Updated on 04.10.2019 20:19
👉 दालखोला - "सुनो वक्त की पूकार, करें प्लास्टिक का बहिष्कार" कार्यशाला का आगाज👉 लिम्बायत सूरत - सुनो वक्त की पुकार करें प्लास्टिक से इंकार कार्यक्रम
👉 साउथ कोलकाता - "SAY NO TO PLASTIC" केम्पेन का आयोजन
👉 पूर्वांचल कोलकाता - नुक्कड़ नाटक का आयोजन
👉 काठमांडू - सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान का आगाज
👉 विराटनगर - सप्त दिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान का आगाज
👉 मध्य कोलकाता - सुनो वक्त की पुकार करे प्लास्टिक को इंकार
👉 होसपेट - कनेक्शन विथ सक्सेस कार्यशाला का आयोजन
👉 बेहाला, कोलकाता - सुनो वक्त की पुकार करें प्लास्टिक से इंकार कार्यक्रम
👉 पालघर ~ महाराष्ट्र स्तरीय किशोर मंडल कार्यशाला "अभ्युदय" का भव्य आयोजन
👉 सेलम ~ सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान का शुभारंभ
👉 विजयनगरम ~ सभा का "शपथग्रहण समारोह"
👉 इस्लामपुर ~ सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान का शुभारंभ
👉 गदग ~ सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान का शुभारंभ
👉 कोयंबटूर ~ प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान पर कार्यक्रम का आयोजन
👉 पीलीबंगा ~ सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान कार्यक्रम
👉 श्री गंगानगर ~ अणुव्रत प्रेरणा दिवस का आयोजन
👉 सिंधनुर ~ "सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार" महा अभियान कार्यक्रम का आगाज
👉 शाहीबाग, अहमदाबाद - स्पीच प्रतियोगिता का आयोजन
👉 पनवेल, मुम्बई - जैन संस्कार विधि से जन्मदिन व सेवा कार्य
👉 पूर्वांचल कोलकाता - प्लास्टिक बहिष्कार महाअभियान कार्यक्रम
👉 साउथ कोलकाता - सप्तदिवसीय प्लास्टिक बहिष्कार अभियान
प्रस्तुति -🌻 *संघ संवाद*🌻
Updated on 04.10.2019 20:19
🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 54* 📜
*अध्याय~~5*
*॥मोक्ष-साधन-मीमांसा॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*5. नानाविधानि कष्टानि, प्रसन्नात्मा सहेत यः।*
*परानपीडयन् सोऽयं, अहिंसा वेत्ति नापरः।।*
जो दूसरों को कष्ट न पहुंचाता हुआ प्रसन्नतापूर्वक नाना प्रकार के कष्टों को सहन करता है, वही व्यक्ति अहिंसा को जानता है, दूसरा नहीं।
*6. अपि शात्रवमापन्नान, मनुते सुहृदः प्रियान्।*
*अपि कष्टप्रदायिभ्यो, न च क्रुध्येन्मनागपि।।*
अहिंसक अपने से शत्रुता रखने वालों को प्रिय मित्र मानता है और कष्ट देने वालों पर तनिक भी क्रुद्ध नहीं होता।
*7. अप्रियेषु पदार्थेषु, द्वेषं कुर्यान्न किञ्चन।*
*प्रियेषु च पदार्थेषु, रागभावं न चोद्वहेत्।।*
वह अप्रिय पदार्थों में किंचित् भी द्वेष नहीं करता और प्रिय पदार्थों में अनुरक्त नहीं होता।
*8. अप्रियां सहते वाणीं, सहते कर्म चाप्रियम्।*
*प्रियाप्रिये निर्विशेषः, समदृष्टिरहिंसकः।।*
वह प्रिय वचन को सहन करता है और अप्रिय प्रवृत्ति को भी सहन करता है। जो प्रिय और अप्रिय में समान रहता है, वह समदृष्टि होता है। जो समदृष्टि होता है, वही अहिंसक है।
*9. भयं नास्त्यप्रमत्तस्य, स एव स्यादहिंसकः।*
*अहिंसायाश्च भीतेश्च, दिगप्येका न विद्यते।।*
अप्रमत्त को भय नहीं होता और जो अप्रमत्त होता है, वही अहिंसक है। अहिंसा और भय की दिशा एक नहीं होती— जो अभय नहीं होता, वह अहिंसक भी नहीं हो सकता। अहिंसक के लिए अभय होना आवश्यक है।
*10. स्वगुणे स्वत्वधीर्यस्य, भयं तस्य न जायते।*
*परवस्तुषु यस्यास्ति, स्वत्वधीः स भयं नयेत्।।*
जो आत्मीय गुणों में स्वत्व कीे बुद्धि रखता है, उसे भय नहीं होता। जो पर-पदार्थ में स्वत्व की बुद्धि रखता है, उसे भय होता है।
*डरो मत, डरो मत का उपदेश क्यों...? अभय से अहिंसा की सिद्धि... अहिंसा और भय का सहावस्थान नहीं... अहिंसक कौन...? अभय कौन...? अहिंसा की सिद्धि के सूत्र...* के बारे में जानेंगे... समझेंगे... प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣🌸🙏🌸*⃣
Updated on 04.10.2019 20:19
👉 *बारडोली - प्रथम नशामुक्ति स्केटिंग मैराथन का आयोजन*🏃अणुव्रत महासमिति का नशामुक्ति का प्रमुख महनीय उपक्रम *अणुव्रत नशामुक्ति मैराथन का आयोजन*
🌀 अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष *श्री अशोक जी संचेती* की गरिमामय उपस्थिति
☄ *सांसद प्रभुभाई वसावा वसावा, डी.वाय.एस.पी. रूपल बेन सोलंकी आदि गणमान्य व्यक्तियों की मैराथन में लगभग 3 किमी तक कि सहभागिता*
🎈 कार्यक्रम में गुब्बारे छोड़कर नशामुक्ति का संदेश दिया गया।
⛸ इस मैराथन की विशेषता स्केटिंग वर्ग रहा जिसमे *बच्चों ने स्केटिंग उपकरण पहनकर* दौड़ में भाग लिया।
📶 कुल *1489* धावकों ने इसमे भाग लिया।
👉 *बारडोली - गुजरात के प्रथम अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन*
दिनांक 01-10-2019
🌻 *अणुव्रत सोशल मीडिया के लिए संघ संवाद द्वारा प्रसारित* 🌻
Updated on 04.10.2019 20:19
🌼🍁🌼🍁🍁🍁🍁🌼🍁🌼जैन धर्म के आदि तीर्थंकर *भगवान् ऋषभ की स्तुति* के रूप में श्वेतांबर और दिगंबर दोनों परंपराओं में समान रूप से मान्य *भक्तामर स्तोत्र,* जिसका सैकड़ों-हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं और विघ्न बाधाओं का निवारण करते हैं। इस महनीय विषय पर परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की जैन जगत में सर्वमान्य विशिष्ट कृति
🙏 *भक्तामर ~ अंतस्तल का स्पर्श* 🙏
📖 *श्रृंखला -- 140* 📖
*भक्तामर स्तोत्र व अर्थ*
*37. रक्तेक्षणं समदकोकिल-कण्ठनीलं,*
*क्रोधोद्धतं फणिनमुत्फणमापतन्तम्।*
*आक्रामति क्रमयुगेन निरस्तशंकस्*
*तवन्नामनागदमनी हृदि यस्य पुंसः।।*
जिस पुरुष के हृदय में तुम्हारे नाम रूपी नागदमनी है, वह निर्भय होकर लाल नेत्रों वाले, मद से उन्मत्त, कोयल के कंठ के समान नीले, क्रोध से उद्धत, ऊंचे फण वाले, सामने आते हुए सर्प को दोनों पैरों से लांघ जाता है।
*38. वल्गत्तुरंग-गजगर्जित-भीमनाद-*
*माजौ बलं बलवतामपि भूपतिनाम्।*
*उद्यद्दिवाकरमयूख-शिखापविद्धं,*
*त्वत्कीर्तनात् तम इवाशु भिदामुपैति।।*
जहां घोड़े दौड़ रहे हों, हाथी चिंघाड़ रहे हों, योद्धा भयंकर सिंहनाद कर रहे हों, उस भूमि में शक्तिशाली राजा की सेना भी तुम्हारे नाम का कीर्तन करने से वैसे ही छिन्न-भिन्न हो जाती है, जैसे उदित होते हुए सूर्य की किरणों की शिखा से बींधा हुआ अंधकार।
*39. कुन्ताग्रभिन्नगजशोणितवारिवाह-*
*वेगावतारतरणातुरयोधभीमे।*
*युद्धे जयं विजितदुर्जयजेयपक्षास्-*
*त्वत्पाद-पंकजवनाश्रयिणो लभन्ते।।*
भालों की नोक से छिन्न-भिन्न हुए हाथियों के शरीर से रक्त रूपी पानी का प्रवाह बह रहा है और उस प्रवाह में उतरने और तैरने के लिए योद्धा आतुर हो रहे हैं। ऐसे भयंकर युद्ध में तुम्हारे चरण कमल रूपी वन का आश्रय लेने वाले दुर्जय शत्रु पक्ष को पराभूत कर विजय को प्राप्त करते हैं।
*40. अम्भोनिधौ क्षुभितभीषणनक्रचक्र-*
*पाठीनपीठभयदोल्वणवाडवाग्नौ,*
*रंगत्तरंग-शिखरस्थितयानपात्रा-*
*स्त्रासं विहाय भवतः स्मरणाद् व्रजन्ति।।*
भयंकर मगरमच्छ का समूह जिसे क्षुभित कर रहा है, पाठीन और पीठ नामक मत्स्य भय पैदा कर रहे हैं, जहां वडवाग्नि प्रकट हो रही है, ऐसे समुद्र में उछलती हुई तरंगों के अग्र भाग पर स्थित जहाज में बैठे लोग तुम्हारे स्मरण मात्र से आकस्मिक भय से मुक्त होकर तट पर पहुंच जाते हैं।
*भगवान् ऋषभ के गुणों से गुम्फित माला गले में धारण करने से क्या होता है...?* जानेंगे... समझेंगे... प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में... क्रमशः...
प्रस्तुति -- 🌻 संघ संवाद 🌻
🌼🍁🌼🍁🍁🍁🍁🌼🍁🌼
Updated on 04.10.2019 20:19
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 152* 📜
*आचार्यश्री भीखणजी*
*जीवन के विविध पहलू*
*16. मानव-मन के पारखी*
*मुझे ही सत्य किया*
मुनि अखैरामजी कुछ अस्थिर परिणामी थे। एक बार उनके विषय में बात करते हुए मुनि खेतसीजी ने स्वामीजी से कहा— 'अब तो मुनि अखैरामजी स्थिर हो गए लगते हैं।'
स्वामीजी ने कहा— 'पूरा विश्वास नहीं आता।'
उक्त बात किसी ने मुनि अखैरामजी से कह दी। वे बहुत अप्रसन्न हुए। उसके पश्चात् वे राजनगर चातुर्मास करने के लिए गए। वहां स्वामीजी के अनेक दोष पत्र में लिखे और संघ से पृथक् हो गए। चातुर्मास की समाप्ति पर विहार करते हुए वे उन्हीं गांवों में आए, जहां स्वामीजी थे। उन्हें देखते ही मुनि खेतसीजी वंदन करने के लिए उठे, तब मुनि अखैरामजी ने कहा— 'अब हम परस्पर साम्भोगिक नहीं हैं।'
मुनि खेतसीजी ने धैर्य पूर्वक उन्हें समझाया, तब वे स्वामीजी के पास आए और आंसू टपकाते हुए बोले— 'मुनि खेतसीजी ने तो मेरे प्रति विश्वास व्यक्त किया था, परंतु आपने अविश्वास व्यक्त किया। उसी से मेरा मन अत्यंत खिन्न हो गया और मैंने यह भूल कर दी।'
स्वामीजी ने कहा— 'मैंने अविश्वास व्यक्त किया था, तो तुम उसे अपने आचार से मिटाते। पृथक् होकर तो तुमने मुझे ही सत्य सिद्ध किया। सरल-स्वभावी खेतसीजी ने तुम्हारा विश्वास किया, तो उन्हें असत्य सिद्ध होना पड़ा।'
मुनि अखैरामजी स्वामीजी के चरणों में गिर पड़े और अपने सुधार का संकल्प किया। स्वामीजी ने तब उनको पुनः संघ में सम्मिलित कर लिया।
*निंदा के लिए तो नहीं*
स्वामीजी की मान्यता थी कि संयमी को दान देना मोक्ष-मार्ग है और असंयमी को देना संसार-मार्ग। तात्त्विक विवेचन को आधार बनाकर विरोधी लोग उन्हें दान-विरोधक या दान-निषेधक कहा करते थे। एक दिन एक व्यक्ति ने सभा में खड़े होकर स्वामीजी से कहा— 'मुझे असंयती को दान देने का परित्याग करा दें।'
स्वामीजी ने उसकी अंतरंग भावना को पढ़ते हुए कहा— 'ये प्रत्याख्यान तुम विराग-भाव से करते हो या हमें निंदित करने की भावना से?'
स्वामीजी के इस अप्रत्याशित प्रश्न ने उसे हड़बड़ा दिया। वह वस्तुतः स्वामीजी के विरुद्ध प्रचार करने के लिए ही वैसा कर रहा था।
*स्वामी भीखणजी के सटीक अनुमानों के...* कुछ और भी घटना-प्रसंगों के बारे में जानेंगे... समझेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹
Updated on 04.10.2019 20:19
🌊☄🌊☄🌊☄🌊☄🌊☄🌊🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
💠 *_नवाह्निक आध्यात्मिक अनुष्ठान गतिमान_*
⌚ _दिनांक_: *_04 अक्टूबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌊☄🌊☄🌊☄🌊☄🌊☄🌊
Updated on 04.10.2019 20:18
⛲❄⛲❄⛲❄⛲⛩
आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ
चेतना सेवा केन्द्र,
कुम्बलगुड़ु,
बेंगलुरु,
⛳
महाश्रमण चरणों मे
📮
: दिनांक:
04 अक्टूबर 2019
🎯
: प्रस्तुति:
🌻 *संघ संवाद* 🌻
⛲❄⛲❄⛲❄⛲
👉 *बारडोली - प्रथम नशामुक्ति स्केटिंग मैराथन का आयोजन*
🏃अणुव्रत महासमिति का नशामुक्ति का प्रमुख महनीय उपक्रम *अणुव्रत नशामुक्ति मैराथन का आयोजन*
🌀 अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष *श्री अशोक जी संचेती* की गरिमामय उपस्थिति
☄ *सांसद प्रभुभाई वसावा वसावा, डी.वाय.एस.पी. रूपल बेन सोलंकी आदि गणमान्य व्यक्तियों की मैराथन में लगभग 3 किमी तक कि सहभागिता*
🎈 कार्यक्रम में गुब्बारे छोड़कर नशामुक्ति का संदेश दिया गया।
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👉 *बारडोली - गुजरात के प्रथम अहिंसा प्रशिक्षण केंद्र का उद्घाटन*
दिनांक 01-10-2019
🌻 *अणुव्रत सोशल मीडिया के लिए संघ संवाद द्वारा प्रसारित* 🌻
🏃अणुव्रत महासमिति का नशामुक्ति का प्रमुख महनीय उपक्रम *अणुव्रत नशामुक्ति मैराथन का आयोजन*
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🌻 *अणुव्रत सोशल मीडिया के लिए संघ संवाद द्वारा प्रसारित* 🌻
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#कैसे #सोचें *: #निषेधात्मक #भाव ४*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
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👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २७५* - *आभामंडल ३*
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