Updated on 05.09.2022 20:29
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा चातुर्मास समाप्ति के पश्चात साधु साध्वियों हेतु विहारसम्बन्धित प्रदत विशेष दिशा निर्देश
विहार सम्बन्धित प्रदत विशेष दिशा निर्देश
Posted on 05.09.2022 16:47
🌸 युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण की घोषणा : सूरत में होगा सन् 2024 का चतुर्मास 🌸-29वें विकास महोत्सव के अवसर पर महाश्रमण की मंगलवाणी से निहाल हुए श्रद्धालु
-गुरुकृपा पाकर चमक उठी डायमण्ड नगरी व टेक्सटाइल नगरी सूरत
-विकास की सही दिशा के प्रति रहें जागरूक: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण
-मेरे विकास में सहायक है तेरापंथ के तीनों आचार्यों का आशीर्वाद: केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल
05.09.2022, सोमवार, छापर, चूरू (राजस्थान) :
जन-जन को सन्मार्ग दिखाने वाले, जन-जन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संप्रसार के लिए अहिंसा यात्रा लेकर देश व विदेशी धरती को पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को बहुप्रतिक्षीत वर्ष 2024 का चतुर्मास 29वें विकास महोत्सव के अवसर भारत के गुजरात राज्य में स्थित डायमण्ड नगरी व टेक्सटाइल नगरी के नाम से विख्यात सूरत में करने की घोषणा की तो पूरा प्रवचन पण्डाल जयघोष से गुंजायमान हो उठा। अपने आराध्य की ऐसी कृपा पाकर गुरु सन्निधि में पहुंचे सूरतवासी अभिभूत हो उठे। अपने आराध्य के चरणों में बार-बार वंदन कर अपने कृतज्ञ भावों को अर्पित कर रहे थे।
सोमवार को छापर चतुर्मास प्रवास स्थल प्रातःकाल से ही जनता की विराट उपस्थिति से खचाखच भरा हुआ था। भारत के अनेक राज्यों व अन्य क्षेत्रों के श्रद्धालु अपने-अपने क्षेत्र में चतुर्मास की मांग को लेकर पहुंचे हुए थे। आज 29वां विकास महोत्सव भी समायोजित था। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के द्वारा तेरापंथ के नवमे आचार्य आचार्यश्री तुलसी के पट्टोत्सव को ‘विकास महोत्सव’ का नाम दिया था। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। तेरापंथ महिला मण्डल-छापर ने गीत का संगान किया। साध्वीवृंद द्वारा गीत का संगान किया गया। विकास परिषद के संयोजक श्री मांगीलाल सेठिया तथा विकास परिषद के सदस्य श्री पदमचंद पटावरी ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंचे भारत सरकार के संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि मेरा परम सौभाग्य है कि मुझे तेरापंथ के तीन-तीन आचार्यों से आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मेरे जीवन के विकास में परम पूज्य गुरुदेव तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी तथा वर्तमान आचार्य महाश्रमणजी के मार्गदर्शन और आशीर्वाद का योगदान है। जब मैं कलेक्टर था और मेरे चुनाव लड़ने की अटकलें तेज थीं तो उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया कि राजनीति में आना चाहिए मैं आज केन्द्रीय मंत्री तक का सफर तय किया। आज मुझे आचार्यश्री महाश्रमणजी से नियमित आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है, इसके लिए मैं इनके प्रति कृतज्ञ हूं।
साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी ने भी आज के अवसर पर जनता को उद्बोधित किया। तदुपरान्त शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित विराट जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आगम में वर्धमान होने की बात बताई गई है। आदमी को अपने अपने जीवन में विकास निरंतर विकास करने का प्रयास करना चाहिए। विकास की दिशा सही हो, अर्थात सही दिशा में विकास करने के लिए भी पूर्ण जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए। गलत दिशा में विकास अवांछनीय है। विकास की दिशा अच्छी होती है तो मंजिल की प्राप्ति हो सकती है। भाद्रव शुक्ला नवमी को आचार्यश्री तुलसी आचार्यपद पर आसीन हुए थे। 22 वर्ष की अवस्था में तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य बने और लगभग साठ वर्ष तक धर्मसंघ में अनेक विकास आयाम गढ़े। जैन विश्व भारती मान्य विश्वविद्यालय परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी के विकास का सूचक है। वे तेरापंथ के पहले ऐसे आचार्य थे, जिन्होंने अपनी स्वेच्छा से आचार्य पद का त्याग किया और अपने सुशिष्य युवाचार्य महाप्रज्ञजी का अपने हाथों से आचार्य पदाभिषेक कर दिया। उनके जितना लम्बा आचार्यकाल अभी तक किसी भी आचार्य का नहीं रहा। हमारा धर्मसंघ तप, साधना और ज्ञान के क्षेत्र में निरंतर विकास करता रहे।
आचार्यश्री ने मंगल उद्बोधन के उपरान्त वर्ष 2024 के चतुर्मास की घोषणा की। सूरतवासियों ने आचार्यश्री के समक्ष अपने कृतज्ञभावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीप्रमुखाजी ने चतुर्मास के संदर्भ में प्रेरणा प्रदान की। तदुपरान्त आचार्यश्री ने अनेक साधु-साध्वियों के सिंघाड़ों के चतुर्मास बाद विहार आदि क्षेत्रों के निर्देश प्रदान किए। इस दौरान आचार्यश्री ने विकास महोत्सव के अवसर पर स्वरचित गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने विकास महोत्सव के अधारभूत पत्र का भी वाचन किया।
आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने स्थान पर खड़े होकर संघगान किया। कार्यक्रम में साध्वी तेजस्वीप्रभाजी ने आचार्यश्री से 30 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। श्री पवन दूगड़ ने आठ की तथा योगिता ने 9 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।
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