Jhini Charcha was written by Acharya Jeetmal. It contains macro things of metaphysics. Jain Terms like Leshya, Bhav, Gunsthan, Yog, Upyog have been discussed on basis of different Agam. He composed it in the form of poetry in an easy Rajasthani language.
Noted Singer Babita Gunecha has presented it in a melodious voice.
Jhini Charcha book contains 22 Dhal (Collection of 22 Poems) .
ढाल.. 1 पद्य 21 से 25
२१. तेरहमें गुणठाणे सुकल-लेस्या छै ते कुण भाव?
उदै खायक ने परिणामिक छे, निपुण! विचारो न्याव।।
तेरहवें गुणस्थान में प्राप्त शुक्ल लेश्या का समावेश किस भाव में होता है? उसका समावेश ओदयिक, क्षायिक और पारिणामिक -इन तीन भावों में होता है। निपुण मति वाले तत्त्वज्ञ! इस न्याय पर विचार करो।
२२. समचे भली भाव लेस्या ए, किसो भाव अवधार?
उदै खायक खयोपशम परिणामी, उपशम बरजी च्यार।।
सभी प्रशस्त भाव लेश्याओं का किस भाव में समावेश होता है? औपशमिक भाव को छोड़कर शेष चार भावों में उनका समावेश होता है।१
२३. ए उदै-भाव ते किसा कर्म नो, उदै-निपन कहिवाय?
नाम कर्म नो उदे-निपन छै, पुन्य बंधे तिण न्याय।।
वह औदयिक भाव किस कर्म के उदय से निष्पन्न होता है? शुभ लेश्याओं से पुण्य कर्म का बन्धन होता है, इसलिए वे लेश्याएं नाम कर्म के उदय से निष्पन्न औदयिक भाव में समाविष्ट होती हैं।
२४. ए खायक-भाव ते किसा कर्म नो, खायक-निपन कहिवाय?
अन्तराय-कर्म नो खायक-निपन छे, वीर्य-लब्धि प्रवर्ताय।।
वह क्षायिक भाव किस कम के क्षय से निष्पन्न होता है? लेश्याएं वीर्य लब्धि से प्रवर्तित होती हें, इसलिए बे अन्तराय कर्म के क्षय से निष्पन्न क्षायिक भाव में समाविष्ट होती हैं।
२५. ए खयोपशम-भाव ते किसा कर्म नो, खयोपशम -निपन ताय।
अन्तराय नो खयोपशम-निपन, वीर्य चंचल सूं कर्म खपाय।।
वह क्षायोपशमिक भाव किस कर्म के क्षयोपशम से निष्पन्न होता है? वीर्य की चंचलता से कमाँ का क्षय होता है, इसलिए वे अन्तराय कर्म के क्षयोपशम से निष्पन्न क्षायोपशमिक भाव में समाविष्ट होती हैं।