तिजारा के इतिहास में विशाल शाकाहार रैली का आयोजन...
शाकाहार प्रवर्धक प. पूज्य आचार्य 108 श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज की प्रेरणा व पावन सानिध्य में जिलास्तरीय भाषण, निबन्ध, चित्र प्रतियोगिता का आयोजन से पूर्व तिजारा क्षेत्र के इतिहास में दिनांक 18 सितंबर को "प्रथम बार" अहिंसा रैली का भव्य जुलुस जैन स्कूल से प्रारम्भ हुआ।
विशाल रैली में अठ्ठाइस स्कूलों के लगभग 3150 छात्र - छात्रायें, अपने शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ जैन स्कूल के विशाल परिसर में एकत्रित हुए।
सभी छात्र छात्राओं के मध्य श्री हरीश जी गुप्ता (cbo), श्री खेमा राम यादव (उपखंड अधिकारी) आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शाकाहार प्राकृतिक आहार है। शाकाहार भोजन से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है विचार भी अच्छे रहते है। आप अकेले ही शाकाहारी नहीं बने, घर में भी सभी शाकाहारी रहे, इस हेतु प्रयास करे। अंडा शाकाहारी भोजन नहीं है,वह भी एक माँ का लाल है।
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की प्रेरणा से जो अहिंसा रैली का आयोजन तथा शाकाहार प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है वह अद्वितीय है। आज आप सभी कुछ न कुछ अच्छा संकल्प लेकर जाए, तो निश्चित इस रैली में आने की सार्थकता है।
इसी बीच ब्रह्मचारिणी अनिता दीदी ने कहा दुख दर्द समझने को दिल में पीर चाहिए, अग्नि को बुझाने के लिए नीर चाहिए, अणुबम्बो के स्टॉक से हिंसा नही मिटती, हिंसा को मिटाने के लिए महावीर चाहिए, आचार्य श्री ज्ञान सागर जैसे संत चाहिए।
आप सभी इस रैली में सम्मलित हुए जिससे यह स्वतः फलित हो रहा है,की आप सभी निश्चित ही जीवन रक्षा जे प्रति समर्पण का भाव है। आज जिनकी पावन प्रेरणा से यह विशाल रैली निकल रही है, इनकी यही भावना है कि आप सभी अपने जीवन को शाकाहारी बनाये। नशीले पदार्थो से दूर रहे, माँ पिता की आज्ञा का पालन करे, मोबाइल आदि का दुरुपयोग ना करे।
अंत मे सभी से कुछ नारे लगवाए - संडे हो या मंडे कभी न खाना अंडे; श्री ज्ञानसागर जी का क्या कहना, हिंसक बन कर कभी न रहना।
तदनन्तर आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि आप सभी शाकाहार अहिंसा रैली में आकर जीव रक्षा के प्रति अपनी सद्भावनाएँ प्रेषित कर रहे है। जीवन रक्षा के प्रति उठाया गया ये कदम निश्चित ही हमे विपदाओं से दूर करने मे माध्यम बनेगा। इस रैली का एक ही लक्ष्य है आज जो चारो और हिंसा का तांडव नृत्य हो रहा है वह बंद हो।नशीले पदार्थो से जीवन जितना दूर होगा, उतना ही विनाश के कगार से बचेगा।
यह वह भारत देश है जहाँ राम रहीम महावीर के समय अहिंसा, दया, करुणा बरसती थी, पर आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि उस भारत देश मे अहिंसा, दया, करुणा खोजे नही मिल रही है।
आज इस देश को कृषि और कारखानों की आवश्यकता है, कत्ल खानों की नही।आप सभी होने वाली निबन्ध भाषण प्रतियोगिता में भाग लेकर शाकाहार की गुणवत्ता से परिचित हो। मांसाहार से दूर होकर भारतीय संस्कृति को अपनाए, तभी यह रैली सफल सार्थक होगी।
यह रैली मात्र अलवर जिले मे ही नही, राजस्थान प्रान्त में ही नही पूरे भारत देश में निकले। यह देश पुनः सोने की चिड़िया के नाम से प्रसिद्ध हो। शिक्षक, जिला प्रशाशन, उपखंड अधिकारी आदी ने कमेटी एवं युवा वर्ग ने जो सहयोग किया है सराहनीय है। सभी छात्र मानवीयता का विकास करे, यही भावना है।
शाकाहार प्रवर्धक प. पूज्य आचार्य 108 श्री ज्ञानसागर जी मुनिराज की प्रेरणा व पावन सानिध्य में जिलास्तरीय भाषण, निबन्ध, चित्र प्रतियोगिता का आयोजन से पूर्व तिजारा क्षेत्र के इतिहास में दिनांक 18 सितंबर को "प्रथम बार" अहिंसा रैली का भव्य जुलुस जैन स्कूल से प्रारम्भ हुआ।
विशाल रैली में अठ्ठाइस स्कूलों के लगभग 3150 छात्र - छात्रायें, अपने शिक्षक शिक्षिकाओं के साथ जैन स्कूल के विशाल परिसर में एकत्रित हुए।
सभी छात्र छात्राओं के मध्य श्री हरीश जी गुप्ता (cbo), श्री खेमा राम यादव (उपखंड अधिकारी) आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शाकाहार प्राकृतिक आहार है। शाकाहार भोजन से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है विचार भी अच्छे रहते है। आप अकेले ही शाकाहारी नहीं बने, घर में भी सभी शाकाहारी रहे, इस हेतु प्रयास करे। अंडा शाकाहारी भोजन नहीं है,वह भी एक माँ का लाल है।
आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की प्रेरणा से जो अहिंसा रैली का आयोजन तथा शाकाहार प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है वह अद्वितीय है। आज आप सभी कुछ न कुछ अच्छा संकल्प लेकर जाए, तो निश्चित इस रैली में आने की सार्थकता है।
इसी बीच ब्रह्मचारिणी अनिता दीदी ने कहा दुख दर्द समझने को दिल में पीर चाहिए, अग्नि को बुझाने के लिए नीर चाहिए, अणुबम्बो के स्टॉक से हिंसा नही मिटती, हिंसा को मिटाने के लिए महावीर चाहिए, आचार्य श्री ज्ञान सागर जैसे संत चाहिए।
आप सभी इस रैली में सम्मलित हुए जिससे यह स्वतः फलित हो रहा है,की आप सभी निश्चित ही जीवन रक्षा जे प्रति समर्पण का भाव है। आज जिनकी पावन प्रेरणा से यह विशाल रैली निकल रही है, इनकी यही भावना है कि आप सभी अपने जीवन को शाकाहारी बनाये। नशीले पदार्थो से दूर रहे, माँ पिता की आज्ञा का पालन करे, मोबाइल आदि का दुरुपयोग ना करे।
अंत मे सभी से कुछ नारे लगवाए - संडे हो या मंडे कभी न खाना अंडे; श्री ज्ञानसागर जी का क्या कहना, हिंसक बन कर कभी न रहना।
तदनन्तर आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि आप सभी शाकाहार अहिंसा रैली में आकर जीव रक्षा के प्रति अपनी सद्भावनाएँ प्रेषित कर रहे है। जीवन रक्षा के प्रति उठाया गया ये कदम निश्चित ही हमे विपदाओं से दूर करने मे माध्यम बनेगा। इस रैली का एक ही लक्ष्य है आज जो चारो और हिंसा का तांडव नृत्य हो रहा है वह बंद हो।नशीले पदार्थो से जीवन जितना दूर होगा, उतना ही विनाश के कगार से बचेगा।
यह वह भारत देश है जहाँ राम रहीम महावीर के समय अहिंसा, दया, करुणा बरसती थी, पर आज बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि उस भारत देश मे अहिंसा, दया, करुणा खोजे नही मिल रही है।
आज इस देश को कृषि और कारखानों की आवश्यकता है, कत्ल खानों की नही।आप सभी होने वाली निबन्ध भाषण प्रतियोगिता में भाग लेकर शाकाहार की गुणवत्ता से परिचित हो। मांसाहार से दूर होकर भारतीय संस्कृति को अपनाए, तभी यह रैली सफल सार्थक होगी।
यह रैली मात्र अलवर जिले मे ही नही, राजस्थान प्रान्त में ही नही पूरे भारत देश में निकले। यह देश पुनः सोने की चिड़िया के नाम से प्रसिद्ध हो। शिक्षक, जिला प्रशाशन, उपखंड अधिकारी आदी ने कमेटी एवं युवा वर्ग ने जो सहयोग किया है सराहनीय है। सभी छात्र मानवीयता का विकास करे, यही भावना है।
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