्रम संवत् 1853 माघ पूर्णिमा के पश्चात् उन्होंने षट्काय जीवों की हिंसा का त्याग कर दिया। पारिवारिकजनों ने उनकी दीक्षा को रोकने के अनेक उपाय किए, पर किसी में सफल नहीं हो सके। अंततः बहिन के प्रति उनके स्नेह को ही बाधक बनाने का निश्चय किया। बहिन के विवाह की तिथि फाल्गुन कृष्णा 2 निश्चित की गई और फिर हेमराजजी पर दबाव दिया जाने लगा कि बहिन के विवाह तक तो उन्हें रुकना ही चाहिए। उन लोगों की वह चाल काम कर गई। हेमराजजी ने विवाह तक रुकने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
स्वामीजी के पास आकर जब उन्होंने अपना निर्णय बतलाया तो उन्होंने कहा— 'यह तुमने गलत निर्णय किया है। माघ पूर्णिमा के पश्चात् तुम्हें हिंसा का त्याग है, उसे भंग कराने का ही यह षड्यंत्र लगता है। अंगुली पकड़कर फिर वे पुंचा पकड़ने का प्रयास करेंगे। तुम्हारी उपस्थिति में बहिन का विवाह कर देने की भावना यदि मुख्य होती, तो विवाह की तिथि माघ पूर्णिमा से पूर्व भी रखी जा सकती थी। मुझे लगता है कि बहिन के प्रति तुम्हारे अनुराग को ये लोग तुम्हारी दुर्बलता समझते हैं। तुम्हें अपना त्याग सावधानी से पालना चाहिए, उसे भंग करना उचित नहीं।'
स्वामीजी के वचनों ने उनका मोह-भंग कर दिया। घर आकर उन्होंने परिजनों से स्पष्ट कह दिया कि वे माघ पूर्णिमा के पश्चात् एक दिन भी नहीं रुकेंगे। फिर उनकी दीक्षा माघ शुक्ला 13 को हुई।
*कब भैंस ब्याए?*
एक बार स्वामीजी खारचिया पधारे। वहां एक बहिन ने प्रार्थना करते हुए कहा— 'स्वामीजी! मेरी भैंस ब्याए उस समय यदि आपका यहां पदार्पण हो तो दान देने का आनंद आए।'
स्वामीजी ने पूछा— 'क्यों! उस समय क्या विशेष बात है?'
बहिन ने कहा— 'भैंस ब्याती है, तब एक महीने तक हम बिलौना नहीं करते। जितना भी दूध या दही होता है, वह सब खा-पीकर ही उठाते हैं। देवी की मनौती के रूप में हमारे यहां यह क्रम बहुत पहले से चला आ रहा है।'
स्वामीजी ने गंभीर होते हुए कहा— 'कब तेरी भैंस ब्याए, कब हमें सामाचार प्राप्त हों और फिर कब हम यहां पहुंचें। यदि हम खाद्य पदार्थों के प्रलोभन में आकर अपने विहार-क्रम का निर्धारण करने लगेंगे तो अपनी साधना से ही च्युत हो जाएंगे। तुम्हारे दूध से हमें अपनी साधना अधिक प्यारी है।
*गृहस्थों को स्वामीजी द्वारा दी गई कुछ और आध्यात्मिक प्रेरणाओं...* के बारे में जानेंगे... कुछ प्रसंगों के माध्यम से और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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👉 लाडनूं ~ अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 हिम्मतनगर ~ अणुव्रत चेतना दिवस का कार्यक्रम आयोजित
👉 तिरुपुर ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फैमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 दिल्ली ~ अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 लिम्बायत, सूरत - कनेक्ट विथ फूड साइंस कार्यशाला का आयोजन
👉 बेंगलुरु - निःशुल्क मधुमेह जांच शिविर का आयोजन
👉 इचलकरंजी - तप अनुमोदना में भजन गोष्ठी का आयोजन
👉 इस्लामपुर ~ भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन
👉 राजराजेश्वरी नगर, बेंगलुरु - बाढ़ पीड़ित पुनर्वास: एक नन्हा प्रयास
👉 फ़रीदाबाद - हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली सेमिनार का आयोजन
👉 छापर - अणुव्रत गीत गायन प्रतियोगिता का आयोजन
👉 मुम्बई - अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 सोलापुर - सुखी एवं समृध्द परिवार सेमिनार का आयोजन
👉 ब्यावर ~ हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फैमिली कार्यशाला का आयोजन
👉 बेंगलुरु - भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध: पर कार्यक्रम आयोजित
👉 गांधीधाम - 51 की तपस्या का अभिनन्दन
👉 भीलवाड़ा ~ अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
👉 जींद - जैन संस्कार विधि से सामूहिक जन्मोत्सव
👉 जालना - हैप्पी एन्ड हॉर्मोनियस फेमिली सेमिनार का आयोजन
👉 नोहर - अणुव्रत चेतना दिवस का आयोजन
प्रस्तुति - 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
🕎 _पर्युषण महापर्व_ ~ *_ध्यान दिवस_*
⌚ _दिनांक_: *_02 सितंबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
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News in Hindi
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*परम पूज्य आचार्य प्रवर*
के प्रातःकालीन *भ्रमण*
के *मनमोहक* दृश्य
*बेंगलुरु____*
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*: दिनांक:*
02 सितंबर 2019
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २४३* - *चित्त शुद्धि और लेश्या ध्यान १२*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
*Preksha Foundation*
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