09.02.2025: Jain Terapanth News

Published: 09.02.2025
Updated: 09.02.2025

Updated on 09.02.2025 16:32

*चौविहार संथारा सहित देवलोकगमन : भुवनेश्वर*

*प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज*


🌅 ᑭᗩᑎᑕᕼᗩᑎG / पंचांग 🌄
Dt. *10/02/2025*
तिथि : *माघ शुक्ल पक्ष - 13*


Posted on 09.02.2025 09:49

💢 *अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद् - विजयनगर द्वारा आयोजित बेंगलोर स्तरीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला " Think Different - Do Different & Be Different Workshop का मुनि श्री मोहजीत कुमार जी ठाणा- 3 के पावन सानिध्य में एवं अभातेयुप उपाध्यक्ष प्रथम श्री पवन मांडोत की अध्यक्षता में हुआ शुभारम्भ*

📲 *प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज*


आचार्य श्री महाश्रमण जी के मंगल प्रवचन की छाया चित्र झलकियाँ ०९-०२-२०२५

Photos of Jain Terapanth News post


🌞 *नवप्रभात के प्रथम दर्शन* 🌞

09 फरवरी, 2025

*प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*


युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी
का अपनी धवल सेना के साथ डीसा गुजरात में पदार्पण एवं *अक्षय तृतीया महोत्सव* का आयोजन

*डीसा प्रवेश : 29.4.2025*
*अक्षय तृतीया : 30.4.2025*

• जानिए कैसे पहुंचें डीसा गुजरात !
• डीसा के आसपास दर्शनीय स्थलों के बारे में ।

_आपके जान पहचान के सभी तपस्वी भाई बहिनों तक एवं सम्पूर्ण श्रावक समाज तक ये PDF अवश्य शेयर करें।_

_*निवेदक : आचार्य श्री महाश्रमण अक्षय तृतीया महोत्सव प्रवास व्यवस्था समिति, डीसा*_

*सम्प्रसारक : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*

Photos of Jain Terapanth News post


*_09 फरवरी_*

यदि आज के दिन तुमने सुकृत किया है
तो आज तुम्हारे लिए सुफल, यदि दुष्कृत किया है, तो आज तुम्हारे लिए दुष्फल और न सुकृत किया न दुष्कृत तो आज का दिन तुम्हारे लिए निष्फल है।
- आचार्य महाश्रमण

*- आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📱+91 87420 04849, +91 87420 04949, +91 77340 04949
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📲 प्रस्तुति : *आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*

📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*


*9 फरवरी*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को

सन् 1951 से आचार्यों के सामने वाचना के समय साध्वियों का कम्बल बिछाकर बैठना प्रारंभ हुआ।

*कंबल बिछाने की परंपरा*

वि. सं. 2008 में आचार्यवर भारत की राजधानी दिल्ली में प्रवास कर रहे थे। गर्मी का मौसम था। मध्याह में आचार्यश्री साध्वियों को संस्कृत ग्रंथ की वाचना देते थे। उस समय तक साध्वियां आचार्य की सन्निधि में वंदनासन में बैठती थीं या उकडू आसन में बैठती थीं। सुखासन में बैठने की पद्धति नहीं थी। नीचे कंबल भी नहीं बिछाती थीं। वाचना का क्रम संपन्न हुआ। साध्वियां वंदना कर कृतज्ञता ज्ञापित कर वहां से उठीं। गुरुदेव ने स्थान पर दृष्टि डाली। वह पसीने से गीला हो चुका था। जहां साध्वी फूलकुमारीजी (लाडनूं) बैठी थीं, वहां तो ऐसा लगा मानो पानी गिराया गया हो। आचार्यश्री ने आदेश की भाषा में कहा-देखो, पसीने से जगह कितनी गीली हो गई। कोई देखे तो अच्छा नहीं लगता। कल से सब साथ में कंबल लेकर आना और उसे बिछाकर बैठना। उस दिन के बाद कंबल बिछाकर बैठने की परंपरा चालू हो गई।

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*समण संस्कृति संकाय*
कार्यालय संपर्क सूत्र-
*9784762373, 9694442373, 9785442373*

📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती*

📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*


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