29.09.2020 ►SS ►Sangh Samvad News

Published: 29.09.2020
Updated: 03.10.2020

Posted on 29.09.2020 14:12

👉 फरीदाबाद ~ अणुव्रत उद्धबोधन सप्ताह के अंतर्गत जीवन विज्ञान दिवस का आयोजन
👉 हिसार ~ अणुव्रत प्रेरणा एवं प्रेक्षा ध्यान दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 हावड़ा ~ जीवन विज्ञान दिवस कार्यक्रम का ऑनलाइन आयोजन
👉 हनुमंत नगर (बेंगलुरु) ~ अणुव्रत प्रेरणा दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 भायंदर, मीरा रोड (मुंबई) ~ ऑनलाइन अणुव्रत प्रेरणा दिवस कार्यक्रम का आयोजन
👉 हनुमंतनगर, बेंगलुरु ~ मधुमेह एवं ब्लड प्रेशर जांच शिविर का आयोजन
👉 हैदराबाद ~ तेयुप द्वारा रक्तदान शिविर का आयोजन

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प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻

Photos of Sangh Samvads post


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🌳 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_

🏮 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*

🟢 *_विशेष - अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह_*
*_पर्यावरण शुद्धि दिवस................_*

⏰ _दिनांक_ : *_29 सितंबर 2020_*

🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*

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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।

🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞

📜 *श्रृंखला -- 385* 📜

*श्रीमद् जयाचार्य*

*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*

*जीवन-वृत*

गतांक से आगे...

मुनि सतीदासजी का जीवन चरित्र 'शांति-विलास' नाम से बनाया गया। जयाचार्य उन्हें शांत मुनि नाम से भी पुकारते थे। यह नाम उन्हें उनकी शांत प्रकृति के कारण प्राप्त था। उनके विशिष्ट गुणों का वर्णन करते हुए कहा गया है—

*सुख-दायक लायक सखर,*
*वायक अमृत वान।*
*दायक शिव-संपति दमी,*
*सतीदास सुखदान।।*
*सुखदाई संतां भणी,*
*समणी नैं सुखदाय।*
*श्रावक नें बलि श्राविका,*
*सहु नै घणूं सुहाय।।*
*शांति प्रकृति सुंदर सरस,*
*मुद्रा शान्ति सुमोद।*
*शांति रसे मुनि सोभतो,*
*पेखत लहै प्रमोद।।*
*उपशम रस रो आगरू,*
*हस्तमुखी हद नैण।*
*प्रबल पुण्य नो पोरसो,*
*वारू अमृत वेण।।*
*जसधारी भारी सुजस,*
*इकतारी अणगार।*
*जयकारी मुनिजन तणो,*
*अवतरियो इण आर।।*
*शांति-करण अघ-हरण नै,*
*शरण तरण सुखसाज।*
*शिव वधू वरण सुधरण सम,*
*सतीदास ऋषिराज।।*

जयाचार्य फरमाते हैं कि उनके कण्ठ बहुत मधुर थे। उनके बोलने तथा कार्य करने की पद्धति में भी बड़ी सरसता थी। व्याख्यान देने की कला भी बेजोड़ थी। उनके जैसा सुन्दर स्वभाव सहस्रों व्यक्तियों में खोजने पर भी प्रायः नहीं मिलता। वे एक सुन्दर आकृतिवाले मूर्तिमान शांत रस थे। इतना ही नहीं, जयाचार्य उन्हें अपना परम मित्र घोषित करते हुए फरमाते हैं कि वे समय-समय पर मेरी स्मृति में आते ही रहते हैं। इन सभी भावनाओं को उन्होंने अग्रोक्त पद्यों में अभिव्यक्ति दी है—

*सरस कण्ठ वाणी सरस,*
*सरस कला सुविहांण।*
*हेम समीपे शांत ऋष,*
*बांचे सरस बखाण।।*
*सुंदर स्वभाव थां सारिखो,*
*मनुष हजारां रै मांय।*
*बहुल पणै नहि देखियो,*
*तुझ गुण अनघ अथाय।।*
*सखर मुद्रा थांरी सोभती,*
*पवर प्रशांत आकार।*
*प्रशांत रस प्रभुजी कह्यो,*
*देखलो अनुयोगदुवार।।*
*परम मित्र मुझ शान्ति मनोहर,*
*सुविनीतां सिरताज।*
*याद आवै निश दिन अधिकेरो,*
*जाण रह्या जिनराज।।*

*श्रीमद् जयाचार्य द्वारा रचित आख्यानों...* के बारे में जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...

प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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SS
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