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'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 69* 📜
*अध्याय~~7*
*॥आज्ञावाद॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*34. अहिंसाऽऽराधिता येन, ममाज्ञा तेन साधिता।*
*आराधितोस्मि तेनाहं, धर्मस्तेनात्मसात्कृतः।।*
जिसने अहिंसा की आराधना की, उसने मेरी आज्ञा की आराधना की है। उसने मुझे आराध लिया है और उसने धर्म को आत्मसात् कर लिया है।
*35. अहिंसा विद्यते यत्र, ममाज्ञा तत्र विद्यते।*
*ममाज्ञायामहिंसायां, न विशेषोस्ति कश्चन।।*
जहां अहिंसा है, वहां मेरी आज्ञा है। मेरी आज्ञा और अहिंसा में कोई भेद नहीं है।
*36. भीतानामिव शरणं, क्षुधितानामिवाशनम्।*
*तृषितानामिव जलं, अहिंसा भगवत्यसौ।।*
यह भगवती अहिंसा भयभीत व्यक्तियों के लिए शरण, भूखों के लिए भोजन और प्यासों के लिए पानी के समान है।
*37. शुद्धं शिवं सुकथितं, सुदृष्टं सुप्रतिष्ठितम्।*
*सारभूतञ्च लोकेऽस्मिन्, सत्यमस्ति सनातनम्।।*
इस लोक में सत्य शुद्ध, शिव, सुभाषित, सुदृष्ट, सुप्रतिष्ठित, सारभूत और सनातन/शाश्वत है।
*38. महातृष्णाप्रतीकारं, निर्भयञ्च निरास्रवम्।*
*उत्तमानामभिमतं, अस्तेयं प्रत्ययास्पदम्।।*
अचौार्य बढ़ती हुई तृष्णा का प्रतिकार, भयमुक्त करने वाला, अनेक बुराइयों से बचाने वाला, उत्तम जनों द्वारा अभिमत और विश्वास का आस्थान है।
*39. कृतध्यानकपाटञ्च, संयमेन सुरक्षितम्।*
*अध्यात्मदत्तपरिधं, ब्रम्हचर्यमनुत्तरम्।।*
ब्रह्मचर्य अनुत्तर धर्म है। संयम— इंद्रिय और मन के निग्रह द्वारा वह सुरक्षित है। उसकी सुरक्षा का कपाट है ध्यान और उसकी अर्गला है अध्यात्म।
*40. कृताकम्पमनोभावो, भावनानां विशोधकः।*
*सम्यक्त्वशुद्धमूलोऽस्ति, धृतिकन्दोऽपरिग्रहः।।*
अपरिग्रह से मन की चपलता दूर हो जाती है, भावनाओं का शोधन होता है, उसका शुद्ध मूल है सम्यक्त्व और धैर्य उसका कंद है।
*धर्म क्या...? क्यों...? क्या लाभ...? धर्म की परिभाषा... उसका प्रथम सोपान... साधना के हेतु... आसक्ति का हेतु... मूल समस्या का निर्देश... आसक्ति... भावनात्मक तनाव... मानसिक दुःख... अनासक्ति... भावनात्मक प्रसन्नता... मानसिक निर्मलता...* समझेंगे... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
'सम्बोधि' का संक्षेप रूप है— सम्यक् दर्शन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र। यही आत्मा है। जो आत्मा में अवस्थित है, वह इस त्रिवेणी में स्थित है और जो त्रिवेणी की साधना में संलग्न है, वह आत्मा में संलग्न है। हम भी सम्बोधि पाने का मार्ग प्रशस्त करें आचार्यश्री महाप्रज्ञ की आत्मा को अपने स्वरूप में अवस्थित कराने वाली कृति 'सम्बोधि' के माध्यम से...
🔰 *सम्बोधि* 🔰
📜 *श्रृंखला -- 69* 📜
*अध्याय~~7*
*॥आज्ञावाद॥*
💠 *भगवान् प्राह*
*34. अहिंसाऽऽराधिता येन, ममाज्ञा तेन साधिता।*
*आराधितोस्मि तेनाहं, धर्मस्तेनात्मसात्कृतः।।*
जिसने अहिंसा की आराधना की, उसने मेरी आज्ञा की आराधना की है। उसने मुझे आराध लिया है और उसने धर्म को आत्मसात् कर लिया है।
*35. अहिंसा विद्यते यत्र, ममाज्ञा तत्र विद्यते।*
*ममाज्ञायामहिंसायां, न विशेषोस्ति कश्चन।।*
जहां अहिंसा है, वहां मेरी आज्ञा है। मेरी आज्ञा और अहिंसा में कोई भेद नहीं है।
*36. भीतानामिव शरणं, क्षुधितानामिवाशनम्।*
*तृषितानामिव जलं, अहिंसा भगवत्यसौ।।*
यह भगवती अहिंसा भयभीत व्यक्तियों के लिए शरण, भूखों के लिए भोजन और प्यासों के लिए पानी के समान है।
*37. शुद्धं शिवं सुकथितं, सुदृष्टं सुप्रतिष्ठितम्।*
*सारभूतञ्च लोकेऽस्मिन्, सत्यमस्ति सनातनम्।।*
इस लोक में सत्य शुद्ध, शिव, सुभाषित, सुदृष्ट, सुप्रतिष्ठित, सारभूत और सनातन/शाश्वत है।
*38. महातृष्णाप्रतीकारं, निर्भयञ्च निरास्रवम्।*
*उत्तमानामभिमतं, अस्तेयं प्रत्ययास्पदम्।।*
अचौार्य बढ़ती हुई तृष्णा का प्रतिकार, भयमुक्त करने वाला, अनेक बुराइयों से बचाने वाला, उत्तम जनों द्वारा अभिमत और विश्वास का आस्थान है।
*39. कृतध्यानकपाटञ्च, संयमेन सुरक्षितम्।*
*अध्यात्मदत्तपरिधं, ब्रम्हचर्यमनुत्तरम्।।*
ब्रह्मचर्य अनुत्तर धर्म है। संयम— इंद्रिय और मन के निग्रह द्वारा वह सुरक्षित है। उसकी सुरक्षा का कपाट है ध्यान और उसकी अर्गला है अध्यात्म।
*40. कृताकम्पमनोभावो, भावनानां विशोधकः।*
*सम्यक्त्वशुद्धमूलोऽस्ति, धृतिकन्दोऽपरिग्रहः।।*
अपरिग्रह से मन की चपलता दूर हो जाती है, भावनाओं का शोधन होता है, उसका शुद्ध मूल है सम्यक्त्व और धैर्य उसका कंद है।
*धर्म क्या...? क्यों...? क्या लाभ...? धर्म की परिभाषा... उसका प्रथम सोपान... साधना के हेतु... आसक्ति का हेतु... मूल समस्या का निर्देश... आसक्ति... भावनात्मक तनाव... मानसिक दुःख... अनासक्ति... भावनात्मक प्रसन्नता... मानसिक निर्मलता...* समझेंगे... हमारी अगली श्रृंखला में... क्रमशः...
प्रस्तुति- 🌻 *संघ संवाद* 🌻
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👉 कुम्बलगुडू, बैंगलोर - जैन भगवती दीक्षा समारोह
☄ नव दीक्षित मुमुक्षु के दीक्षा पश्चात *पूज्यवर आचार्य श्री महाश्रमण* द्वारा नामकरण
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
☄ नव दीक्षित मुमुक्षु के दीक्षा पश्चात *पूज्यवर आचार्य श्री महाश्रमण* द्वारा नामकरण
प्रस्तुति - *संघ संवाद*
🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬
🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
💎 *_जैन भगवती दीक्षा समारोह_* _का कार्यक्रम शुभारंभ_
⌚ _दिनांक_: *_20 अक्टूबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬🧲🧬
🏭 *_आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ चेतना सेवा केन्द्र,_ _कुम्बलगुड़ु, बेंगलुरु, (कर्नाटक)_*
💦 *_परम पूज्य गुरुदेव_* _अमृत देशना देते हुए_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ _________*
🌈🌈 *_गुरुवरो घम्म-देसणं_*
💎 *_जैन भगवती दीक्षा समारोह_* _का कार्यक्रम शुभारंभ_
⌚ _दिनांक_: *_20 अक्टूबर 2019_*
🧶 _प्रस्तुति_: *_संघ संवाद_*
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दिल्ली - शासन श्री साध्वी श्री अशोक श्री जी द्वारा तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान
प्रस्तुति - संघ संवाद
प्रस्तुति - संघ संवाद
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 *आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी* द्वारा प्रदत मौलिक प्रवचन
👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २९१* - *चैतन्य का अनुभव १*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
*Preksha Foundation*
Helpline No. 8233344482
📝 धर्म संघ की तटस्थ एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
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👉 *प्रेक्षा वाणी: श्रंखला २९१* - *चैतन्य का अनुभव १*
एक *प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें*
आपका *जीवन बदल जायेगा* जीवन का *दृष्टिकोण बदल जायेगा*
प्रकाशक
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🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#कैसे #सोचें *: अपनी #आत्मा अपना #मित्र २*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लेकर देखें
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प्रकाशक
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