25.09.2020 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 25.09.2020
Updated: 25.09.2020

Updated on 25.09.2020 14:58

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🌳 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_

🏮 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*

🟢 *_परम पूज्य गुरुदेव_ _अमृत देशना देते हुए_*

⏰ _दिनांक_ : *_25 सितंबर 2020_*

🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 382* 📜

*श्रीमद् जयाचार्य*

*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*

*जीवन-वृत*

किसी भी व्यक्ति की आकृति को कागज पर उतार लेना बहुत कठिन होता है, परन्तु किसी की जीवनी को कागज पर उतार पाना तो कठिनतर होता है। चित्र एक क्षेत्र एवं एक काल की अभिव्यक्ति देनेवाला होता है, जबकि जीवनी-लेखन असीम क्षेत्र और काल को अभिव्यक्ति देनेवाला कार्य है। जयाचार्य जीवन-वृत्तों के कुशल शिल्पकार थे। उन्होंने अपने आचार्यों, साधर्मिकों तथा शिष्यों तक के जीवन-वृत्त लिखे। उनके द्वारा लिखित जीवन-वृत्तों की संख्या 18 है। उनमें सबसे बड़ा 'भिक्खू-जस-रसायण' है। स्वामीजी के संबंध में विस्तीर्ण जानकारी देने वाला यह प्रथम ग्रंथ है। जयाचार्य ने स्वामीजी के जीवन को बड़े कलात्मक ढंग से गुंफित किया है। स्वामीजी और शिष्य भारमलजी की जोड़ी का सुमधुर शब्दों में उन्होंने जो शब्द-चित्र उकेरा है, वह इस प्रकार है—

*गजब गुणज्ञान करी गाजै रे,*
*गजब गुणज्ञान करी गाजै।*
*गुरु भिक्खू पे अजब छटा हद,*
*भारीमल छाजै।।*
*सरल भद्र भल श्रमण सिरोमणि,*
*ऋष रूड़ा राजै।*
*चरण करण धर समर्यां चित सूं,*
*भरम करम भाजै।।*
*खांत दांत चित शान्त खरा लज,*
*उभय थकी लाजै।*
*परम विनीत प्रीत हद पूरण,*
*सिव-रमणी साजै।।*
*जोड़ी गोयम वीर जिसी,*
*वर शिष्य वारू बाजै।*
*कार्य भलायां बे कर जोड़ी,*
*करत मुगति काजै।।*
*परम पीत पूज सूं जल-पय सी,*
*पद भवदधि पाजै।*
*कठिन वचन गुरु सीख कहै तो,*
*समचित मुनि साजै।।*

जयाचार्य के मन में स्वामीजी के प्रति अगाध श्रद्धा थी। वे उनके नाम को मंत्राक्षर के समान मानकर स्मरण करते रहते थे। उनके प्रति अपने समर्पण को उन्होंने अनेक उपमाओं के द्वारा अभिव्यक्ति दी है। पाठक को भी भाव-विभोर कर देने वाली उनकी वह ललित पदावली इस प्रकार है—

*राम नाम ज्यूं रटै स्याम नैं,*
*मुझ मन अधिक निहोर।*
*हंसा मान-सरोवर हरषै,*
*चित जिम चन्द चकोर।।*
*चात्रक मोर पपइया घन चित,*
*कुरजी ध्यान गगन्न।*
*राग-विलासी राग आलापै,*
*मुझ भिक्खू में मन्न।।*
*पतिवरता समरै जिम पिउ नैं,*
*गोप्यां रै मन कांन।*
*तंबोली रा पान तणी पर,*
*धरूं स्वाम नो ध्यान।।*
*आसा पूरण आप तणां गुण,*
*कह्या कठा लग जाय।*
*सागर-जल गागर किम मावै,*
*किम आकाश मिणाय?*
*नाम आपरो घट-भिंतर मुझ,*
*जपूं आपरो जाप।*
*तुम नामे दुग्ण-दोहग दूरा,*
*कटै पाप-संताप।।*
*मंत्राक्षर जिम समरण मोटो,*
*परख्यो म्हे तन-मन्न।*
*इहभव परभव में हितकारी,*
*भिक्खू तणो भजन्न।।*

*श्रीमद् जयाचार्य द्वारा रचित अपने विद्यागुरु मुनिश्री हेमराजजी के जीवन-वृत्त...* के बारे में जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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🧘‍♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘‍♂

🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन

👉 *#एकाग्रता से #शक्ति का #विकास* : *#श्रृंखला ४*

एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, #जीवन बदल जायेगा, जीने का #दृष्टिकोण बदल जायेगा।

प्रकाशक
#Preksha #Foundation
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