Howrah 26.07.2024:
Khushbu Dugar completed 31 Ayambil tap by Inspiration of Muni Jinesh Kumar. Felicitation function was held in presence of Muni Jinesh Kumar. Muni Parmanand was master of ceremony. Muni Kunal Kumar presented song. Sabha presented Abhinandan Patra to Khushbu Dugar.
आयंबिल मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
आयंबिल स्वाद विजय की साधना है- मुनिश्री जिनेश कुमारजी
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा- 3 के सान्निध्य में श्रीमती खुश्बु दुगड के 31 दिन के आयंबिल तप के उपलक्ष्य में तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया । इस अवसर पर अनेक भाई बहिनों ने अट्ठाई नो आदि तपस्या के प्रत्याख्यान किया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा - जिस प्रकार शरीर पर तेल की मालिश. करने से शरीर के अंग-प्रत्यंग स्वस्थ रहते है उसी प्रकार तप से मन की मालिश होने से मन स्वस्थ रहता है। तप से तेज बढ़ता है आभामंडल विशुद्ध होता है। तप से प्राण शक्ति प्रखर होती है। तप से ही द्वारिका नगरी बची हुई थी। तपस्या के अनेक प्रकार है उपवास भी तपस्या है, आयंबिल भी तपस्या है, ऊनोदरी भी तपस्या है। उपवास करना सरल है आयंबिल करना कठिन है। आयंबिल स्वाद विजय की साधना है। आयंबिल एक प्रकार की चिकित्सा है। साध्वी मीरांजी ने 13 महीने की आयंबिल तप की साधना करके तेरापंथ धर्म संघ में नया कीर्तिमान स्थापित किया था। एक समय भी यदि व्यंजन में नमक न हो तो मुँह बिगड़ जाता है, धन्य है जो एक एक महिने तक नमक का प्रयोग नहीं करते हैं। आयंबिल का अर्थ है- एक धान पानी उपरांत त्याग करते हुए एक बार से अधिक भोजन नहीं करना वह भी नमक रहित बहिन खुश्बु दुगड़ ने आयंबिल का मासखमण करके साहस का परिचय दिया अन्य तपस्वियों के प्रति आध्यात्मिक उज्ज्वल कामना।
इस अवसर पर साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा चंद्रकांता पुगलिया सायर देवी सुराणा, बाबुलालजी दुगड, दुगड़ परिवार की बहनों ने वक्तव्य व गीत के माध्यम से तप अभिनंदन में अपने भाव व्यक्त किये। तप अभिनंदन पत्र का वाचन मुख्य न्यासी संजय जी नाहटा ने किया। आभार सभा मंत्री बसंत पटावरी व संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने लिया । इस अवसर पर अर्चिता राखेचा,रिषभ बच्छावत, एकता बरडिया, अजित दुगड, चंदन चंडालिया, प्रियंक पुगलिया, साहिल छाजेड, वनिता चण्डालिया, कंचन बैद, निश्चल रांका, अमित दुगड, आलोक चोरड़िया, प्रज्ञा चोरड़िया आदि ने सात, आठ, नो, दिनों कि तपस्या को मुनिश्री ने प्रत्याख्यान कराए। और तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वियों का सम्मान किया गया।