24.04.2023: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 24.04.2023

Posted on 24.04.2023 14:29

पॉजिटिव भावना

पॉजिटिव भावना

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🌸 विकृतियों को दूर कर बनें आत्म विजेता : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण 🌸

-नागरिक अभिनंदन समारोह में जुटे सूरत के दिग्गज गणमान्य जन

-सूरत की मेयर सहित तीन पद्मश्री से विभूषित गणमान्यों ने किया आचार्यश्री का अभिनंदन

-आपश्री के दिव्य तेज से सूरत का जन-जन आलोकित : मेयर हिमालीबेन बोगावाला

24.04.2023, सोमवार, वेसु, सूरत (गुजरात) :

जन-जन को अपने आध्यात्मिक आलोक से आलोकित करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी वर्तमान समय में गुजरात राज्य के हीरे की नगरी और सिल्कनगरी सूरत को अपने आध्यात्मिक आलोक से आलोकित कर रहे हैं। अक्षय तृतीया महोत्सव के संघ प्रभावक समापन के उपरान्त सोमवार को मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में नागरिक अभिनंदन समारोह का समायोजन किया गया। जिसमें सूरत की मेयर हिमालीबेन बोगावाला सहित सूरत के कई उद्योगपति तथा कई पद्मश्री सम्मान से विभूषित गणमान्यों ने आचार्यश्री की अभिवंदना में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया।

सोमवार को महावीर यूनिवर्सिटी परिसर में बने भव्य महावीर समवसरण में सोमवार को आचार्यश्री का नागरिक अभिनंदन समारोह का आयोजन हुआ। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से आरम्भ हुए इस कार्यक्रम में मुमुक्षु ऋजुल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। चार वर्षों बाद विदेश से गुरुदर्शन करने वाली समणी चैतन्यप्रज्ञाजी ने अपनी हर्षाभिव्यक्ति देते हुए जैन धर्म के प्रसार में किए गए कार्यों का उल्लेख किया। साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया।

आचार्यश्री ने समुपस्थित सूरत की जनता को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि दुनिया में हार-जीत की स्थिति बनती है। चुनाव में कोई हार जाता है तो कोई जीत जाता है। दस लाख शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला विजयी हो सकता है, किन्तु एक अपनी आत्मा को जीत लेने वाला परम विजयी होता है। आत्मा को जीत लेना परम जय हो जाती है। शरीर अस्थाई और आत्मा स्थाई होती है। शरीर का विनाश को प्राप्त हो जाता है और आत्मा अविनाशी है। अपनी आत्मा को जीतने का अर्थ है आत्मा को मलीन बनाने वाली विकृतियों को दूर कर देना। विकृतियों को दूर कर आत्मा के शुद्ध स्वरूप को उजागर करना ही आत्मविजय की बात है।

भौतिक साधनों से आदमी को सुविधा मिल सकती है, किन्तु शांति प्राप्ति के लिए आदमी को साधना की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा की एक विकृति है गुस्सा। गुस्से को दूर करने के लिए उपशम की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। प्रेक्षाध्यान, स्वाध्याय, अनुप्रेक्षा व संकल्प द्वारा गुस्से की विकृति को दूर कर आत्मा को निर्मल बनाया जा सकता है। इसी प्रकार घमण्ड रूपी विकृति को दूर करने के लिए मार्दव का उपयोग करना चाहिए। माया, छलना, धोखाधड़ी रूपी विकृतियों को दूर करने के लिए आर्जव भाव का उपयोग किया जा सकता है। लोभ को संतोष से जीता जाता है। इस प्रकार मोहनीय कर्मों को जीतने वाला आत्म विजेता बन सकता है।

आचार्यश्री ने आगे कहा कि इस समय हमारी अणुव्रत यात्रा चल रही है। अणुव्रत आंदोलन का शुभारम्भ परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने किया। मैं भी अपनी यात्रा के दौरान जन-जन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को बताने का प्रयास करता हूं। सूरत की जनता में भी इन सूत्रों का भाव बना रहे। आचार्यश्री ने गुरुदर्शन करने वाली समणियों को भी पावन आशीर्वाद प्रदान किया।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त नागरिक अभिनंदन समारोह का शुभारम्भ हुआ। तेरापंथ समाज द्वारा मंगलाचरण किया गया। आचार्यश्री महाश्रमण नागरिक अभिनंदन समारोह समिति के श्री भरत भाई शाह व प्रसिद्ध उद्योगपति श्री गोविंद भाई ढोलकिया ने अपनी अभिव्यक्ति दी।

सूरत महानगरपालिका की मेयर हिमालीबेन बोगावाला ने कहा कि आज मैं पूरे सूरत शहर की जनता की ओर आचार्यश्री महाश्रमणजी को नमन, वंदन और अभिनंदन करती हूं। आपश्री के आगमन से सूरत का वातावरण ही बदल गया है। आपके गुणों का गान करने के लिए कई जन्म लेने पड़ेंगे। आपने विश्व के कल्याण के लिए जो कार्य किया है, वह वंदनीय है। आपश्री के आध्यात्मिक दिव्य तेज से सूरत का जन-जन प्रभावित नजर आ रहा है। आपसे प्राप्त प्रेरणा को मैं भी अपने जीवन में उतारने का प्रयास करूंगी। आपश्री ऐसा आशीर्वाद प्रदान करें, जिससे सूरत पूरी दुनिया में प्रसिद्धि को प्राप्त करता रहे।

इसके अलावा समाजसेवी श्री कांजीभाई भालाला, म्युनिसिपल कार्पोरेशन स्टेण्डिंग कमेटी के चेयरमेन श्री परेशभाई पटेल, जीतो के पूर्व अध्यक्ष श्री गणपत चौधरी, पद्मश्री श्री मथुरभाई सवानी, पद्मश्री यजदीभाई करंजिया, पद्मश्री कानू भाई टेलर, डॉ. जीतूभाई शाह व वेसु इस्कॉन के प्रेसिडेंट श्री राधाचरणजी ने अपनी आचार्यश्री के अभिनंदन में अपने भावों को अभिव्यक्त कर पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। अभिनंदन पत्र का वाचन श्री संजय जैन ने किया। आचार्यश्री ने लोगों को पावन आशीर्वाद प्रदान किया। नागरिक अभिनंदन कार्यक्रम का संचालन श्री अनुराग कोठारी व श्री विश्वेश संघवी ने किया।

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