Updated on 28.09.2020 14:52
👉 सिलीगुड़ी ~ जीवन विज्ञान दिवस कार्यक्रम का आयोजन👉 मुम्बई ~ सांप्रदायिक सौहार्द्र दिवस पर ऑनलाइन कार्यक्रम
👉 बेंगलुरु ~ जीवन विज्ञान दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 औरंगाबाद ~ चार भावना कार्यशाला का आयोजन
👉 वापी ~ "VIRTUAL MISSION EMPOWERMENT" कार्यशाला का आयोजन
👉 हिसार ~ अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत अनुशासन दिवस का आयोजन
👉 फरीदाबाद ~ हृदय रोग जागरूकता वेबिनार का आयोजन
👉 हनुमंतनगर, बेंगलुरू ~ जैन संस्कार विधि द्वारा सामूहिक जन्मोत्सव
👉 हनुमंतनगर, बेंगलुरू ~ फिट युवा हिट युवा कार्यक्रम का आगाज
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प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#प्रेक्षावाणी : श्रंखला - ५१०* ~
*#शारीरिक #स्वास्थ्य और #प्रेक्षाध्यान - ८*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, जीवन बदल जायेगा, जीने का दृष्टिकोण बदल जायेगा।
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
📝 धर्म संघ की सम्पूर्ण एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebootk.com/SanghSamvad a/
🌻 #संघ #संवाद 🌻![](/fe/pics/video.jpg)
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🌳 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_
🏮 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*
🟢 *_विशेष - अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह_*
*_अणुव्रत प्रेरणा दिवस................_*
⏰ _दिनांक_ : *_28 सितंबर 2020_*
🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*
https://t.me/joinchat/NqOXw0XjJyPNJBY-ALmlWA
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 384* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*जीवन-वृत*
गतांक से आगे...
मुनि खेतसीजी बड़े विनीत शिष्य थे। उन्होंने तन-मन से स्वामीजी की सेवा की थी। इसीलिए उनकी दीक्षा का वर्णन करते हुए जयाचार्य कहते हैं कि उन्होंने दीक्षा ग्रहण की तब लोगों ने कहा कि स्वामीजी के भाग्य बड़े प्रबल हैं। खेतसीजी जैसा शिष्य उन्हें मिला है। सद्गुरु का संयोग तो सौभाग्य की बात होती है, परन्तु सुशिष्य का संयोग भी उससे कम सौभाग्य की बात नहीं है। खीर का भोजन पुष्टिकारक एवं स्वादिष्ट होता है पर खांड का संयोग उसकी पोषकता तथा स्वाद को बहुत बढ़ा देता है। जयाचार्य के शब्द इस प्रकार हैं—
*धर्म उद्योत हुवो घणो,*
*जिन-मारग जयकार।*
*शिष सुविनीत मिल्यां थकां,*
*सुगुरु लहै सुखसार।।*
*जश कीरत जग में घणी,*
*लोक करै गुण-ग्रांम।*
*शिष मिल्या सतजुगी सारिसा,*
*भागबली भिक्खु स्वाम।।*
*प्रबल पुण्य गुण पोरसा,*
*खेतसीजी बड़भाग।*
*गुरु मिल्या भिक्खू सारिखा,*
*फैल्यो जस सोभाग।।*
*जोड़ी तो जुगती मिली,*
*गुरु-चेला महीमंड।*
*जगमांहें पिण इम कहै,*
*खीर मांहें जिम खंड।।*
सतयुगी मुनि खेतमीजी के गुणों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे इन्द्रियों को वश करने वाले सन्त थे। गुर-वाणी का रंग उनमें रम गया था। क्षमता और समता उनमें बेजोड़ थी। वे नम्र और निर्मल थे। कषाय से दूर रहने का उन्हें अभ्यास था। धर्म-मार्ग पर बड़े अटल जमे थे। अतः सभी को प्रिय लगते थे। प्रकृति से सौम्य, विनयशील और उत्तम गुणवाले होने के कारण वे सतयुगी नाम से ख्यात हो गए। उक्त वर्णन जयाचार्य ने इस प्रकार किया है—
*दमता इन्द्री पंच दिल,*
*रमता गुरुवच रंग।*
*खमता गुण कर खेतसी,*
*समता सखर सचंग।।*
*नमता गुण सूं निरमला,*
*वमता च्यार कषाय।*
*जमता जिनमत सतजुगी,*
*गमता सहु गण मांय।।*
*प्रकृति विनयगुण कर प्रवर,*
*सतजुग सरिसा संत।*
*सतजुगी नाम सुहांमणो,*
*मोटा मुनि महंत।।*
*श्रीमद् जयाचार्य मुनि सतीदासजी को अपना परम मित्र घोषित करते हुए उनके विशिष्ट गुणों का वर्णन किस प्रकार करते हैं...?* जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 384* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*जीवन-वृत*
गतांक से आगे...
मुनि खेतसीजी बड़े विनीत शिष्य थे। उन्होंने तन-मन से स्वामीजी की सेवा की थी। इसीलिए उनकी दीक्षा का वर्णन करते हुए जयाचार्य कहते हैं कि उन्होंने दीक्षा ग्रहण की तब लोगों ने कहा कि स्वामीजी के भाग्य बड़े प्रबल हैं। खेतसीजी जैसा शिष्य उन्हें मिला है। सद्गुरु का संयोग तो सौभाग्य की बात होती है, परन्तु सुशिष्य का संयोग भी उससे कम सौभाग्य की बात नहीं है। खीर का भोजन पुष्टिकारक एवं स्वादिष्ट होता है पर खांड का संयोग उसकी पोषकता तथा स्वाद को बहुत बढ़ा देता है। जयाचार्य के शब्द इस प्रकार हैं—
*धर्म उद्योत हुवो घणो,*
*जिन-मारग जयकार।*
*शिष सुविनीत मिल्यां थकां,*
*सुगुरु लहै सुखसार।।*
*जश कीरत जग में घणी,*
*लोक करै गुण-ग्रांम।*
*शिष मिल्या सतजुगी सारिसा,*
*भागबली भिक्खु स्वाम।।*
*प्रबल पुण्य गुण पोरसा,*
*खेतसीजी बड़भाग।*
*गुरु मिल्या भिक्खू सारिखा,*
*फैल्यो जस सोभाग।।*
*जोड़ी तो जुगती मिली,*
*गुरु-चेला महीमंड।*
*जगमांहें पिण इम कहै,*
*खीर मांहें जिम खंड।।*
सतयुगी मुनि खेतमीजी के गुणों का वर्णन करते हुए कहा गया है कि वे इन्द्रियों को वश करने वाले सन्त थे। गुर-वाणी का रंग उनमें रम गया था। क्षमता और समता उनमें बेजोड़ थी। वे नम्र और निर्मल थे। कषाय से दूर रहने का उन्हें अभ्यास था। धर्म-मार्ग पर बड़े अटल जमे थे। अतः सभी को प्रिय लगते थे। प्रकृति से सौम्य, विनयशील और उत्तम गुणवाले होने के कारण वे सतयुगी नाम से ख्यात हो गए। उक्त वर्णन जयाचार्य ने इस प्रकार किया है—
*दमता इन्द्री पंच दिल,*
*रमता गुरुवच रंग।*
*खमता गुण कर खेतसी,*
*समता सखर सचंग।।*
*नमता गुण सूं निरमला,*
*वमता च्यार कषाय।*
*जमता जिनमत सतजुगी,*
*गमता सहु गण मांय।।*
*प्रकृति विनयगुण कर प्रवर,*
*सतजुग सरिसा संत।*
*सतजुगी नाम सुहांमणो,*
*मोटा मुनि महंत।।*
*श्रीमद् जयाचार्य मुनि सतीदासजी को अपना परम मित्र घोषित करते हुए उनके विशिष्ट गुणों का वर्णन किस प्रकार करते हैं...?* जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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