जलती रही जैन साध्वी पर नहीं छोड़ी साधना,
मंत्र -जाप के साथ ही छोड़ा शरीर
By JAIN STAR/ 30 December 2019,Monday
मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक ऐसी घटना हुई है, जिसके बारे में सुनकर हैरानी के साथ -साथ जैन धर्म के प्रति उनकी आस्था के साथ उनकी आत्मा अमर हो गयी ।छतरपुर के नैनागिर जैन तीर्थ में साधना के दौरान एक जैन साध्वी जलती रहीं लेकिन उन्होंने अपनी साधना नहीं छोड़ी। इस दौरान उनका शरीर 90 फीसदी तक जलकर चटाई से चिपक गया लेकिन धर्म के प्रति आस्था को जैन साध्वी ने नहीं छोड़ा और साधना खत्म होने तक बैठी रहीं। इस दौरान उन्होंने किसी तरह की आवाज नहीं की और ना ही चीखीं, इसलिए किसी को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि साध्वी आग से जल रही हैं। एक घंटे बाद जब अन्य श्रावक कमरे में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि साध्वी का शरीर आग में बुरी तरह झुलस चुका है और चटाई अलग करने के चलते उनकी चमड़ी उसके साथ ही अलग हो गई। इसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए,यहां भी असहनीय जलन और दर्द के बावजूद साध्वी 30 घंटों तक जिंदा रहीं और आखिरकार मंत्रों के जाप के साथ अपनी देह त्याग दी।
बाद में पता चला कि जैन साध्वी सुनयमती माता जी जब साधना में लीन थीं, तब ठंड को देखते हुए एक श्राविका सिगड़ी में अंगारे रखकर चली गई ताकि साधना पूरी होने के बाद उनकी सेवा कर सके। हवा के चलते अंगारे चटाई पर गिरे और फिर जिस चटाई पर बैठकर सुनयमति माता जी साधना कर रही थीं उसने आग पकड़ ली. उस आग में वह 90 फीसदी झुलस गईं। जब यह खबर लोगों को मिली तो लोग बड़ी संख्या में उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो उन्हें विदाई दी।
मंत्र -जाप के साथ ही छोड़ा शरीर
By JAIN STAR/ 30 December 2019,Monday
मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक ऐसी घटना हुई है, जिसके बारे में सुनकर हैरानी के साथ -साथ जैन धर्म के प्रति उनकी आस्था के साथ उनकी आत्मा अमर हो गयी ।छतरपुर के नैनागिर जैन तीर्थ में साधना के दौरान एक जैन साध्वी जलती रहीं लेकिन उन्होंने अपनी साधना नहीं छोड़ी। इस दौरान उनका शरीर 90 फीसदी तक जलकर चटाई से चिपक गया लेकिन धर्म के प्रति आस्था को जैन साध्वी ने नहीं छोड़ा और साधना खत्म होने तक बैठी रहीं। इस दौरान उन्होंने किसी तरह की आवाज नहीं की और ना ही चीखीं, इसलिए किसी को इस बात की भनक भी नहीं लगी कि साध्वी आग से जल रही हैं। एक घंटे बाद जब अन्य श्रावक कमरे में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि साध्वी का शरीर आग में बुरी तरह झुलस चुका है और चटाई अलग करने के चलते उनकी चमड़ी उसके साथ ही अलग हो गई। इसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले गए,यहां भी असहनीय जलन और दर्द के बावजूद साध्वी 30 घंटों तक जिंदा रहीं और आखिरकार मंत्रों के जाप के साथ अपनी देह त्याग दी।
बाद में पता चला कि जैन साध्वी सुनयमती माता जी जब साधना में लीन थीं, तब ठंड को देखते हुए एक श्राविका सिगड़ी में अंगारे रखकर चली गई ताकि साधना पूरी होने के बाद उनकी सेवा कर सके। हवा के चलते अंगारे चटाई पर गिरे और फिर जिस चटाई पर बैठकर सुनयमति माता जी साधना कर रही थीं उसने आग पकड़ ली. उस आग में वह 90 फीसदी झुलस गईं। जब यह खबर लोगों को मिली तो लोग बड़ी संख्या में उनके अंतिम दर्शनों के लिए पहुंचे और उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हो उन्हें विदाई दी।