Kolkata 10.04.2025:
2624th Birthday (Janma Kalyanak) of Lord Mahavir celebrated in presence of Muni Jinesh Kumar in Kolkata. Muni Jinesh Kumar addressing huge gathering told Mahavir was the great Sun of spirituality, a great seeker of equality, an ocean of compassion and a holder of unparalleled knowledge. His life was unforgiving, his restraint was superior and his practice was unsurpassed. His life was full of extraordinary characteristics. He was Jyotirdhar Jyotipunj, a great source of non-violence. He was the holder of the three wisdoms (Gyan) from birth. Despite being born in the dynastic and material environment, he remained far from luxury. While at home, he lived a life of non-attachment, disgrace, disinterest and anaakanksha. They were overly obsessed. His body strength was very strong. He was endowed with infinite knowledge, infinite philosophy and infinite power. Even though he was born like an ordinary child, he was animated with extraordinary characteristics. After becoming a Tirthkar, Lord Mahavir gave the principle of non-violence, Anekant and Aparigraha. In his messages lies the welfare of the world. Mahavir's principles are not out of date but are up to date even today. Today, on the day of Mahavir Jayanti, you will be determined to adopt his teachings and spread it to the masses. Only then celebrating Mahavir Jayanti will be meaningful and successful. Bal Muni Kunal Kumar has sung the sumptuous song. Muni Parmanand mastered ceremony. Gyanshala students of different area presented important feature connected with lord Mahavir.
2624 वां भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का भव्य आयोजन
भगवान महावीर भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल नक्षत्र थे- मुनिश्री जिनेशकुमार जी
कोलकाता
युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में 2624 वाँ भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव का भव्य आयोजन महासभा भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा कोलकाता द्वारा आयोजित किया गया | इस अवसर पर महासभा सभा कोलकाता सभा एवं वृहत्तर कोलकाता की संघीय संस्थाओं के पदाधिकारी गणमान्य व्यक्तियों के साथ अच्छी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए जिनेशकुमार जी ने कहा - भगवान महावीर भारतीय संस्कृति के उज्ज्वल नक्षत्र थे। वे अध्यात्म के महासूर्य, समता के महान साधक, करुणा के सागर व अप्रतिम ज्ञान के धारक थे। उनका जीवन अनुत्तर था, उनका संयम श्रेष्ठ व साधना अनुत्तर थी उनका जीवन असाधारण विशेषताओं का समवाय था। वे ज्योतिर्धर ज्योतिपुंज, अहिंसा के महास्रोत थे। वे जन्म से तीन ज्ञान के धारक थे। राजवंशीय व भौतिक वातावरण में जन्म लेने के बावजूद भी वे विलासिता से दूर रहे। घर में रहते हुए भी उन्होंने अनासक्ति, अनाग्रह, अनावेश और अनाकांक्षा का जीवन जीया । वे अतिशय धारी थे । उनका शरीर बल बहुत सुदृढ़ था। वे अनंत ज्ञान अनंत दर्शन व अनंत शक्ति से सम्पन्न थे। उनका जन्म साधारण बालक की तरह होकर भी असाधारण विशेषताओं से अनुप्राणित था। भगवान महावीर ने तीर्थकर बनने के पश्चात अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह का सिद्धान्त दिया। उनके संदेशों में दुनिया का कल्याण निहित है। महावीर के सिद्धान्त आउट ऑफ डेट नहीं, आज भी अप टू डेट है। आज महावीर जयंती के दिन उनके शिक्षाओं को जीवन में अपनाने के साथ जन जन में फैलाने के लिए संकल्पित होंगे तभी महावीर जयंती मनाना सार्थक और सफल होगा। बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल - मध्य कोलकाता के मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा कोलकाता के अध्यक्ष अजय जी भंसाली ने दिया । इस अवसर पर महासभा के पंचमंडल सदस्य सुरेश जी गोयल, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम ईस्ट जोन के कोर्डिनेटर प्रवीण सिरोहिया, तेरापंथ युवक परिषद कलकत्ता मेन के अध्यक्ष विवेक सुराणा ने अपने विचार व्यक्त किये।
टॉलीगंज ज्ञानशाला ने व्यसनों की विनाश लीला, साउथ कलकता ज्ञानशाला ने जयंती श्राविका के प्रश्नोत्तर, पूर्वांचल ज्ञानशाला ने क्या कहता है जैन धर्म, उत्तर हावड़ा ज्ञानशाला ने आनंद श्रावक का अवधिज्ञान, साउथ हावड़ा ज्ञानशाला ने पूनिया श्रावक की सामायिक- एक सामायिक का मूल्य विषयों पर लघु नाटिका का मंचन कर सभी को प्रेरक संदेश प्रदान किया। आभार ज्ञापन सभा के कोषाध्यक्ष प्रमील जी बाफणा ने दिया। संचालन मुनिश्री परमानंद जी ने किया। नाटिका सम्मान का संचालन कार्यक्रम के संयोजक विजय जी बावलिया व विजय जी चौपड़ा ने किया। तेरापंथ प्रोफेशनल के पुर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश जी मालू ने रिजल्ट सुनाया। प्रकाश जी मालू, सुशीला जी पुगलिया व संगीता जी सेखाणी, झांकी व लघु नाटिका के जज थे। प्रथम स्थान पर दक्षिण हावड़ा सभा, द्वितीय स्थान पर उत्तर हावड़ा सभा तथा तृतीय स्थान पर दक्षिण कोलकाता सभा रही। सभा द्वारा सभी को पुरस्कृत किया गया।