🌸 अच्छे कार्यों को कल नहीं, आज से ही करें आरम्भ: युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸
-त्याग, तपस्या और संयम के द्वारा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का हो प्रयास
-सुमधुर, सरस व रोचकशैली में कालूयशोविलास के आख्यान का क्रम जारी
20.08.2022, शनिवार, छापर, चूरू (राजस्थान) :
तेरापंथ धर्मसंघ में अनेकों ऐतिहासिक कीर्तिमान व स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाले तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने पूवाचार्य की जन्मभूमि छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे हैं। इस चतुर्मास में विशेष बात यह है कि आचार्यश्री छापर चतुर्मास के दौरान भगवती सूत्र के आधार पर मंगल प्रवचन कर रहे हैं। इसके साथ परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी द्वारा रचित परम पूज्य आचार्य कालूगणी के जीवनवृत्त ‘कालूयशोविलास’ का भी सुमधुर, सरस व रोमांचकशैली में आख्यान प्रदान कर रहे हैं। भगवती सूत्र से नवीन प्रेरणा और कालूयशोविलास के प्रसंगों का श्रवण कर जन-जन का मन ज्ञान और आनंद से अभिभूत बन रहा है।
शनिवार को आचार्यश्री ने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि भगवती सूत्र में एक प्रश्न किया गया कि पृथ्वियां कितने प्रकार की बताई गई हैं? उत्तर दिया गया कि सात प्रकार की पृथ्वियों का वर्णन प्राप्त होता है- रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालूकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्प्रभा, तमःप्रभा और तमसतमा। इस प्रकार सात पृथ्वियां प्रज्ञप्त हैं। प्रतिप्रश्न किया गया कि क्या वहां भी सभी प्राणी पहले उपपन्न हुए हैं? उत्तर दिया गया कि हां, अनेक बार अथवा अनंत बार उपपन्न हो गए हैं।
जैन दर्शन में अनंत जीव बताए गए हैं और प्रत्येक जीव के अनंत-अनंत जन्म-मरण हो चुके हैं। इसलिए एक जीव ने कहां-कहां जन्म ले लिया है और मृत्यु को प्राप्त किया है। जन्म-मरण का चक्र संसारी जीवों के लिए चलता रहता है। जो सिद्ध हो गए हैं, उन्होंने भी अनंत जन्म-मरण किए होंगे। सिद्धत्व प्राप्त कर वे जन्म-मरण की परंपरा से हमेशा के लिए मुक्त बन गए हैं। जन्म-मृत्यु की परंपरा में जीव अनुवर्तित और परिवर्तित होता रहता है। जन्म है तो मृत्यु का होना सुनिश्चित है। ऐसा नहीं होता कि किसी ने जन्म तो ले लिया, किन्तु मरेगा नहीं। किसी धर्म के प्रसंग को यदि आदमी कल पर टाले तो वह अच्छा नहीं होता।
अब कुछ ही दिनों में पर्युषण का पर्व प्रारम्भ होने वाला है। 24 अगस्त से पर्युषण महापर्व प्रारम्भ होने वाला है। यह धर्माराधना का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। जैन शासन के श्वेताम्बर परंपरा में यह पर्युषण पर्व के प्रति लोगों में आध्यात्मिक उत्साह भी देखने को मिलता है। इस दौरान तपस्याओं का भी क्रम चलता है। आदमी को धार्मिक साधना के उपक्रम से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। मौके पर विशेष साधना भी हो सकती है। एक सीमा तक आदमी को हर समय धर्म करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को कल करने की बात सोचनी ही नहीं चाहिए। जो कल करने की सोचते हैं, उस कार्य को आज से ही प्रारम्भ कर देने का प्रयास करना चाहिए। किसी कार्य को कल पर टालने वाले तीन ही व्यक्ति हो सकते हैं- प्रथम कि जिस व्यक्ति की मृत्यु के साथ दोस्ती हो। दूसरा कोई आदमी इतना तेज दौड़ने वाला हो कि वह मृत्यु के पकड़ में न आए और तीसरा कहे कि मैं अमर हूं। हालांकि ऐसा इस संसार में नहीं होता।
इसलिए आदमी को साधना की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। बार-बार के जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिए धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन अपने जीवन का कुछ समय त्याग, तपस्या और संयम में लगाने का प्रयास करना चाहिए। अनंत बार पैदा होने और मृत्यु को प्राप्त करने की प्रक्रिया को तोड़ने के लिए धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री से कालूयशोविलास आख्यान को आगे बढ़ाया। मुनि राजकुमारजी ने तपस्या के संदर्भ में लोगों को जानकारी प्रदान की।
यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth
यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/QOXSMV1F1vo
फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए पीछे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।
तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/
🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।
-त्याग, तपस्या और संयम के द्वारा जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति का हो प्रयास
-सुमधुर, सरस व रोचकशैली में कालूयशोविलास के आख्यान का क्रम जारी
20.08.2022, शनिवार, छापर, चूरू (राजस्थान) :
तेरापंथ धर्मसंघ में अनेकों ऐतिहासिक कीर्तिमान व स्वर्णिम अध्याय जोड़ने वाले तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी अपने पूवाचार्य की जन्मभूमि छापर में वर्ष 2022 का चतुर्मास कर रहे हैं। इस चतुर्मास में विशेष बात यह है कि आचार्यश्री छापर चतुर्मास के दौरान भगवती सूत्र के आधार पर मंगल प्रवचन कर रहे हैं। इसके साथ परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी द्वारा रचित परम पूज्य आचार्य कालूगणी के जीवनवृत्त ‘कालूयशोविलास’ का भी सुमधुर, सरस व रोमांचकशैली में आख्यान प्रदान कर रहे हैं। भगवती सूत्र से नवीन प्रेरणा और कालूयशोविलास के प्रसंगों का श्रवण कर जन-जन का मन ज्ञान और आनंद से अभिभूत बन रहा है।
शनिवार को आचार्यश्री ने प्रवचन पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि भगवती सूत्र में एक प्रश्न किया गया कि पृथ्वियां कितने प्रकार की बताई गई हैं? उत्तर दिया गया कि सात प्रकार की पृथ्वियों का वर्णन प्राप्त होता है- रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालूकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्प्रभा, तमःप्रभा और तमसतमा। इस प्रकार सात पृथ्वियां प्रज्ञप्त हैं। प्रतिप्रश्न किया गया कि क्या वहां भी सभी प्राणी पहले उपपन्न हुए हैं? उत्तर दिया गया कि हां, अनेक बार अथवा अनंत बार उपपन्न हो गए हैं।
जैन दर्शन में अनंत जीव बताए गए हैं और प्रत्येक जीव के अनंत-अनंत जन्म-मरण हो चुके हैं। इसलिए एक जीव ने कहां-कहां जन्म ले लिया है और मृत्यु को प्राप्त किया है। जन्म-मरण का चक्र संसारी जीवों के लिए चलता रहता है। जो सिद्ध हो गए हैं, उन्होंने भी अनंत जन्म-मरण किए होंगे। सिद्धत्व प्राप्त कर वे जन्म-मरण की परंपरा से हमेशा के लिए मुक्त बन गए हैं। जन्म-मृत्यु की परंपरा में जीव अनुवर्तित और परिवर्तित होता रहता है। जन्म है तो मृत्यु का होना सुनिश्चित है। ऐसा नहीं होता कि किसी ने जन्म तो ले लिया, किन्तु मरेगा नहीं। किसी धर्म के प्रसंग को यदि आदमी कल पर टाले तो वह अच्छा नहीं होता।
अब कुछ ही दिनों में पर्युषण का पर्व प्रारम्भ होने वाला है। 24 अगस्त से पर्युषण महापर्व प्रारम्भ होने वाला है। यह धर्माराधना का एक महत्त्वपूर्ण अवसर है। जैन शासन के श्वेताम्बर परंपरा में यह पर्युषण पर्व के प्रति लोगों में आध्यात्मिक उत्साह भी देखने को मिलता है। इस दौरान तपस्याओं का भी क्रम चलता है। आदमी को धार्मिक साधना के उपक्रम से जुड़ने का प्रयास करना चाहिए। मौके पर विशेष साधना भी हो सकती है। एक सीमा तक आदमी को हर समय धर्म करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को कल करने की बात सोचनी ही नहीं चाहिए। जो कल करने की सोचते हैं, उस कार्य को आज से ही प्रारम्भ कर देने का प्रयास करना चाहिए। किसी कार्य को कल पर टालने वाले तीन ही व्यक्ति हो सकते हैं- प्रथम कि जिस व्यक्ति की मृत्यु के साथ दोस्ती हो। दूसरा कोई आदमी इतना तेज दौड़ने वाला हो कि वह मृत्यु के पकड़ में न आए और तीसरा कहे कि मैं अमर हूं। हालांकि ऐसा इस संसार में नहीं होता।
इसलिए आदमी को साधना की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। बार-बार के जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति के लिए धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। प्रतिदिन अपने जीवन का कुछ समय त्याग, तपस्या और संयम में लगाने का प्रयास करना चाहिए। अनंत बार पैदा होने और मृत्यु को प्राप्त करने की प्रक्रिया को तोड़ने के लिए धर्म की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री से कालूयशोविलास आख्यान को आगे बढ़ाया। मुनि राजकुमारजी ने तपस्या के संदर्भ में लोगों को जानकारी प्रदान की।
यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth
यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://youtu.be/QOXSMV1F1vo
फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए पीछे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।
तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/
🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook