Posted on 07.11.2023 16:49
🌸 ज्ञान हमारे आचरण में झलके – आचार्य महाश्रमण🌸– पूज्य प्रवर ने बताई आगम शास्त्रों की महत्ता
– आचार्यप्रवर के चरणों से धन्य बन रहा नंदनवन परिसर
07.11.2023, मंगलवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई (महाराष्ट्र)
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के पावन प्रवास से नंदनवन का कोना–कोना पावन बना हुआ है। चतुर्मास प्रवास स्थल पर बने विविध आयामों का लाभ उठाकर आगंतुक श्रद्धालु अपने आप को अध्यात्म से भावित कर रहे है। चाहे वो बुक्स स्टॉल हो या महाश्रमण कीर्तिगाथा म्यूजियम, किड्स जॉन, आरोग्य केंद्र आदि अनेकों गतिविधियों से जनता लाभान्वित हो रही है। प्रातः कालीन भ्रमण के दौरान आचार्य श्री अनुग्रह कर एक एक स्थान पर अवलोकनार्थ भी पधार रहे है। गुरुदेव की असीम अनुकम्पा प्राप्त कर मुंबई वासी धन्यता की अनुभूति कर रहे है।
मंगल प्रवचन में धर्म देशना देते हुए गुरुदेव ने कहा– हमारे बत्तीस आगमों में ग्यारह अंग कहे जाते है और ये ग्यारह अंग ही गणि पिटक अर्थात आचार्य की संपदा होती है। जिस प्रकार गृहस्थ के लिए धन संपदा होती है, वह इसे सुरक्षित रखने के लिए सदा चिंतित रहता है उसी प्रकार ग्यारह अंग आचार्य की संपदा होती है। हालाँकि इसका महत्व साधु-साध्वियों व श्रावकों के लिए भी होता है, पर आचार्य गणि होते है और धर्म संघ के सर्वेसर्वा होते है, अतः उनके लिए इसका विशेष महत्व होता है व सुरक्षा का दायित्व भी। आगम स्वाध्याय के लिए उपयोग में आते हैं।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि ग्रंथ तो निर्जीव होते हैं पर उनसे ग्रहण किया जाने वाले ज्ञान ऐसी मंजूषा है जिसे कोई चुरा नहीं सकता। ज्ञान की मंजूषा भाव मंजूषा व पुस्तकें द्रव्य मंजूषा है। छपे हुए ग्रंथों की भी जरा भी आशातना न हो व रखने उठाने में भी जागरूकता रहे क्योंकि ये ज्ञान प्राप्ति के साधन हैं। तीर्थंकरों का ज्ञान इतना विकसित होता है कि उन्हें किसी आगम पठन की अपेक्षा नहीं होती बल्कि उनकी वाणी खुद ही आगम है। गणि पिटक का पहला अंग है– आचारंग जो हमें आचार की जानकारी देता है। ज्ञान का सार है, आचार। जो ज्ञान आचार में आये उस ज्ञान का ज्यादा महत्व होता है। ज्ञान हमारे आचरण में झलके। हमारा आचार सम्यक व निर्मल रहे, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
तत्पश्चात जैन विश्व भारती के अध्यक्ष श्री अमरचंद लुंकड़, मुख्य न्यासी श्री बी. रमेशचंद बोहरा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री चांदरतन दुगड़, उपाध्यक्ष श्री जयंतीलाल सुराणा, मंत्री श्री सलिल लोढा, परामर्शक श्री मदनलाल तातेड़, श्री रुपचंद दुगड़ द्वारा वनस्पति काय: एक परिशीलन एवं फाउण्टेन ऑफ अमृत नामक नव प्रकाशित पुस्तकों का विमोचन परमपूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में हुआ।
यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth
यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/live/FyHbazmFX2c?si=Vx5uEkKc_lTIa5YQ
फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।
तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/
🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा
आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook
Source: © Facebook