Borale: 15.09.2019
Sadhvi Shivmala and Sadhvi Amit Rekha guided people of Borale for Paryushan. Memorial meeting of Anachi Devi was held.
बोराला साध्वी श्री शिवमालाजी आदि ठाणा 4के सानिध्य में पर्यूषण पर्व श्रद्धा व उत्साह से कर्मणा क्षेत्र बोराला मे मनाया ।पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के अन्तर्गत जप दिवस के दिन संस्कारों की जननी, कोटि जप करने वाली श्रद्धा की प्रतिमूर्ति श्राविका अणची देवी की स्मृति सभा मनाई गई ।इस अवसर पर साध्वी शिवमालाजी ने कहा श्राविका अणची बाई सरल स्वभाव की थी ।उन्होंने साध्वी अमितरेखाजी को तप के संस्कार गर्भ में ही दिए थे ।स्वाध्याय मौन श्रमशील, सहनशीलता आदि गुण जन्मजात है । श्राविका अणची बाई एक तपस्वी समझदार श्राविका थी एक शब्द में कहूं तो ग्रहत्यागी जैसा जीवन था ।साध्वी अमितरेखा जी ने कहा,माँ मेरा संसार थी,माँ का दिल दरिया समान था उसमें दया क्षमा भरी थी जीवन में कभी भी कटू शब्द नहीं कहा जो कहा मिठे शब्दों में कहा था । संस्कार निर्मात्री थी| संसार में रह कर भी स्व में रहती थी।उनका कहना था कि सदगुणों का विटामिन व शांति का प्रोटीन हरदम साथ रखो ।संयम का रिजर्वेशन और सुख का रिलेशन करना सिखो।तप की मेडिशन व स्वाध्याय मेडिटेशन सदैव आपके पास रहें ।उनके आशीर्वाद की भाषा, साता सबको दो,समाधि मिलेगी संयम करो आत्मरिधि मिलेगी, प्रगति करो, प्रसिद्धि स्वयं मिलेगी ।माँ की सीख जीवन का आशीष बन गई ।पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन पर्यूषण पर्व के प्रथम अक्षर, अक्षर की आराधना जीवन भर की।प यानि प्रवचन श्रवण,प्रत्याख्यान, प्रशम की साधना प्रतिक्रमण,पौषध, प्रायश्चित किया ।मैंने देखा अध्यात्म के प्रति आपकी जागरूकता कवास मे चातुर्मास न होने पर भी औरतो को इकट्ठा कर सामायिक, पुस्तक पढना, उपासना का क्रम चलाती थी।जीवन के आखिर दम तक आपने तप के द्वारा जीवन का दम निकाला है ।सागर जितने गुणों को शब्दों की सीमा में बांधा नहीं जा सकता है । " माँ के गुणों को गाया नही जाता, आपके स्नेह का अंदाजा लगाया नहीं जाता आपकी महिमा का माप करू कैसे जग में वो पैमाना पाया नहीं जाता है "| आपने अपनी दो सुपुत्री का सुपात्र दान दिया, साध्वी अमितरेखा जी समणी मानसप्रज्ञाजी,पौत्री संवरयशाजी को संघ मे समर्पित किया। हम तीनों आपके उपकारो के प्रति कृतज्ञ है| लगभग 35 दिन की लम्बी संलेखना, एक पंचोला, 4 उपवास व सागारी संथारा मे देवलोक गमन हुआ ।आपने जीवन लम्बी तपस्या की उसकी छोटी सी लिस्ट|
•श्रद्धा की प्रतिमूर्ति अणची देवी(चदनमलजी) छाजेड़ लगभग ३५ वर्ष तक श्रावण भादव दो महीने एकान्तर तप के साथ बेले तेले आदि तप लगातार •चन्दनबाला के १३ तेले।
•प्रदेशी राजा के १२ बेले १३ वा तेला|
•२४ तीर्थंकर का लड़ी बन्ध उपवास|
•पखवाडा क्रमशः प्रत्येक तिथि जितने उपवास ।
•मोन एकादशी ५ वर्ष तक निरन्तर २४ तीर्थंकर के रंग के अनुसार|
•आयम्बिल चेत्र आश्विन महिने मैं नव दिन ओली तप (१० ओली तप) किया।
•लगभग ३५ वर्ष तक निरन्तर एकान्तर तप।
•ग्यारह का तप एक बार
•नव का ५ बार, अठाई २५ बार, पंचोला १५ बार, चोला २५ बार, तेला १२५, बेला २५०, उपवास हज़ारों।
•उपवास आदि तप के साथ लगभग पौषध लगभग ५२ वर्ष तक प्रत्येक होली, दीपावली के तेला।
•विक्रम संवत् २०२१ से रात्रि भोजन का त्याग।
•विक्रम संवत् २०१८ से ५ तिथि के दिन हरी सब्जी का त्याग और स्नान कपड़े का भी त्याग।रात्रि भोजन का त्याग।
•विक्रम संवत् २०४१ माघ शुक्ला छठ से अब्रह्मचर्य का त्याग। रात्रि चौविहार। एकान्तर तप । •नमस्कार महामंत्र, ॐ भिक्षु, ॐ ह्रीं श्रीं पार्श्वनाथाय, ॐ ऋषाभय नमः का करोड़ों का जप।
•सामयिक किए बिना मुंह मैं पानी नही लेती। अक्षर ज्ञान न होते हुए एक एक शब्द ले कर लोगास्स, २५ बोल, पंचपद वंदना,सताइस चोकड़ी,सैकड़ों गीत, कंठस्थ किए।
•विक्रम संवत् २०६२ से प्रतिदिन प्रायः १०-१२ सामयिक लगभग ३५ दिन से संलेखना। ४ दिन का सगारी अनशन। २ पुत्रिया, १ पोती का धर्मसंघ मैं दान।
•विक्रम संवत् २०१८ से २०६२ तक शय्यातार का कवास में लाभ प्राप्त हुआ।
•अनेक बार दो महीनों का प्रवास होता था।
पर्यूषण पर्व पर आठों ही दिन धर्म का रंग लगा रहा। साध्वी शिवमालाजी की प्रेरणा से साध्वी अमितरेखा जी के तपमय जीवन को देख कर अनेको अठाई एक मासखमण और पौषध धार्मिक जप अनुष्ठान से पर्यूषण पर्व सम्पन्न हुआ ।