Posted on 04.09.2022 07:49
आत्मा व शरीर शुद्धि के साथ प्रकृति के सौंदर्य को लौटाने का पर्व है "दशलक्षण महापर्व"सर्वोच्च जैन तीर्थ श्री सम्मेद शिखर जी 'पारसनाथ पर्वतराज' के संरक्षण, पवित्रता, स्वतंत्र पहचान व पर्यावरण संरक्षण हेतु समस्त जैन समाज व संस्थाओं द्वारा भरपूर प्रयास करने की आवश्यकता है, वरना इको सेंसिटीव जोन में जैन तीर्थ को वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग घोषित कर पर्यावरण पर्यटन व गैर धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देकर व्यापारियों को लुभाने हेतु झारखण्ड सरकार द्वारा निवेश के लिए आमंत्रण देने हेतु झारखण्ड टूरिज्म पालिसी-2021 जारी कर दी गयी है। कृपया चिंतन करें.....विश्व जैन संगठन
👉🏼पर्वतराज से अवैध खनन व पेड़ कटने जारी हैं।
👉🏼अजैन यात्रियों के लिए कोई नियम नहीं है, वो मनमर्जी से टोंको पर जूते लेकर बैठकर अपमान करते है और
👉🏼 *हम जैनों को इसे हर वर्ष की भांति सामान्य बात मान कर सहने के लिए मजबूर किया जाता है?*
प्लास्टिक की बोतले व अन्य सामग्री से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।
*"जागो जैन जागो"* 🙏
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जो मनुष्य विनाश से बचे थे, वही यह खुशी मना रहे थे कि देखो कैसे प्रकृति पुन: अपने सौंदर्य में लौट आई है। हमें यह देखने .....