Title...Jambu Kahyo Maan le
Performed by Babita Gunecha
Song describe life of last Keval Gyani of Bharat Kshetra in the era of present Avsarpini. It is very interesting. How Jambu is Impressed by Sudharma Swami. He decided to take Deeksha. Parents tried to stop him in the worldly affair. Parents say they will give permission to him for Diksha once he married to 8 Kanya to whom he was engaged.Jambu agreed on this point and after marriage he impressed his wives too. He also change heart of Prabhav and 500 thief. He took Deeksha along with 527 people by hand of Acharya Sudharma.
जंबू कह्यो मान ले
राजग्रही नां वासिया जी, जम्बू नाम कुंवार,
राजग्रही नां वासिया जी, जम्बू नाम कुंवार,
जम्बू ! कह्यो मानले जाया ! मत ले संजम भार ।।
१।।
सुधर्मा स्वामी पधारिया जी, राजग्रही रे माय ।
कोणिक वांदण चालियो जी, जम्बू वांदण जाय ।।
२।।
भगवन्त बाणी वागरी जी, बरसै इमरत धार ।
वाणी सुण वैरागियो जी, जाण्यो अधिर संसार ।।
३।।
घर आया माता कनैजी, विनवै बारम्बार ।
अनुमति दीज्यो मातजी, मैं लेस्यूस्यूं संजम भार ।
माता मोरी सांभलो, मैं लेस्यूं संजम भार ।।४।।
माता - ए आठूं ही कामणी जम्बू ! अपछर रै
उणिहार ।
परणी नै किम परिहरो, ज्यांरो किम निकलै जम-
वार।।५।।
ए आठूं ही कामणी जम्बू ! तुझ बिन विलखी
थाय।
ए आठूं ही कामणी जम्बू ! तुझ बिन विलखी
थाय ।
रमियां ठनियां सूं नीसरै, ज्यांरो वदन कमल बिल-
खाय।।६।।
जम्बू - मतिहीणा कोई मानवी माता ! मिथ्या मत
भरपूर ।
रूप रमणी सूं राचिया, ज्यारी नहिं हुवै दुर्गति दूर,
माता।।७।।
माता - पाल पोस मोटो कियो जम्बू ! इम किम द्यो
छिटकाय ।
मात पिता मेलै झूरता, थारै दया नहीं दिल मांय । ।
८।।
जम्बू - एक लोटो पाणी पियो, माता! मायर बाप
अनेक ।
सगलां री दया पालसूं, माता! आणी चित्त वि-
वेक।।९।।
माता—ज्यूं आंधां रै लाकड़ी, जम्बू ! तू म्हारै प्राण
आधार।
तूझ बिन म्हारै जग सूनो जाया! जननी जीतब
राख।।१०।।
जम्बू-रतन जड़त रो पींजरो, माता! सूवो जाणै
फन्द।
काम भोग संसार नां माता! ज्ञानी जाणै झूठा
फन्द।।११।।
माता-पंच महाव्रत पालणा जम्बू ! पांचूं ही मेरु
समान।
दोष बयांलीस टालणा जम्बू! लेणो सूझतो अन
पान।।१२।।
जम्बू- पांच महाव्रत पालस्यूस्यूं माता ! पांचूं ही
शिखर समान।
दोष बयालीस टालस्यूस्यूं माता! लेस्यूस्यूं सूझतो
आ'र।।१३।।
माता -संजम मारग दोहिलो जम्बू ! चालणी खाण्डै
री धार ।
नदी किनारे रूंखड़ो जम्बू ! जद कद होवै छार।।
१४।।
चांद बिना किसी चांदणी, जम्बू ! तारां बिना किसी
रात ।
वीर बिना किसी बहनड़ी, जम्बू ! झूरसी वार-ति-
वार।।१५।।
दीपक बिना मंदिर सूनो, जम्बू ! पुत्र बिना परिवार ।
कन्त बिना किसी कामणी जम्बू ! झूरसी बारू ही
मास।।१६।।
जम्बू - मात-पिता मेळो मिल्यो, माता ! मिल्यो अन-
न्ती वार ।
तारण समरथ को नहीं माता ! पुत्र पिता परिवार ।।
१७।।
मोह मत करो म्हारा मातजी ! मोह कियां बंधै
कर्म ।
हालर हूलर कांय करो माता! करज्यो जिनजी रो
धर्म।।१८।।
माता-ए आढठूं ही कामणी, जम्बू ! सुख विलसो
संसार ।
दिन पाछा पड़ियां पछै थे तो लीज्यो संजम
भार।।१९।।
जम्बू - ए आढठूं ही कामणी माता! समझाई एकण
रात।
जिनजी रो धर्म पिछाणियो, माता! संजम लेसी
म्हारै साथ।।२०।।
मात-पिता नैं तारिया जम्बू ! तारी छै आठूं ही नार ।
सासू-सुसरा नैं तारिया जम्बू ! पांच सौ प्रभव
परिवार ।
जम्बू भलो चेतियो थे तो लीनो संजम भार।।२१।।
पांच सो सत्ताई जणां स्यूस्यूं जम्बू लीनो संजम
भार।
इग्यारे जीव मुगते गया साधु बाकी स्वर्ग मझार । ।
२२।।