Updated on 11.02.2025 17:44
*नवीन चातुर्मास घोषणाएं**प्रस्तुति अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज*
Source: © Facebook
🌅 ᑭᗩᑎᑕᕼᗩᑎG / पंचांग 🌄
Dt. *12/02/2025*
तिथि : *माघ शुक्ल पक्ष - 15*
Dt. *12/02/2025*
तिथि : *माघ शुक्ल पक्ष - 15*
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Updated on 11.02.2025 11:56
*नवीन चातुर्मास घोषणा**प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज*
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आचार्य श्री महाश्रमण जी के मंगल प्रवचन की छाया चित्र झलकियाँ
11 फरवरी 2025
समाचार संक्षेप
- वीतराग प्रभु महावीर के प्रतिनिधि आचार्य श्री महाश्रमणजी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि साधु जीवन मिल जाना एक बड़ी उपलब्धि है। कुछ व्यक्तियों की त्याग की चेतना उत्कृष्ट कोटि की होती है | कुछ साधु लंबे साधुत्व की आराधना कर लेते हैं | अरति का भाव आ जाना दुर्भाग्य की बात है, तो साधुपन अच्छी तरह पालें।
- परम पूज्य आचार्य श्री ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया।
- आज चतुर्दशी को हाजरी का वाचन किया गया।
- साध्वी देवार्य प्रभा , समणी विपुल प्रज्ञा ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
11 फरवरी 2025
समाचार संक्षेप
- वीतराग प्रभु महावीर के प्रतिनिधि आचार्य श्री महाश्रमणजी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि साधु जीवन मिल जाना एक बड़ी उपलब्धि है। कुछ व्यक्तियों की त्याग की चेतना उत्कृष्ट कोटि की होती है | कुछ साधु लंबे साधुत्व की आराधना कर लेते हैं | अरति का भाव आ जाना दुर्भाग्य की बात है, तो साधुपन अच्छी तरह पालें।
- परम पूज्य आचार्य श्री ने प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाया।
- आज चतुर्दशी को हाजरी का वाचन किया गया।
- साध्वी देवार्य प्रभा , समणी विपुल प्रज्ञा ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
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Posted on 11.02.2025 08:13
🌞 *नवप्रभात के प्रथम दर्शन* 🌞11 फरवरी, 2025
*प्रस्तुति : अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
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*_11 फरवरी_*
व्यक्ति अपनी शक्ति का
दुरुपयोग तो करे ही नहीं, शक्ति का अनुपयोग भी न हो, जितना हो सके वह अपनी शक्ति का सदुपयोग ही करे।
- आचार्य महाश्रमण
*- आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📱+91 87420 04849, +91 87420 04949, +91 77340 04949
📧
🌐https://books.jvbharati.org
*SAMBODHI E-LIBRARY Audible & Readable Mobile Application*
Download link for Google Play Store / Apple App Store
https://www.jvbharati.org/app
📲 प्रस्तुति : *आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
व्यक्ति अपनी शक्ति का
दुरुपयोग तो करे ही नहीं, शक्ति का अनुपयोग भी न हो, जितना हो सके वह अपनी शक्ति का सदुपयोग ही करे।
- आचार्य महाश्रमण
*- आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📱+91 87420 04849, +91 87420 04949, +91 77340 04949
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🌐https://books.jvbharati.org
*SAMBODHI E-LIBRARY Audible & Readable Mobile Application*
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📲 प्रस्तुति : *आदर्श साहित्य विभाग, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
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*11 फरवरी*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को
सवर्तमान मे प्रचलित मुंह पट्टी (मुखवस्त्रिका) का सर्वप्रथम निर्माण साध्वीश्री दीपाजी (जोजावर) ने किया।
एक बार आचार्य रायचंदजी की सन्निधि मे साध्वीश्री दीपाजी ( जोजावर) मुखवस्त्रिका सुखाकर समेट रही थी l उनका ध्यान आचार्यप्रवर की ओर था l समेटते - समेटते मुखवस्त्रिका चौड़ाई के बदले लम्बाई की ओर मुड़ गई l कभी- कभी सहज घटने वाली घटना इतिहास का दुर्लभ दस्तावेज बन जाती है, ऐसा ही उस दिन हुआ आचार्य रायचंदजी ने साध्वीश्री की ओर देखा और वही खड़े जीतमुनि ( आचार्य जीतमलजी) ने बड़ी गंभीरता से मुखवस्त्रिका को देखते हुए चिन्तन करने लगे ओर जसोल वाला उन्हें नहीं पहचाननें वाला संस्मरण सुनाया l तेरापंथ की विषेश पहचान कैसे बने ? यह वे सोच ही रहे थे तब साध्वीश्री के हाथ में नई शैली की मुखवस्त्रिका देख बोले यह मुखवस्त्रिका अच्छी लग रही है l तभी आचार्य रायचंदजी ने साध्वीयों के मुख पर बंधाकर देखा तो मुखवस्त्रिका अच्छी लगी बस इसी क्षण एक नया परिवर्तन हो गया और तेरापंथ की नई पहचान बन गईl
जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G
*समण संस्कृति संकाय*
कार्यालय संपर्क सूत्र-
*9784762373, 9694442373, 9785442373*
📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
*कब क्या हुआ!*
- जाने तेरापंथ के इतिहास को
सवर्तमान मे प्रचलित मुंह पट्टी (मुखवस्त्रिका) का सर्वप्रथम निर्माण साध्वीश्री दीपाजी (जोजावर) ने किया।
एक बार आचार्य रायचंदजी की सन्निधि मे साध्वीश्री दीपाजी ( जोजावर) मुखवस्त्रिका सुखाकर समेट रही थी l उनका ध्यान आचार्यप्रवर की ओर था l समेटते - समेटते मुखवस्त्रिका चौड़ाई के बदले लम्बाई की ओर मुड़ गई l कभी- कभी सहज घटने वाली घटना इतिहास का दुर्लभ दस्तावेज बन जाती है, ऐसा ही उस दिन हुआ आचार्य रायचंदजी ने साध्वीश्री की ओर देखा और वही खड़े जीतमुनि ( आचार्य जीतमलजी) ने बड़ी गंभीरता से मुखवस्त्रिका को देखते हुए चिन्तन करने लगे ओर जसोल वाला उन्हें नहीं पहचाननें वाला संस्मरण सुनाया l तेरापंथ की विषेश पहचान कैसे बने ? यह वे सोच ही रहे थे तब साध्वीश्री के हाथ में नई शैली की मुखवस्त्रिका देख बोले यह मुखवस्त्रिका अच्छी लग रही है l तभी आचार्य रायचंदजी ने साध्वीयों के मुख पर बंधाकर देखा तो मुखवस्त्रिका अच्छी लगी बस इसी क्षण एक नया परिवर्तन हो गया और तेरापंथ की नई पहचान बन गईl
जैन धर्म को जानने के लिए चैनल से जुड़े - https://whatsapp.com/channel/0029VayfLav6GcG8zAG6gz2G
*समण संस्कृति संकाय*
कार्यालय संपर्क सूत्र-
*9784762373, 9694442373, 9785442373*
📲 प्रस्तुति : *समण संस्कृति संकाय, जैन विश्व भारती*
📲 संप्रसारक : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
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*💢नवीन चातुर्मास घोषणा*
📲 प्रस्तुति : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
_दिनांक - 10 फरवरी 2025_
📲 प्रस्तुति : *अभातेयुप जैन तेरापंथ न्यूज़*
_दिनांक - 10 फरवरी 2025_
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