Posted on 17.06.2023 07:33
बन्द करो 🐂 🐕 🦍 🐒 🐓 🐏 🐅 🐇कल 17 जून को भारत सरकार द्वारा एक प्रस्ताव लाया जा रहा है जिसमे अब जीवित पशुओं का भी निर्यात करा जायेगा जबकि पहले सिर्फ मृत पशुओं का ही निर्यात करा जाता था
जीवित पशुओं के निर्यात की नीति का मैं विरोध करता हूं व मांग करता हूं की सरकार इस को वापस ले।
जल्द बचाना होगा नंदी को
Source: © Facebook
शंकर के नंदी और आदि तीर्थंकर के चिन्ह मूरत को पूजने वालो, जिंदा नंदी , आदि चिन्ह को बचा लो , सरकार चाहती है बेचना , किसल...
Updated on 18.06.2023 07:32
श्रीमान संयुक्त सचिव महोदय,मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय,
कृषि भवन,
नई दिल्ली-
110001
विषय: आपके कार्यालय ज्ञापन दिनांक 07/06/2023 के द्वारा सूचित किया गये- *पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023* (ड्राफ्ट) के सन्दर्भ में।
आदरणीय महोदय,
हम पशु प्रेमी होने के नाते, इस विषय में हितधारकों में से एक हैं और तदनुसार, हमें पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023 पर निम्नलिखित आपत्तियां हैं:
1) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 में लिखा है कि
➡️राज्य, कृषि और पशुपालन को आधुनिक और वैज्ञानिक प्रणालियों से संगठित करने का प्रयास करेगा और विशिष्टतया गायों और बछड़ों तथा अन्य दुधारू और वाहक पशुओं की नस्लों के परिरक्षण और सुधार के लिए और उनके वध का प्रतिषेध करने के लिए कदम उठाएगा।
प्रस्तावित पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 48 के विपरीत है क्योंकि उसमें जीवित प्राणियों के निर्यात एवं मांस निर्यात के भी प्रावधान हैं
2) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A में भारतीय नागरिको के मौलिक कर्तव्यों का उल्लेख किया गया है जिसमें 51A(g) में लिखा है कि
➡️ (g) प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, रक्षा करे और उसका संवर्धन करे तथा प्राणि मात्र के प्रति दयाभाव रखे;
प्रस्तावित पशुधन आयात और निर्यात विधेयक, 2023 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A(g) के विपरीत है क्योंकि उसमें जीवित प्राणियों के हिंसा के प्रवधान हैं
3) माननीय सुप्रीम कोर्ट ने पशुओं को भी संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार जीवन के अधिकार होने की पुष्टि की है एवं निम्नलिखित निर्णय दिए हैं
a) Animal Welfare Board of India v. Nagaraja and Others (2014)
Everyone has the right to life and personal liberty, and neither may be taken away from them without a court order, as stated in Article 21. In the 2014 case of Animal Welfare Board of India v. Nagaraja and Others, the Supreme Court expressly decided on Article 21 in favour of animals. The Apex Court ruled that every species has a legal right to life and safety under the law of the land.
b) State of Gujarat v. Mirzapur Moti Kureshi Kassab Jamat and Ors (2005)
In State of Gujarat v. Mirzapur Moti Kureshi Kassab Jamat and Ors (2005), the Supreme Court of India ruled that Article 51A was adopted by the Parliament to be read with Articles 48 and 48A, ensuring that all provisions are interpreted by the letter of the law.
4) आपकी वेबसाइट में दी गई जानकारी में बताया गया है कि आपके मंत्रालय का क्षेत्राधिकार केवल पशुओं के आयात से संबंधित मामलों तक ही सीमित है और निर्यात मामला DGFT, वाणिज्य मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए उपरोक्त प्रस्तावित विधेयक में लाया गया निर्यात का मसला, आपके मंत्रालय के कार्य क्षेत्र में नहीं आने के कारण, संपूर्ण विधेयक की कानूनी वैधता पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है।
5) हितधारकों की जागरूकता के लिए इस प्रस्तावित विधेयक को प्रिंट मीडिया के माध्यम से उचित प्रचार दिया जाना चाहिए था, जो कि आपने नहीं दिया। इसके साथ ही हितधारकों द्वारा अपने सुझाव और टिप्पणियां प्रस्तुत करने के लिए भी सामान्यतः 60 दिनों का समय दिया जाता है, पर आपने इसके लिये केवल 10 दिनों का समय दिया जो कि अपर्याप्त है। उपरोक्त ड्राफ्ट बिल पारित करने के लिए सामान्य मानदंडों का पालन नहीं किया गया एवं हितधारकों को अपनी आपत्तियों को दर्ज करने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया जो कि एक गैरकानूनी प्रक्रिया है।
7) उपरोक्त आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि
i) प्रस्तावित विधेयक को तुरंत रद्द करें और
ii) नया विधेयक लेकर आएं जिसका दायरा केवल पशु-पक्षियों के आयात (Import) के विषय तक ही सीमित हो, जो कि आपके मंत्रालय के कार्यक्षेत्र में आता है।
कृपया पत्र का उत्तर जरूर दें।
सधन्यवाद।
*उपरोक्त पत्र ईमेल द्वारा निम्नलिखित ईमेल एड्रेस पर भेजे। नीचे दिए गए सभी ईमेल एड्रेस को एकसाथ कॉपी करके अपने email compose के To के एड्रेस बार में पेस्ट करना है वो स्वयं ही व्यवस्थित हो जाएंगे*
, , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,
Source: © Facebook