14.02.2024: Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha

Published: 14.02.2024
Updated: 14.02.2024

Updated on 14.02.2024 17:51

ऐतिहासिक विशेष जानकारी के साथ परम पूज्य गुरुदेव द्वारा सेवा केंद्रों पर संतो व साध्वियों की नियुक्ति की घोषणा से जुड़ा यह वीडियो पूरा जरूर जरूर देखें

Watch video on Facebook.com


Posted on 14.02.2024 15:46

🌸 तेरापंथ धर्मसंघ का महाकुम्भ : 160वें मर्यादा महोत्सव का वाशी में आध्यात्मिक आगाज 🌸

-मर्यादा पत्र को युगप्रधान आचार्यश्री ने स्थापित कर त्रिदिवसीय कार्यक्रम के शुभारम्भ की करी घोषणा

-सेवा के नाम समर्पित रहा मर्यादा महोत्सव का प्रथम दिवस

-परस्परोपग्रहो जीवानाम् सूत्र को महातपस्वी महाश्रमण ने किया व्याख्यायित

-सेवाकेन्द्रों पर सेवादायी संतों व साध्वियों की शांतिदूत ने की नियुक्ति

-सेवा में नियोजित करने को साधु-साध्वियों ने आचार्यश्री से किया निवेदन

-साध्वीवर्याजी ने भी जनता को किया उद्बोधित, श्रद्धालुओं ने दी भावनओं को अभिव्यक्ति

14.02.2024, बुधवार, वाशी, नवी मुम्बई (महाराष्ट्र) :

नवी मुम्बई के वाशी में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के महाकुम्भ के रूप में ख्यापित 160वें मर्यादा महोत्सव का भव्य आध्यात्मिक आगाज हुआ। वसंत पंचमी के दिन प्रारम्भ होने वाले इस त्रिदिवसीय महामहोत्सव का मंगल शुभारम्भ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान देदीप्यमान महासूर्य, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। युगप्रधान आचार्यश्री ने मर्यादा महोत्सव के आधारभूत मर्यादा पत्र को स्थापित कर त्रिदिवसीय कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा की तो पूरा वातावरण जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। वाशी की धरा पहली बार आयोजित मर्यादा के इस महामहोत्सव से अरब सागर के तट पर बसी मायानगरी आध्यात्मिक नगरी के रूप में प्रतिष्ठापित हो गई।

वाशी के महाराष्ट्र भवन प्लॉट में बने भव्य मर्यादा समवसरण में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण द्वारा मर्यादा महोत्सव के शुभारम्भ की घोषणा के उपरान्त मुनि दिनेशकुमारजी ने ‘मर्यादा गीत’ गीत का संगान किया। उपासक श्रेणी ने इस अवसर पर गीत का संगान किया। नई दिल्ली में चतुर्मास कर गुरु दर्शन करने वाले मुनि कमलकुमारजी ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। तदुपरान्त आचार्यश्री ने इस संदर्भ में अपने मंगल उद्बोधन में कहा कि आज वसंत पंचमी के दिन मर्यादा महोत्सव का शुभारम्भ हुआ है। हमारे उग्रविहारी, तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी नई दिल्ली चतुर्मास कर पधारे हैं। सभी संत खूब अच्छा काम करें। साध्वी सोमलताजी से हमारी ओर से भी सुखसाता पूछिएगा। आचार्यश्री स्वयं पट्ट नीचे उतर उन्हें कुछ कदम तक विदा कर पुनः पट्ट पर विराजमान हुए।

सेवा के लिए समर्पित प्रथम दिवस पर साध्वी समाज की ओर से साध्वी जिनप्रभाजी ने तथा संत समाज की ओर से मुनि कुमारश्रमणजी ने आचार्यश्री से सेवा में नियोजित करने की याचना की। साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित जनता को सम्बोधित किया।

तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने 160वें मर्यादा महोत्सव के प्रथम दिन पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि धर्म को उत्कृष्ट मंगल कहा गया है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म यदि जीवन है तो धर्म का कोई विधान शेष नहीं बचता। तप-साधना में अनुकूलता के लिए संघ का सहारा मिलता है। एकाकी साधना की बात भी होती है, किन्तु वर्तमान में जैन शासन में संघबद्ध साधना की परंपरा चल रही है। जहां संघ रूप में इतने लोग एक साथ होते हैं, वहां मर्यादा, व्यवस्था, अनुशासन की बात भी होती है। संघ में एक मुखिया की भी आवश्यकता होती है। जिस प्रकार पुलिस व्यवस्था में थानेदार, एसपी, आईजी आदि की व्यवस्था, किसी संस्था में अध्यक्ष, मंत्री, देश में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति आदि होते हैं, उसी प्रकार किसी संघ के संचालन के लिए मुखिया की आवश्यकता होती है।

जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य अनुशास्ता आचार्यश्री भिक्षु हुए। उनके उपरान्त आचार्य परंपरा चली। जहां संघ होता है, वहां कोई रुग्ण, वृद्ध आदि के सेवा की बात भी होती है। एक सूत्र में बताया गया है- परस्परोपग्रहो जीवानाम्। जीव-जीवन के काम आते हैं। आदमी अपनी-अपनी अर्हताओं के माध्यम से सेवा का कार्य कर सकते हैं। दूसरों को ज्ञान देना, किसी की साधना में सहयोग कर देना, किसी को चित्त समाधि पहुंचाने का प्रयास, किसी प्रकार की व्यवस्था को कुशलता पूर्वक कर देना, डेरे, चौकों आदि की व्यवस्था भी होती है। धर्मसंघ में सभी अपनी-अपनी खूबी से उपकार करते हैं। प्रमार्जनी, रजोहरण आदि धर्मोपकरण की व्यवस्था करना भी उपकार है, सेवा का कार्य है।

आचार्यश्री सेवा के विभिन्न आयामों, पूर्वाचार्यों तथा पूर्व के विशिष्ट संतों द्वारा की गई सेवा का वर्णन करते हुए कहा कि मुख्यमुनि, साध्वीप्रमुखाजी व साध्वीवर्याजी अपने-अपने ढंग से संघ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। आज के दिन सेवा व सहयोग की बात होती है। इस संदर्भ में तेरापंथ के रुग्ण, वृद्ध व सेवा सापेक्ष साधु-साध्वियों के लिए सेवाकेन्द्र की व्यवस्था है। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने साध्वियों के सेवाकेन्द्र लाडनूं में साध्वी प्रमिलाकुमारजी के ग्रुप को, बीदासर समाधिकेन्द्र में साध्वी कार्तिकयशाजी के गु्रप को, गंगाशहर सेवाकेन्द्र में साध्वी चरितार्थप्रभाजी व साध्वी प्रांजलप्रभाजी को, हिसार उपसेवाकेन्द्र पर साध्वी सरोजकुमारजी, साधुओं के सेवाकेन्द्र में छापर सेवाकेन्द्र पर मुनि विनोदकुमारजी और जैन विश्व भारती में मुनि रणजीतकुमारजी को नियुक्त करने की घोषणा की।

आचार्यश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि सेवादायी साधु-साध्वियां इस अवसर का लाभ उठाने का प्रयास करें। सेवाग्राही साधु-साध्वियां भी संयम और तप से युक्त रहें, चित्त समाधि में रहें। श्रावक-श्राविकाएं भी चिकित्सा, गोचरी-पानी आदि अनेक माध्यमों से सेवा का लाभ उठाने का प्रयास करते रहें। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ किशोर मण्डल, तेरापंथ कन्या मण्डल आदि-आदि अनेक संस्थाओं के माध्यम से भी श्रावक-श्राविकाएं संघ को सेवा देने का प्रयास करते रहें। सभी में सेवा की भावना पुष्ट रहे, सेवा में स्वयं को नियोजित करने का प्रयास करते रहें।

इस अवसर पर आचार्यश्री के समक्ष जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा जय तिथि पत्रक व मुनि मोहनलालजी जीवनवृत को लोकार्पित किया गया। कोलकाता मित्र परिषद द्वारा तिथि दर्पण को लोकार्पित किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया। वाशी तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री विनोद बाफना, मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के स्वागताध्यक्ष श्री चांदरतन दूगड़ व श्री नवरतनमल गन्ना ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। वाशी तेरापंथ समाज ने अभी तक के सभी 160 मर्यादा महोत्सवों की झांकी को प्रस्तुति दी। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति के सदस्यों द्वारा गीत का संगान किया गया। औरंगाबाद में आयोजित अक्षय तृतीया तथा जालना में आयोजित आचार्यश्री के पचासवें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष, जन्मोत्सव, पट्टोत्सव आदि से संदर्भि बैनर का लोकार्पण किया गया।

इस दौरान आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने भी आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति देते हुए आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। तीन घंटे से भी अधिक समय तक इस महामहोत्सव के प्रथम दिन का कार्यक्रम चलता रहा और जनता अपने आराध्य की मंगलवाणी, प्रेरणाओं से ओतप्रोत होती रही।

यूट्यूब पर Terapanth चैनल को सब्सक्राइब करें
https://www.youtube.com/c/terapanth

यूट्यूब पर आज का वीडियो ऑनलाइन देखने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
https://www.youtube.com/live/OUMviG5pO4c?feature=shared

फेसबुक पेज पर प्रतिदिन न्यूज़ पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें और पेज को लाइक करे, फॉलो करें।

तेरापंथ
https://www.facebook.com/jain.terapanth/

🙏 संप्रसारक🙏
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा

आचार्यश्री महाश्रमण जी एवं तेरापंथ धर्मसंघ आदि के नवीनतम समाचार पाने के लिए--
♦ 7044774444 पर join एवं अपने शहर का नाम लिखकर whatsapp करें।

Photos of Terapanths post


Sources
Categories

Click on categories below to activate or deactivate navigation filter.

  • Jaina Sanghas
    • Shvetambar
      • Terapanth
        • Institutions
          • Jain Swetambar Terapanthi Mahasabha [JSTM]
            • Share this page on:
              Page glossary
              Some texts contain  footnotes  and  glossary  entries. To distinguish between them, the links have different colors.
              1. JSTM
              2. Terapanth
              3. अक्षय तृतीया
              4. आचार्य
              5. जालना
              6. ज्ञान
              7. दर्शन
              8. महाराष्ट्र
              9. सागर
              Page statistics
              This page has been viewed 142 times.
              © 1997-2024 HereNow4U, Version 4.56
              Home
              About
              Contact us
              Disclaimer
              Social Networking

              HN4U Deutsche Version
              Today's Counter: