समाज रत्न,समाज भूषण और समाज गौरव पुरस्कारो की बंदर -बांट जारी
By-Dinesh Kothari,Publish Date,10september 2019|
सम्मान पुरस्कार के बारे में अक्सर धारणा यही रहती है कि जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में समाज में असाधारण योगदान किया है, ऐसे विशिष्ट लोगों को ही सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। सम्मान समारोह में कौन किसे सम्मान दे रहा है और क्यों दे रहा है और उसका मापदंड किया है? इसका महत्व और जबाबदारी बहुत बड़ी है।
आजकल स्वयंभू संस्थाए या कुछ लोगो का समूह कुकरमुत्तों की तरह सिर्फ सम्मान पुरस्कार देने के लिए पैदा हो रहे है।ऐसे में हजारों योग्य सम्मान के हक़दार और अन्य समाज के जागरूक लोगो का सोचना है, कि इस तरह की बन्दर बांट से सम्मान पुरस्कार समारोह ही महत्वहीन होने लगे है।
असली हकदारों को सम्मान पुरस्कार मिले उनका असम्मान करने का मेरा इरादा नहीं है।लेकिन हकीकत में ऐसे सम्मान पुरस्कार समारोह में कुछ को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर जो सम्मान पुरस्कार पाते है वो या तो आयोजकों के चमचे या फिर आयोजक ही ऐसे पुरस्कार पाने वालो में शामिल कर दिए जाते है। सम्मांन पुरस्कार के लिए लोगों के चयन का तरीका क्या है? क्या होना चाहिए? जिस समाज के नाम से गौरव -भूषण -रत्न से सम्मानित कर रहे हो क्या वो समाज में सर्वश्रेष्ठ होकर उसके हकदार भी है या सिर्फ पैसो के लिए पुरस्कार देने वाली प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मनमानी का मनमाना निर्णय!
ये तथाकथित पुरस्कारों की बदर बांट कर रही स्वयम्भू संस्थाए जितनी मेहनत प्रोग्राम और सम्मान-पत्र तैयार करने में लगाते है उसकी एक चौथाई भी पुरस्कार चयन में नहीं लगाते,जबकि चयन का काम चुनौती भरा होना चाहिए। क्योंकि आप जिसका चयन कर रहे हो, जिसको सम्मान दे रहे हो वो उसके काबिल भी है या नहीं या उससे श्रेष्ठ तो समाज में और तो नहीं?क्योंकि अगर आपकी चयन प्रक्रिया अव्यवस्थित या फिक्स है तो उसका साइड इफेक्ट समाज के लोगो पर पड़ेगा ही और उसका खामियाजा समाज की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को भुगतना पड़ता है।गलत लोगो को सम्मान पुरस्कार देने से कितने हजारो अन्य व समाज लज्जित होता है इसका ख्याल रखना जरुरी है।
आजकल सम्मान पुरस्कारों की बन्दर बाट को देखते हुए मेरा अनुभव यही है कि तथाकथित स्वयम्भू उन लोगों को सम्मानित करना चाहते है जो उनसे या उनकी दुकानदारी से जुड़े हुए होते हैं। ऐसे में पुरस्कार देने का असली उद्देश्य ही खत्म हो जाता है,क्योंकि सम्मान उनको दिया जाता है जो आयोजकों के या उनकी दुकानदारी के नजदीक होते हैं। गलत समय, गलत आदमी और गलत पुरस्कार की कहानी हरदम दोहराई जा रही है। इस बात की पुष्टि हेतु अनगिनत उदहारण है जब पुरस्कार योग्यता के आधार पर नहीं अन्य आधार पर बंटे हैं। समाज में पुरस्कार के महत्व को लेकर बहस होनी चाहिए।आजकल ऐसे स्वयम्भू पुरस्कार की बन्दर बांट से सम्मान पुरस्कार का महत्व ही खत्म हो रहा है मैं पिछले कई सालो से सम्मान-पुरस्कार समारोह को अंदर-बाहर से देखता-परखता रहा हूं। हमारे पुरस्कार देने और लेने वाले अधिकतर अपनी तिकड़मों में ही इतने अधिक व्यस्त रहते हैं कि उन्हें योग्य लोगों की पहचान में योग्य प्रतिभा चयन में उन्हें कोई रुचि ही नहीं होती।
ऐसे में इस तरह के सम्मानों को स्वीकार करने के पहले हर व्यक्ति को खुद से यह प्रश्न पूछना चाहिए कि सम्मान देने वाले की पात्रता क्या है? यदि सम्मान देने वाले लोग ही सम्मानीय न हो तो उनके दिए हुए सम्मान की कीमत क्या है? ऐसे सम्मान-पुरस्कार को स्वीकार करके आप अपना सम्मान बढ़ाने की बजाय घटाते हो।
By-Dinesh Kothari,Publish Date,10september 2019|
सम्मान पुरस्कार के बारे में अक्सर धारणा यही रहती है कि जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में समाज में असाधारण योगदान किया है, ऐसे विशिष्ट लोगों को ही सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। सम्मान समारोह में कौन किसे सम्मान दे रहा है और क्यों दे रहा है और उसका मापदंड किया है? इसका महत्व और जबाबदारी बहुत बड़ी है।
आजकल स्वयंभू संस्थाए या कुछ लोगो का समूह कुकरमुत्तों की तरह सिर्फ सम्मान पुरस्कार देने के लिए पैदा हो रहे है।ऐसे में हजारों योग्य सम्मान के हक़दार और अन्य समाज के जागरूक लोगो का सोचना है, कि इस तरह की बन्दर बांट से सम्मान पुरस्कार समारोह ही महत्वहीन होने लगे है।
असली हकदारों को सम्मान पुरस्कार मिले उनका असम्मान करने का मेरा इरादा नहीं है।लेकिन हकीकत में ऐसे सम्मान पुरस्कार समारोह में कुछ को अगर छोड़ दिया जाए तो अधिकतर जो सम्मान पुरस्कार पाते है वो या तो आयोजकों के चमचे या फिर आयोजक ही ऐसे पुरस्कार पाने वालो में शामिल कर दिए जाते है। सम्मांन पुरस्कार के लिए लोगों के चयन का तरीका क्या है? क्या होना चाहिए? जिस समाज के नाम से गौरव -भूषण -रत्न से सम्मानित कर रहे हो क्या वो समाज में सर्वश्रेष्ठ होकर उसके हकदार भी है या सिर्फ पैसो के लिए पुरस्कार देने वाली प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मनमानी का मनमाना निर्णय!
ये तथाकथित पुरस्कारों की बदर बांट कर रही स्वयम्भू संस्थाए जितनी मेहनत प्रोग्राम और सम्मान-पत्र तैयार करने में लगाते है उसकी एक चौथाई भी पुरस्कार चयन में नहीं लगाते,जबकि चयन का काम चुनौती भरा होना चाहिए। क्योंकि आप जिसका चयन कर रहे हो, जिसको सम्मान दे रहे हो वो उसके काबिल भी है या नहीं या उससे श्रेष्ठ तो समाज में और तो नहीं?क्योंकि अगर आपकी चयन प्रक्रिया अव्यवस्थित या फिक्स है तो उसका साइड इफेक्ट समाज के लोगो पर पड़ेगा ही और उसका खामियाजा समाज की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को भुगतना पड़ता है।गलत लोगो को सम्मान पुरस्कार देने से कितने हजारो अन्य व समाज लज्जित होता है इसका ख्याल रखना जरुरी है।
आजकल सम्मान पुरस्कारों की बन्दर बाट को देखते हुए मेरा अनुभव यही है कि तथाकथित स्वयम्भू उन लोगों को सम्मानित करना चाहते है जो उनसे या उनकी दुकानदारी से जुड़े हुए होते हैं। ऐसे में पुरस्कार देने का असली उद्देश्य ही खत्म हो जाता है,क्योंकि सम्मान उनको दिया जाता है जो आयोजकों के या उनकी दुकानदारी के नजदीक होते हैं। गलत समय, गलत आदमी और गलत पुरस्कार की कहानी हरदम दोहराई जा रही है। इस बात की पुष्टि हेतु अनगिनत उदहारण है जब पुरस्कार योग्यता के आधार पर नहीं अन्य आधार पर बंटे हैं। समाज में पुरस्कार के महत्व को लेकर बहस होनी चाहिए।आजकल ऐसे स्वयम्भू पुरस्कार की बन्दर बांट से सम्मान पुरस्कार का महत्व ही खत्म हो रहा है मैं पिछले कई सालो से सम्मान-पुरस्कार समारोह को अंदर-बाहर से देखता-परखता रहा हूं। हमारे पुरस्कार देने और लेने वाले अधिकतर अपनी तिकड़मों में ही इतने अधिक व्यस्त रहते हैं कि उन्हें योग्य लोगों की पहचान में योग्य प्रतिभा चयन में उन्हें कोई रुचि ही नहीं होती।
ऐसे में इस तरह के सम्मानों को स्वीकार करने के पहले हर व्यक्ति को खुद से यह प्रश्न पूछना चाहिए कि सम्मान देने वाले की पात्रता क्या है? यदि सम्मान देने वाले लोग ही सम्मानीय न हो तो उनके दिए हुए सम्मान की कीमत क्या है? ऐसे सम्मान-पुरस्कार को स्वीकार करके आप अपना सम्मान बढ़ाने की बजाय घटाते हो।