23.09.2020 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 23.09.2020
Updated: 23.09.2020

Updated on 23.09.2020 12:12

🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन

👉 *#एकाग्रता से #शक्ति का #विकास* : *#श्रृंखला २*

एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, #जीवन बदल जायेगा, जीने का #दृष्टिकोण बदल जायेगा।

प्रकाशक
#Preksha #Foundation
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 380* 📜

*श्रीमद् जयाचार्य*

*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*

*प्रश्नोत्तर-तत्त्वबोध*

गतांक से आगे...

जयाचार्य कहते हैं कि जब स्वयं भगवान् महावीर अपने सामने किये जाने वाले नाटक की न आज्ञा देते हैं और न ही उसकी अनुमोदना करते हैं, तब उनकी मूर्ति के सम्मुख किये जाने वाले नृत्य में धर्म कहां से हो जाएगा? एतद्-विषयक पद्य इस प्रकार हैं—

*सूर्याभे जिन वंदिया,*
*प्रभु षट् वच आख्यात।*
*एह पुराण आचार तुज,*
*जीत आचार सुजात।।*
*एह तुमारो कार्य छै,*
*वलि तुझ करवा जोग।*
*ए तुझ नै आचीर्ण छै,*
*है मुझ आण अरोग।।*
*नाटक नी पूछा करी,*
*(तिहां) आदर न दियो स्वाम।*
*मन में भलो न जाणियो,*
*प्रगट पाठ में ताम।।*
*वली मौन राखी प्रभु,*
*देखो पाठ प्रसिद्ध।*
*जे भाव निक्षेपे आगले,*
*नाटक आण न दिद्ध।।*
*बलि मन भलो न जाणियो,*
*ए पिण पाठ मझार।*
*आज्ञा बिण नहि धर्म पुण्य,*
*देखो आंख उघाड़।।*
*तो तास थापना आगलै,*
*आज्ञा किम दे वीर।*
*एह न्याय छै पाधरो,*
*धारो धर चित धीर।।*

मूर्तिपूजक सम्प्रदाय के संत मुख-वस्त्रिका हाथ में रखते हैं, जबकि स्थानकवासी और तेरापंथी संत उसे मुख पर बांधते हैं। जयाचार्य के सम्मुख प्रश्न उठाया गया कि मुख-वस्त्रिका को मुख पर बांधे रखना आगम-सम्मत नहीं है। जयाचार्य ने उत्तर देते हुए कहा कि मूल बात वायुकायिक जीवों की यतना करना है। तीक्ष्ण उपयोग वाले व्यक्ति यदि मुख-वस्त्रिका को हाथ में रखते हैं तो कोई दोष की बात नहीं है, वैसे ही असावधानी के क्षण में दोष न लगे— इस दृष्टि से बांध लेते हैं तो भी दोष नहीं है। हमारे मन में एतद्विषयक कोई पूर्वाग्रह नहीं है। पद्य इस प्रकार हैं—

*कर राखै मुखवस्त्रिका,*
*जसुं तीखो उपयोग।*
*ते पिण नहिं अटकाव तसु,*
*नहिं मुझ खंच प्रयोग।।*
*तीखो नहिं उपयोग तसुं*
*जत्ना-काज सुजोय।*
*मुख बांधै मुखवस्त्रिका,*
*तो पिण दोष न होय।।*

प्रश्न आगे बढ़ा कि डोरे से मुख-वस्त्रिका को बांधना विहित कहां है? जयाचार्य ने बराबर उत्तर दिया कि आप लोग कान के छेद को बढ़ाते हैं और फिर व्याख्यान के समय मुख-वस्त्रिका के छोर उसमें अटकाते हैं— यह भी तो आगम में नहीं आया है (उस समय मूर्तिपूजक संतों में उक्त पद्धति चालू थी, अब नहीं है।) आप कहेंगे कि यह तो यतना के लिए किया जाता है तो डोरे के पक्ष में भी यही न्याय लगाइये। इस विषय के पद्य अग्रोक्त हैं—

*'जद कहै' डोरो किहां कह्यो,*
*तसु कहिये इम वाय।*
*कान विषे घालै तिको,*
*किसा सूत्र रै मांय?*
*मुख बांधै डोरे करी,*
*तसु करै निंदा तात।*
*कान बिंधावै प्रगट ए,*
*किसा सूत्र नी बात?*
*(कहै) वचन-शुद्धि यतना अरथ,*
*घालां कर्ण मझार।*
*(तो) डोरो पिण यतना अरथ,*
*न्याय सरीखो धार।।*

*श्रीमद् जयाचार्य द्वारा रचित भ्रम-विध्वंशन ग्रंथ...* के बारे में जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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Updated on 23.09.2020 10:41

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🌳 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_

🏮 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*

🟢 *_परम पूज्य गुरुदेव_ _अमृत देशना देते हुए_*

⏰ _दिनांक_ : *_23 सितंबर 2020_*

🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*

https://t.me/joinchat/NqOXw0XjJyPNJBY-ALmlWA

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Posted on 23.09.2020 08:03

👉 जयपुर ~ किशोर मंडल "Star Performer Of Human Tarian Services व Digitally Outstanding" अवार्ड से सम्मानित
👉 राष्ट्रीय अधिवेशन में तेरापंथ किशोर मंडल HBST हनुमंतनगर
3 पुरस्कारों से सम्मानित

♦️ *तप अनुमोदना* ♦️
1. साक्षि घोसल, राजलदेसर
2. दीपिका रांका, राजलदेसर

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प्रस्तुति: 🌻 *संघ संवाद* 🌻

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SS
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