Updated on 15.09.2019 21:13
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#कैसे #सोचें *: #श्रंखला ७*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
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🌻 #संघ #संवाद 🌻
Updated on 15.09.2019 21:13
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २५६* - *विचार क्यों आते है ७*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
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🌻 *संघ संवाद* 🌻
🌺🌼🌼🌺🌼🏵🌼🌺🌼🌼🌺
*^^^!_____उन्नयन_____!^^^*
आचार ◆ विचार ◆ व्यवहार ◆ संस्कार
*अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल*
*44वां राष्ट्रीय महिला अधिवेशन*
*16-17-18 सितम्बर 2019, कुम्बलगुडु, बेंगलुरु*
*_______________________________________*
*_______________________________________*
🌈🌈 *आचार्य प्रवर* की पावन सन्निधि
🉑 *विभिन्न चारित्रात्माओं* का सान्निध्य
♈ *आचार्य तुलसी कर्तृव्य* पुरस्कार
✳ *श्राविका गौरव* अलंकरण
🈴 *प्रतिभा पुरस्कार* सम्मान
🈂 *विशेष प्रशिक्षण* सम्मेलन सत्र
⏺ *विभिन्न शाखा मंडलों* का समागम
⛲⛲ प्रसारक ~ *संघ संवाद* ⛲⛲
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*16-17-18 सितम्बर 2019, कुम्बलगुडु, बेंगलुरु*
*_______________________________________*
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👉 हिम्मतनगर ~ 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 राऊरकेला ~ 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 सरदारशहर ~ मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव कार्यक्रम
👉 दालखोला - 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 उधना, सूरत - 217 वें भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन
👉 सिलिगुड़ी - 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 वापी - आचार्य महाश्रमण कन्या सुरक्षा सर्कल का उद्घाटन
👉 पटना ~ 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 ओरंगाबाद - 217 वें भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन
👉 बेंगलुरु ~ स्वच्छ जल परियोजना समारोह का आयोजन
👉 साहूकारपेट, चेन्नई: "एक शाम भीखण जी के नाम" - धम्म जागरण का भव्य आयोजन
👉 भीलवाड़ा ~ "स्वस्थ आहार का सेवन, आरोग्य हर क्षण" कार्यशाला आयोजित
👉 जलगांव ~ 217 वें भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 दिल्ली - सामुहिक आयम्बिल तप का आयोजन
प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
👉 राऊरकेला ~ 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
👉 सरदारशहर ~ मेगा ब्लड डोनेशन ड्राइव कार्यक्रम
👉 दालखोला - 217 वें आचार्य श्री भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
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👉 ओरंगाबाद - 217 वें भिक्षु चरमोत्सव का आयोजन
👉 बेंगलुरु ~ स्वच्छ जल परियोजना समारोह का आयोजन
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👉 जलगांव ~ 217 वें भिक्षु चरमोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
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प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻
🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣
'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 39* 📜
*अध्याय~~3*
*॥आत्मकर्तृत्ववाद॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*8. स्वकृतं नाम भोक्तव्यं, श्रद्धत्ते नेति यो जनः।*
*श्रद्दधानोपि यो नैव, स्वात्मवीर्यं समुन्नयेत्।।*
*9. स कष्टाद् भयमाप्नोति, कष्टापाते विषीदति।* *आशङ्कां प्राप्य कष्टानां, स्वीकृतं मार्गमुज्झति।।*
*(युग्मम्)*
जो मनुष्य इस बात में श्रद्धा नहीं रखता कि अपना किया हुआ कर्म भुगतना पड़ता है या इसमें श्रद्धा रखता हुआ भी अपनी आत्मशक्ति को सत्कार्य में नहीं लगाता, वह कष्ट से कतराता है। वह कष्ट आ पड़ने पर खिन्न होता है और कष्टों के आने की आशंका से अपने स्वीकृत मार्ग को त्याग देता है।
*10. मार्गोयं वीर्यहीनानां, वत्स! नैष हितावहः।*
*धीरः कष्टमकष्टञ्च, समं कृत्वा हितं व्रजेत्।।*
वत्स! यह वीर्यहीन व्यक्तियों का मार्ग है। यह मुमुक्षु के लिए हितकर नहीं है। धीर पुरुष सुख-दुःख को समान मानकर अपने हित की ओर जाता है।
💠 *मेघः प्राह*
*11. सुखास्वादाः समे जीवाः, सर्वे सन्ति प्रियायुषः।*
*अनिच्छन्तोऽसुखं यान्ति, न यान्ति सुखमीप्सितम्।।*
*12. कः कर्त्ता सुखदुःखानां, को भोक्ता कश्च घातकः।*
*सुखदो दुःखदः कोस्ति स्याद्वादीश! प्रसाधि माम्।।*
*(युग्मम्)*
मेघ बोला— सब जीव सुख चाहते हैं। सबको जीवन प्रिय है। वे दुःख नहीं चाहते, फिर भी वह मिलता है और वे सुख चाहते हैं, फिर भी वह नहीं मिलता। सुख-दुःख का कर्ता कौन है? भोक्ता कौन है? कौन है इनका अंत करने वाला? सुख-दुःख देने वाला कौन है? हे स्याद्वादीश! आप मुझे समाधान दें।
*आत्मा ही सुख-दुःख का कर्ता-भोक्ता... तीन प्रकार की आत्मा और उसका स्वरूप... सकर्मात्मा का स्वरूप और कार्य...* समझेंगे और प्रेरणा पाएंगे... आगे के श्लोकों में... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 39* 📜
*अध्याय~~3*
*॥आत्मकर्तृत्ववाद॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*8. स्वकृतं नाम भोक्तव्यं, श्रद्धत्ते नेति यो जनः।*
*श्रद्दधानोपि यो नैव, स्वात्मवीर्यं समुन्नयेत्।।*
*9. स कष्टाद् भयमाप्नोति, कष्टापाते विषीदति।* *आशङ्कां प्राप्य कष्टानां, स्वीकृतं मार्गमुज्झति।।*
*(युग्मम्)*
जो मनुष्य इस बात में श्रद्धा नहीं रखता कि अपना किया हुआ कर्म भुगतना पड़ता है या इसमें श्रद्धा रखता हुआ भी अपनी आत्मशक्ति को सत्कार्य में नहीं लगाता, वह कष्ट से कतराता है। वह कष्ट आ पड़ने पर खिन्न होता है और कष्टों के आने की आशंका से अपने स्वीकृत मार्ग को त्याग देता है।
*10. मार्गोयं वीर्यहीनानां, वत्स! नैष हितावहः।*
*धीरः कष्टमकष्टञ्च, समं कृत्वा हितं व्रजेत्।।*
वत्स! यह वीर्यहीन व्यक्तियों का मार्ग है। यह मुमुक्षु के लिए हितकर नहीं है। धीर पुरुष सुख-दुःख को समान मानकर अपने हित की ओर जाता है।
💠 *मेघः प्राह*
*11. सुखास्वादाः समे जीवाः, सर्वे सन्ति प्रियायुषः।*
*अनिच्छन्तोऽसुखं यान्ति, न यान्ति सुखमीप्सितम्।।*
*12. कः कर्त्ता सुखदुःखानां, को भोक्ता कश्च घातकः।*
*सुखदो दुःखदः कोस्ति स्याद्वादीश! प्रसाधि माम्।।*
*(युग्मम्)*
मेघ बोला— सब जीव सुख चाहते हैं। सबको जीवन प्रिय है। वे दुःख नहीं चाहते, फिर भी वह मिलता है और वे सुख चाहते हैं, फिर भी वह नहीं मिलता। सुख-दुःख का कर्ता कौन है? भोक्ता कौन है? कौन है इनका अंत करने वाला? सुख-दुःख देने वाला कौन है? हे स्याद्वादीश! आप मुझे समाधान दें।
*आत्मा ही सुख-दुःख का कर्ता-भोक्ता... तीन प्रकार की आत्मा और उसका स्वरूप... सकर्मात्मा का स्वरूप और कार्य...* समझेंगे और प्रेरणा पाएंगे... आगे के श्लोकों में... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 139* 📜
*आचार्यश्री भीखणजी*
*जीवन के विविध पहलू*
*13. तीखे आलोचक*
*शल्य-क्रिया*
स्वामीजी ने आचार-क्रांति की थी, अतः शिथिलाचार तथा कुरूढ़ियों पर उनके द्वारा कठोर प्रहार होना स्वाभाविक ही था। वे मानते थे कि शिथिलाचार इतनी गहराई तक व्याप्त हो गया है कि उसे साधारण उपदेश मिटा नहीं पाते। वे उसे एक प्रकार का फोड़ा मानते थे, जिसका मवाद शल्य-क्रिया द्वारा निकालना अपरिहार्य हो चुका था। वे उस कार्य को तीखी आलोचनाओं के शस्त्र द्वारा संपन्न किया करते थे। उसके पीछे किसी व्यक्ति-विशेष के प्रति उनका दुर्भाव नहीं होता था, अपितु आचार-स्तर पर रुग्ण व्यक्ति को स्वस्थता प्रदान करने की व्यग्रता हुआ करती थी। साध्वाचार-विषयक उनकी निर्भीक और तीखी आलोचनाएं उस युग के अनेक व्यक्तियों के लिए मोह-भंग का हेतु बनी थीं।
*नग्न-नृत्य*
स्वामीजी के व्याख्यान में लोग बहुत आने लगे थे, यह देखकर विरोधियों को बड़ी जलन हुई। उन्होंने निंदात्मक प्रवाद फैलाकर पहले तो लोगों को भ्रांत करना प्रारंभ किया और फिर कदाग्रह करने पर उतर आए। स्वामीजी ने उनकी वृत्ति की आलोचना करते हुए कहा— 'एक व्यक्ति की दुकान पर ग्राहकों की बड़ी भीड़ रहा करती थी। पड़ोसी दुकानदार उससे जलने लगा। उसने भी लोगों को एकत्रित करने की ठानी। कई उपाय किए, परंतु सफलता नहीं मिली। एक दिन उसने अपने वस्त्र उतार फेंके और नग्न होकर नाचने लगा। उसके उस पागलपन को देखने के लिए सैकड़ों व्यक्ति एकत्रित हो गए। दुकानदार तब मन ही मन प्रसन्न हुआ।'
प्रसंग का उपसंहार करते हुए स्वामीजी ने कहा— 'व्यापारिक बुद्धि के अभाव में जैसे उस व्यक्ति ने नग्न होकर लोगों को एकत्रित किया, वैसे ही साधुत्व का बल न होने पर ये लोग कलह उत्पन्न करके लोगों को एकत्रित कर रहे हैं।
*स्वामी भीखणजी द्वारा शिथिलाचार पर किए गए कुछ प्रहारों व उनकी समीक्षा...* को समझेंगे... कुछ प्रसंगों के माध्यम से और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 139* 📜
*आचार्यश्री भीखणजी*
*जीवन के विविध पहलू*
*13. तीखे आलोचक*
*शल्य-क्रिया*
स्वामीजी ने आचार-क्रांति की थी, अतः शिथिलाचार तथा कुरूढ़ियों पर उनके द्वारा कठोर प्रहार होना स्वाभाविक ही था। वे मानते थे कि शिथिलाचार इतनी गहराई तक व्याप्त हो गया है कि उसे साधारण उपदेश मिटा नहीं पाते। वे उसे एक प्रकार का फोड़ा मानते थे, जिसका मवाद शल्य-क्रिया द्वारा निकालना अपरिहार्य हो चुका था। वे उस कार्य को तीखी आलोचनाओं के शस्त्र द्वारा संपन्न किया करते थे। उसके पीछे किसी व्यक्ति-विशेष के प्रति उनका दुर्भाव नहीं होता था, अपितु आचार-स्तर पर रुग्ण व्यक्ति को स्वस्थता प्रदान करने की व्यग्रता हुआ करती थी। साध्वाचार-विषयक उनकी निर्भीक और तीखी आलोचनाएं उस युग के अनेक व्यक्तियों के लिए मोह-भंग का हेतु बनी थीं।
*नग्न-नृत्य*
स्वामीजी के व्याख्यान में लोग बहुत आने लगे थे, यह देखकर विरोधियों को बड़ी जलन हुई। उन्होंने निंदात्मक प्रवाद फैलाकर पहले तो लोगों को भ्रांत करना प्रारंभ किया और फिर कदाग्रह करने पर उतर आए। स्वामीजी ने उनकी वृत्ति की आलोचना करते हुए कहा— 'एक व्यक्ति की दुकान पर ग्राहकों की बड़ी भीड़ रहा करती थी। पड़ोसी दुकानदार उससे जलने लगा। उसने भी लोगों को एकत्रित करने की ठानी। कई उपाय किए, परंतु सफलता नहीं मिली। एक दिन उसने अपने वस्त्र उतार फेंके और नग्न होकर नाचने लगा। उसके उस पागलपन को देखने के लिए सैकड़ों व्यक्ति एकत्रित हो गए। दुकानदार तब मन ही मन प्रसन्न हुआ।'
प्रसंग का उपसंहार करते हुए स्वामीजी ने कहा— 'व्यापारिक बुद्धि के अभाव में जैसे उस व्यक्ति ने नग्न होकर लोगों को एकत्रित किया, वैसे ही साधुत्व का बल न होने पर ये लोग कलह उत्पन्न करके लोगों को एकत्रित कर रहे हैं।
*स्वामी भीखणजी द्वारा शिथिलाचार पर किए गए कुछ प्रहारों व उनकी समीक्षा...* को समझेंगे... कुछ प्रसंगों के माध्यम से और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬
🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
⌚ _दिनांक_: *_14 सितंबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬
🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
⌚ _दिनांक_: *_14 सितंबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
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👉 बालासोर (उड़ीसा) ~ संथारा का प्रत्याख्यान
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आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
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🌻 #संघ #संवाद 🌻
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
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