Howrah 27.07.2024:
Muni Jinesh Kumar Ji inspired people of greater Kolkata to do Tap during Chaturmas. Navrangi Tap is Unique tap performed by 81 people in 9 days. 9 people each do tapsya from one day fast to 9 days fast. Muni Jinesh Kumar told purpose of Tapsya should be purification of soul. He narrated long history of Tapsawi Monks and Nuns. Muni Kunal Kumar presented melodious song. Muni Parmanand compiled and managed function.
Sabha, Teyup and Mahila Mandal felicitated all Tapswi by literature.
नवरंगी तप प्रत्याख्यान एवं अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन
तपस्या स्वयं प्रभावना है. मुनिश्री जिनेश कुमारजी
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमारजी ठाणा 3 के सान्निध्य में नवरंगी तप प्रत्याख्यान एवं अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित नवरंगी तप आराधकों व धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा - तपस्या पुरस्कार के लिए नहीं, प्रकाश के लिए करनी चाहिए। तपस्या संसार के लिए नहीं संन्यास के लिए करनी चाहिए । तप से कर्म तंतु प्रकंपित होते हैं। इच्छा का निरोध करना तप है। तप दुख मुक्ति का उपाय है। तप से पूर्वाजित कर्मो का क्षय होता है। आत्मा का शोधन होता है। तपस्या वही व्यक्ति कर सकता है जिसके अन्तराय कर्म का क्षयोपशम होता है। तप से चेतना का अध्वर्यारोहण होता है। तपस्या इहलोक परलोक के लिए नहीं करनी चाहिए। तपस्या पूजा,यश, कीर्ति प्रतिष्ठा के लिए नहीं करनी चाहिए। मुनिश्री ने आगे कहा- तपस्या के अनेक प्रकार है-जैसे धर्म चक्र, कर्मचूर प्रतर तय आदि तप के बारह प्रकार है उसमें एक है- अनशन । उपवास आदि तपस्या करना। आत्मा के निकट रहना ही उपवास है। वही तपस्या कर सकता है। जिसका मनोबल मजबूत होता है। पदार्थ के प्रति जो आसक्ति है उसके छोड़ना ही वास्तव में तपस्या है तपस्या स्वयं प्रभावना है भाई- बहिनों ने नवरंगी तप में अपनी सहभागिता दर्ज कराई वे सब साधुवाद के पात्र है। इस अवसर पर तप अनुमोदना एवं अभिनंदन में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष लक्ष्मीपत जी बाफणा, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष गगनदीप बैद, तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री श्रीमती रेखा बैगानी ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार सभा मंत्री बसंत जी पटावरी ने व संचालक मुनिश्री परमानंद ने किया। सभा द्वारा अट्ठाई व नौ का तप करने वाले तपस्वियों का सम्मान किया। नवरंगी तप में उपवास नौ तक की तपस्या करने वाले सभी भाई बहिनों को मुनिश्री ने तपस्या के प्रत्याख्यान कराते हुए उनके साहस एवं योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। नवरंगी में गुनेश दुगड़ ने चार वर्ष की उम्र में उपवास कर सभी के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत किया। नवरंगी में हर वर्ग बालवय युवावय, प्रौढ़वय और बुजुर्ग वय के श्रावक - श्राविकाओं ने तप कर - अद्भुत मनोबल का परिचय दिया ।