29.04.2023: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 29.04.2023
Updated: 29.04.2023

Updated on 29.04.2023 20:30

मेरी संसारपक्षीय मां...

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Posted on 29.04.2023 18:14

🌸 युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का 62वां जन्मोत्सव : चतुर्विध धर्मसंघ ने किया वर्धापित 🌸

-सूरतवासियों को आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों के चतुर्मास के रूप में दी सौगात

-तेजस्विता, शांति व अनुशासन से युक्त हो दुर्लभ मानव जीवन : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

-साधु-साध्वियों, समणियों व श्रावक समाज ने अपने आराध्य को किया वर्धापित

29.04.2023, शनिवार, वेसु, सूरत (गुजरात) :

डायमण्ड नगरी को आध्यात्मिक नगरी बनाने के लिए सूरत में प्रवासित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी का 62वां जन्मोत्सव भव्य एवं आध्यात्मिक रूप में समायोजित हुआ। अपने आराध्य को चतुर्विध धर्मसंघ ने वर्धापित करते हुए अपनी भावनाओं की अभिव्यक्तियां दीं तो आचार्यश्री ने भी श्रद्धालुओं को मंगल आशीर्वाद का अभिसिंचन प्रदान किया।

इतना ही नहीं सूरतवासियों पर कृपा बरसाते हुए वर्ष 2024 के चतुर्मास को भगवान महावीर युनिवर्सिटी परिसर में करने की घोषणा के साथ संतों और साध्वियों के वर्ष 2023 के चतुर्मास की सौगात भी दी। आचार्यश्री की इस कृपापूर्ण आशीष को प्राप्त कर सूरत का जन-जन पुलकित और आनंदित नजर आ रहा था।

शनिवार को सूर्योदय होने के पूर्व ही ब्रह्ममुहूर्त में भी सूरत व देश के विभिन्न हिस्से से अपने आराध्य के जन्मोत्सव में पहुंचे श्रद्धालु गुरु सन्निधि में पहुंचने लगे। अपने भक्तों पर कृपा करते हुए आचार्यश्री प्रवास स्थल से भगवान महावीर समवसरण में पधारे। विशाल समवसरण मानों जनाकीर्ण नजर आ रहा था। सभी अपने आराध्य को वर्धापित करने को उत्सुक दिखाई दे रहे थे। आचार्यश्री के संसारपक्षीय परिजनों ने थालियां बजाईं और अपनी-अपनी अभिव्यक्ति दी तो वहीं संतवृंद, साध्वीवृंद और समणीवृंद ने गीत का संगान कर अपने आराध्य के जन्मोत्सव पर अपने भक्तिभावों का अर्पण किया। तदुपरान्त सूरत तेरापंथ समाज, दुगड़ परिवार, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल ने पृथक्-पृथक् गीतों का संगान किया। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल, अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी आदि सभी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी अपनी भावनाएं अभिव्यक्त कर अपने सुगुरु को वर्धापित किया। प्रातःकाल का बृहत् मंगलपाठ आचार्यश्री ने महावीर समवसरण में ही सुनाया। मंगलपाठ के उपरान्त आचार्यश्री पुनः प्रवास स्थल में पधारे।

कुछ समय बाद ही आचार्यश्री मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के लिए पुनः प्रवचन पण्डाल में पधार गए। शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि हम सभी को मानव जीवन प्राप्त है। मानव जीवन को दुर्लभ और महत्त्वपूर्ण बताया गया है। दुर्लभ इसलिए कि चौरासी लाख जीव योनियों कितने जीवों को मानव शरीर प्राप्त नहीं हो नहीं है। महत्त्वपूर्ण इसलिए की इस मानव जीवन के प्राप्ति के बाद ही आदमी साधना, तपस्या के द्वारा इस भवसागर को पार कर मोक्ष का वरण कर सकता है अथवा परमात्म पद को प्राप्त कर सकता है।

जन्म लेना तो नियति का योग है, लेकिन जीवन को कैसे जिया जाए, अपने जीवन का प्रबन्धन ऐसा हो कि इस दुर्लभ मानव जीवन का पूर्ण लाभ उठाया जा सके। आदमी को जीवन जीने के लिए इतना श्रम करना होता है तो आदमी ऐसा कार्य करे कि पूर्वकृत कर्मों का क्षय भी कर सके, ताकि उसकी आत्मा कल्याण हो सके। स्वकल्याण के साथ परोपकार भी करने का प्रयास होना चाहिए। आचार्यश्री ने अपने माता-पिता से बाल्यकाल में प्राप्त सद्संस्कारों का वर्णन करते हुए कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार देने का प्रयास करना चाहिए। प्राप्त संस्कार के बाद जप, तप, ध्यान, साधना, योग के द्वारा जीवन में तेजस्विता को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार सूर्य कितनों का उपकार करता है, उसी प्रकार आदमी अपने जीवन में तेजस्विता को प्राप्त लोगों का उपकार कर सके। तेजस्विता के साथ जीवन में शांति भी रखने का प्रयास करना चाहिए। जीवन तेजस्विता, शांति और अनुशासन से युक्त हो। आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मुमुक्षुओं की संख्यावृद्धि हो, ऐसा सभी को प्रयास करना चाहिए। पूरा धर्मसंघ हमारा परिवार है। इस परिवार का खूब अच्छा धार्मिक-आध्यात्मिक विकास होता रहे।

महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी के जन्मोत्सव के संदर्भ में कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ तो चार घण्टे का समय कैसे व्यतीत हो गया, लोगों को आभास ही नहीं हो पाया। कार्यक्रम में मुनि देवकुमारजी, मुनि ऋषिकुमारजी, मुनि प्रिंसकुमारजी, मुनि जयेशकुमारजी, मुनि वर्धमानकुमारजी, मुनि चिन्मयकुमारजी, मुनि अनेकांतकुमारजी, मुनि मेधावीकुमारजी, मुनि विनम्रकुमारजी, मुनि राजकुमारजी, मुनि मोहजीतकुमारजी, मुनि नम्रकुमारजी, मुनि केशीकुमारजी, मुनि रम्यकुमारजी, मुनि अनुशासनकुमारजी, मुनि कोमलकुमारजी व मुनि गौरवकुमारजी ने अपने आराध्य के जन्मोत्सव पर अपनी भावांजलि अर्पित की। दुगड़ परिवार ने गीत का संगान किया। तदुपरान्त आचार्यश्री के संसारपक्षीय भाई श्री सूरजकरण दुगड़ व श्री श्रीचन्द दुगड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। साध्वी चारित्रयशाजी, साध्वी त्रिशलाकुमारीजी, साध्वी संगीतप्रभाजी, साध्वी हिमश्रीजी, साध्वी आरोग्यश्रीजी, साध्वी पावनप्रभाजी, साध्वी तन्मयप्रभाजी, साध्वी ख्यातयशाजी, साध्वी रश्मिप्रभाजी, साध्वी चेतनप्रभाजी, साध्वी चैतन्ययशाजी, साध्वी आर्शप्रभाजी, साध्वी ऋषिप्रभाजी, साध्वी अखिलयशाजी, साध्वी मंजुलयशाजी, साध्वी स्तुतिप्रभाजी, साध्वी मलयप्रभाजी, साध्वी अक्षयप्रभाजी, समणी अक्षयप्रज्ञाजी व समणी निर्मलप्रज्ञाजी ने अपनी-अपनी अभिव्यक्ति के द्वारा अपने आराध्य की वर्धापना की।

आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री संजय सुराणा ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री से वर्ष 2024 के चतुर्मास के लिए स्थान निर्धारण की प्रार्थना की। इस दौरान भगवान महावीर युनिवर्सिटी के ऑनर श्री अनिल भाई जैन, श्री संजय भाई जैन व श्री जगदीशभाई जैन ने भी अपनी अभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री से प्रार्थना की। आचार्यश्री ने सूरतवासियों पर कृपा बरसाते हुए वर्ष 2024 का चतुर्मास भगवान महावीर युनिवर्सिटी परिसर में करने की घोषणा की तथा साथ ही सूरतवासियों सौगत प्रदान करते हुए मुनि उदितकुमारजी का चतुर्मास उधना में तथा साध्वी त्रिशलाकुमारीजी को सिटीलाइट, सूरत में वर्ष 2023 का चतुर्मास करने की आज्ञा भी प्रदान कर दी। आचार्यश्री से आशीर्वाद और सौगात को प्राप्त सूरतवासी निहाल हो उठे। कार्यक्रम में वर्ष 2024 के आचार्यश्री के जन्मोत्सव/पट्टोत्सव कार्यक्रम जालना में निर्धारित है। इस संदर्भ में जालना के लोगों ने पूज्य सन्निधि में बैनर का लोकार्पण किया।

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