18.03.2025: Acharya Shiv Muni

Published: 18.03.2025

Posted on 18.03.2025 12:16

श्री आदिनाथाय नमः
श्री सीमंधर स्वामिने नमः
श्री महावीराय नमः
श्रमण संघ जयवंत हो
जय आत्म
जय आनंद
जय देवेंद्र
जय शिव
जय ज्ञान

शिवाचार्य श्री जी के सानिध्य में अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव दिनांक 30 अप्रैल 2025
एवं
जैन भागवती दीक्षा महोत्सव 2 मई 2025
पावन सान्निध्य
श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर तपसूर्य आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा.
मंगलमय दर्शन
युवाचार्य पूज्य श्री महेद्रऋषि जी म.सा.,
प्रवर्तक पूज्य श्री प्रकाश मुनि जी म.सा.
मंत्री पूज्य श्री शिरीष मुनि जी म.सा. आदि अनेक साधु साध्वीवृंद

कार्यक्रम स्थल
शिवाचार्य समवसरण,
उधना तरुण कुण्ड के पास, उधना, सूरत (गुजरात)

रजिस्टर के लिए स्कैन करें

संपर्क सूत्र
आकाश मादरेचा
9428745537
ललित जैन (बम्ब)
9327358554
सुभाष शर्मा
9350111542
अशोक सियोल
9374012111
आयोजक
पारणा एवं दीक्षा आयोजन समिति
शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन
एवं
सूरत महानगर के सभी श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ

सहयोगी संस्थाएं

श्री ऑल इंडिया श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस
श्री अखिल भारतवर्षीय श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन श्रमण संघीय श्रावक समिति
सकल जैन संघ, सूरत


वर्षीतप प्रारंभ करने का दिन 22 मार्च 2025 भगवान आदिनाथ का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक - चैत्र कृष्णा अष्टमी
श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर, तपसूर्य, युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. दीर्घकाल से वर्षीतप की आराधना में संलग्न है। यह आम धारणा है कि वर्षीतप प्रांरभ करने वाले अक्षय तृतीया के दिन से वर्षीतप प्रारंभ करते है। परन्तु जिनको भी वर्षीतप प्रारंभ करना है वो विधिनुसार प्रभु ऋषभदेव की भांति उन्ही के दीक्षा कल्याणक वाले दिन से ही वर्षीतप प्रारंभ करे। आने वाली 22 मार्च को प्रभु आदिनाथ का दीक्षा कल्याणक है। आप सभी इस दिन से वर्षीतप प्रारंभ कर सकते है। वर्षीतप में अपने शारीरिक सामर्थ्य के अनुसार एक दिन उपवास, आयंबिल, एकासन और दूसरे दिन पारणा इस प्रकार तप की आराधना कर सकते है। तप सूर्य शिवाचार्य श्री जी प्रेरणा से अनेक साधु-साध्वी एवं श्रावक-श्राविकाओं ने वर्षीतप प्रारंभ किया है। हमारी हार्दिक प्रेरणा है कि आप भी अपने कदम तपस्या के क्षेत्र में आगे बढ़ाये।
*श्रमण संघीय चतुर्थ पट्टधर, तपसूर्य, युगप्रधान आचार्य सम्राट पूज्य श्री शिवमुनि जी म.सा. के सान्निध्य में अक्षय तृतीया वर्षीतप पारणा महोत्सव दिनांक 30 अप्रैल 2025 को शिवाचार्य आत्म ध्यान फाउण्डेशन के तत्वावधान में होने जा रहा है। हम आचार्य भगवन् के इस दीर्घ एकांतर तप की सुखसाता पूछते हुए हार्दिक मंगल कामना करते है कि आपने जिस भाव से यह तप प्रारंभ किया था वह मोक्ष लक्ष्य आपको शीघ्र प्राप्त हो। आपकी तपस्या निर्विघ्न रूप से आगे बढ़े। आपके इस तप में आपका शरीर सहयोगी बनें। आपका मंगल आशिर्वाद हम सभी को प्राप्त हो।
जो साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका भगवन से प्रेरणा पाकर यह तप कर रहे है उनके वर्षीतप की भी हार्दिक सुखसाता पूछते है तथा मंगल कामना करते है की उनका तप कर्म-निर्जरा के मार्ग पर अग्रसर हो।
एक मंगल प्रेरणा आप सभी भगवन् के इस तप की अनुमोदना करते हुए तप के मार्ग पर अग्रसर हो।
वर्षीतप कब से प्रारंभ करें - चैत्र कृष्णा अष्टमी 22 मार्च 2025 शनिवार
वर्षीतप में क्या करें - एक दिन उपवास, आयम्बिल, नीवी, एकासन, आदि अपनी शक्ति अनुसार करें। दूसरे दिन पारणा करे। पारणे में बीयासन भी कर सकते है और खुला भी रख सकते है।
प्रतिदिन की आराधना
श्री आदिनाथाय नमः की 21 माला, 27 लोगस्स का कायोत्सर्ग, प्रातः एवं सायंकाल सामायिक एवं प्रतिक्रमण करें। ब्रह्मचर्य-पालन (तपस्या के दिन तो अवश्य ही करें) हो सके तो करें। गुरू वंदन, गुरू दर्शन करें। प्रतिदिन स्वाध्याय, दान, ध्यान, भेद-विज्ञान आदि धर्माराधना अवश्य करें।
वर्षीतप का लाभ- वर्षी तप करने से, स्वाद, रस, आहार, शरीर, आयुष्य आदि के प्रति रस रति राग घटता है। स्वाध्याय, अनुप्रेक्षा आत्मा आदि में विघ्न घटते हैं। तन्मयता दीर्घकाल तक बढ़ती है। वर्ष के सभी मास, पक्ष, तिथियाँ सफल बन जाते हैं। यह भव शांति समाधिमय बीतता है। परभव सभी सुखों से पूर्ण मिलता है। पर्यवसान मोक्ष निकट बनता है।
वर्षीतप की पूर्ति - तेरह माह के बाद अक्षय तृतीया के दिन भगवान ऋषभदेव प्रभु के गुणगान एवं वर्षीतप की आलोचना के बाद इक्षुरस/मिश्री के पानी/गुड़ के पानी से एक स्थान या एकाशन युक्त पारणा करें।

जो वर्षीतप नहीं कर सकते है वे आगामी एक वर्ष के लिए निम्न रूप से तप के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
1- 12 तप में से कोई भी तप अवश्य करें।
2- अपनी एक मनपंसद वस्तु का 1 वर्ष के लिए त्याग करें।
3- 1 वर्ष के लिए प्रतिदिन नवकारसी, पोरसी, डेढ़ पोरसी, दो पोरसी आदि का संकल्प लें।
4- प्रतिदिन 2 समय एक स्थान पर बैठकर भोजन यानि बियासना करें।
5- प्रतिदिन या एक दिन छोड़कर एक दिन 1 समय एक स्थान पर बैठकर भोजन यानि एकासना करें।
6- जो भी एकासन आयम्बिल नीवी उपवास आदि का वर्षीतप कर सकते है वे प्रारंभ करें।
7- एक वर्ष के लिए अपनी बुरी आदत को त्यागे।
8- जो उपरोक्त कोई भी तप न कर सके वह अंतर तप भेद-ज्ञान, ध्यान साधना, कायोत्सर्ग, आत्मरमण को अपनायें। देहासक्ति छोड़कर कर्म-निर्जरा का मार्ग अपनाये।
आओं भगवान आदिनाथ के दीक्षा कल्याणक के दिन को यादगार दिन बनाएं। आत्म कल्याण के लिए आत्म ज्ञानी सद्गुरू शिवाचार्य श्री जी के पद्चिन्हों का अनुगमन करें।

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Sources

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