Updated on 14.10.2020 20:18
👉 राउरकेल ~ होगी वायरस पर जीत कार्यशाला का आयोजन👉 भीलवाड़ा ~ टिपीएफ का शपथ ग्रहण समारोह
👉 सिलीगुड़ी - तेरापंथ ट्रस्ट टीम का गठन एवं दायित्व हस्तांतरण कार्यक्रम
👉 भीलवाड़ा ~ "मैं और मेरा समाज" विषय पर कार्यकर्ता प्रशिक्षण वेबीनार का आयोजन
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प्रस्तुति : 🌻 *संघ संवाद* 🌻
Updated on 14.10.2020 13:54
🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚🦋🦚🦚📕 *_.......गुरुवरो घम्म-देसणं......._*
*_______________________________________*
🏮 _*महाश्रमण वाटिका, शमशाबाद, हैदराबाद*_
📚 *_मुख्य प्रवचन कार्यक्रम_* _की विशेष_
*_झलकियां_ ----------*
⌚ _दिनांक_ : *_14 अक्टूबर 2020_*
🧶 _प्रस्तुति_ : *_संघ संवाद_*
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 392* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*उपदेश और शिक्षा*
जयाचार्य के उपदेश भी बड़े मार्मिक एवं प्रेरणादायी हैं। जनता से लेकर साधु-साध्वियों एवं आचार्यों तक के लिए उन्होंने मुक्त रूप से कर्तव्य-बोध दिया है। विराग-प्रेरक उनके कुछ पद्य यहां उद्धृत किये जाते हैं—
*तीन अरि लारै लग्या,*
*रोग जरा मरण जाण।*
*इण न्हासण रै अवसरे,*
*क्यूं सूतो मूढ़ अयाण?*
*बदल जेम चंद-सूर छै,*
*दिवस-रात्रि घड़माल।*
*जल आयु ओछो करै,*
*ए काल रेंट विकराल।।*
*काल सर्प खाधां थकां,*
*नहिं चतुराई जाण।*
*नहीं कला नहीं औषधी,*
*तिण सूं धर राखै प्राण।।*
विनीत और अविनीत में बहुत बड़ा अंतर होता है। विनीत शिष्य-शिष्याएं आचार्य के लिए आधारभूत बनते हैं। अविनीत शिष्य-शिष्याएं किसी काम के नहीं होते। उपमाओं के द्वारा उन्होंने विनीत-अविनीत का भेद इस प्रकार स्पष्ट किया है—
*काच भाजन अविनीतड़ो,*
*कहो चोटां खमै केम?*
*सहै चोटां तो विनीत ही,*
*के हीरा कै हेम।।*
*अविनीत गोळो मैण नो,*
*तप्त गळै तत्काल।*
*सुविनीत गोळो गार नो,*
*ज्यूं धमै ज्यूं लाल।।*
*अविनीत वृक्ष एरंडियो,*
*अस्थिर ते करै कोप।*
*सुविनीत कल्पतरू समो,*
*विनय नो वगतर टोप।।*
विक्रम सम्वत् 1920 के चूरू-चतुर्मास में मुनि मघवा को युवाचार्य पद प्रदान किया। उन्हें तब जयाचार्य ने अग्रोक्त शिक्षा प्रदान की—
*कोइक तो ह्वै तन नो रोगी*
*कोई मन-रोगी धारी।*
*नीत हुवै चारित्र पालण री*
*स्हाज दिये हितकारी।।*
*चरण पालन री नीत हुवै*
*नहीं तसु काढै गणबारी।*
*तिणरी काण मूल मत राखै*
*डर भय दूर निवारी।।*
*पद युवराज शिष्य मघराज,*
*भणी ए शिक्षा सारी।*
*वले अनागत गणपति ह्वै तसु,*
*एहिज सीख उदारी।।*
*श्रीमद् जयाचार्य द्वारा बतलाए गए ध्यान साधना के मुख्य अभ्यासों...* के बारे में जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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शासन गौरव मुनिश्री बुद्धमल्लजी की कृति वैचारिक उदारता, समन्वयशीलता, आचार-निष्ठा और अनुशासन की साकार प्रतिमा "तेरापंथ का इतिहास" जिसमें सेवा, समर्पण और संगठन की जीवन-गाथा है। श्रद्धा, विनय तथा वात्सल्य की प्रवाहमान त्रिवेणी है।
🌞 *तेरापंथ का इतिहास* 🌞
📜 *श्रृंखला -- 392* 📜
*श्रीमद् जयाचार्य*
*महान् साहित्य-स्रष्टा*
*साहित्य-परिशीलन*
*उपदेश और शिक्षा*
जयाचार्य के उपदेश भी बड़े मार्मिक एवं प्रेरणादायी हैं। जनता से लेकर साधु-साध्वियों एवं आचार्यों तक के लिए उन्होंने मुक्त रूप से कर्तव्य-बोध दिया है। विराग-प्रेरक उनके कुछ पद्य यहां उद्धृत किये जाते हैं—
*तीन अरि लारै लग्या,*
*रोग जरा मरण जाण।*
*इण न्हासण रै अवसरे,*
*क्यूं सूतो मूढ़ अयाण?*
*बदल जेम चंद-सूर छै,*
*दिवस-रात्रि घड़माल।*
*जल आयु ओछो करै,*
*ए काल रेंट विकराल।।*
*काल सर्प खाधां थकां,*
*नहिं चतुराई जाण।*
*नहीं कला नहीं औषधी,*
*तिण सूं धर राखै प्राण।।*
विनीत और अविनीत में बहुत बड़ा अंतर होता है। विनीत शिष्य-शिष्याएं आचार्य के लिए आधारभूत बनते हैं। अविनीत शिष्य-शिष्याएं किसी काम के नहीं होते। उपमाओं के द्वारा उन्होंने विनीत-अविनीत का भेद इस प्रकार स्पष्ट किया है—
*काच भाजन अविनीतड़ो,*
*कहो चोटां खमै केम?*
*सहै चोटां तो विनीत ही,*
*के हीरा कै हेम।।*
*अविनीत गोळो मैण नो,*
*तप्त गळै तत्काल।*
*सुविनीत गोळो गार नो,*
*ज्यूं धमै ज्यूं लाल।।*
*अविनीत वृक्ष एरंडियो,*
*अस्थिर ते करै कोप।*
*सुविनीत कल्पतरू समो,*
*विनय नो वगतर टोप।।*
विक्रम सम्वत् 1920 के चूरू-चतुर्मास में मुनि मघवा को युवाचार्य पद प्रदान किया। उन्हें तब जयाचार्य ने अग्रोक्त शिक्षा प्रदान की—
*कोइक तो ह्वै तन नो रोगी*
*कोई मन-रोगी धारी।*
*नीत हुवै चारित्र पालण री*
*स्हाज दिये हितकारी।।*
*चरण पालन री नीत हुवै*
*नहीं तसु काढै गणबारी।*
*तिणरी काण मूल मत राखै*
*डर भय दूर निवारी।।*
*पद युवराज शिष्य मघराज,*
*भणी ए शिक्षा सारी।*
*वले अनागत गणपति ह्वै तसु,*
*एहिज सीख उदारी।।*
*श्रीमद् जयाचार्य द्वारा बतलाए गए ध्यान साधना के मुख्य अभ्यासों...* के बारे में जानेंगे... और प्रेरणा पाएंगे... हमारी अगली पोस्ट में क्रमशः...
प्रस्तुति-- 🌻 संघ संवाद 🌻
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🧘♂ *प्रेक्षा ध्यान के रहस्य* 🧘♂
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#शारीरिक #अनुशासन के #सूत्र* : *#श्रृंखला ५*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, #जीवन बदल जायेगा, जीने का #दृष्टिकोण बदल जायेगा।
प्रकाशक
#Preksha #Foundation
Helpline No. 8233344482
📝 धर्म संघ की सम्पूर्ण एवं सटीक जानकारी आप तक पहुंचाए
https://www.facebook.com/SanghSamvad/
🌻 #संघ #संवाद 🌻
🙏 #आचार्य श्री #महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रदत मौलिक #प्रवचन
👉 *#शारीरिक #अनुशासन के #सूत्र* : *#श्रृंखला ५*
एक #प्रेक्षाध्यान शिविर में भाग लें।
देखें, #जीवन बदल जायेगा, जीने का #दृष्टिकोण बदल जायेगा।
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