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अहिंसा यात्रा के साथ आचार्य महाश्रमण कोठारिया से कुंचोली पहुंचे, कोठारी फार्म हाउस में हुई धर्मसभा
‘व्याधियों के आने से पहले साधना जरूरी’- आचार्य महाश्रमण
मंगल प्रवेश आचार्य अहिंसा यात्रा के साथ ढीली गांव से सोमवार सुबह कोठारिया पहुंचे, राउमावि में बने पांडाल में हुई धर्मसभा
कोठारिया में धर्मसभा में शामिल महिलाएं।
नाथद्वारा 12 APRIL 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो प्रस्तुती)
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जब तक बुढ़ापा नहीं आता, जब तक इंद्रियां बस में हैं, शरीर स्वस्थ है, तब तक जितनी साधना हो जाए कर लेनी चाहिए। बुढ़ापा आने के साथ शरीर में कई व्याधियां भी आती हैं। इससे साधना में व्यवधान व विचलन होता है। इसलिए स्वस्थ शरीर से जितनी साधना हो कर लेनी चाहिए।
वे सोमवार सुबह समीपवर्ती कोठारिया गांव में आयोजित धर्मसभा में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आदमी छोटी-छोटी वस्तुओं में उलझ जाता है, जबकि उसका चित मोक्ष की तरफ होना चाहिए। वह इन अन्य कर्मों की चिंता करता है, पर मोक्ष प्राप्ति के उपाय नहीं करता है। आचार्य ने अहिंसा यात्रा पर कहा कि दया की भावना जागे, आपस में भाईचारा, सौहार्द, प्रेम बढ़े, कन्या भ्रूण हत्या बंद हो, समाज व्यसन युक्त हो। नशा ऐसा तत्व है, जो अपराध, बीमारी तथा मानसिक रोग को बुलावा देता है। थोड़े से सुख के लिए मनुष्य शराब व अन्य नशे की वस्तु का सेवन करता है। सोचो जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा। पूर्व जन्म के पाप का फल इस जन्म में भी भुगतना पड़ता है।
‘व्याधियों के आने से...
यहां से उन्हें सोनी परिवार की तरफ से भावभीनी विदाई दी गई। ढीली गांव से अहिंसा यात्रा डगवाड़ा पहुंची तथा नाथद्वारा विधायक कल्याणसिंह चौहान के पैतृक निवास पर पहुंची। यहां पर बैंडबाजे, थाली-मांदल, ढोल आदि बजाकर लोगों ने आचार्य का स्वागत किया। आचार्य ने विधायक के निवास पर पगलिया किया। यहां से यात्रा कोठारिया की ओर बढ़ी। रास्ते में कच्छारा परिवार कोठारिया ग्राम पंचायत की तरफ से स्वागत, सत्कार किया गया। आचार्य सवा बारह बजे कोठारिया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रांगण में बने पांडाल में पहुंचे और धर्मसभा को संबोधित किया। अहिंसा यात्रा में साध्वी कनक प्रभा, मुनि सुमेरमल लाडनूं सहित मुनिगण व साध्वियां शामिल हैं।
कोठारियावासियों ने आचार्यश्री के स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए
कोठारिया में प्रवेश करते आचार्य महाश्रमण व उनकी धवल वाहिनी
राजसमंद 12 APRIL 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो प्रस्तुती)
आचार्य महाश्रमण आदि सोनी फार्म हाउस से बिजनौल होते हुए कोठारिया गांव पहुंचे। जहां गांव वासियों ने आचार्यश्री का जोरदार स्वागत किया। आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह वही गांव है जहां आचार्य भिक्षु ने अपना अद्र्धचातुर्मास किया। ऐसी धरा पर आकर मैं धन्य हो गया। आचार्यश्री ने कोठारिया के तेरापंथ भवन में आयोजित प्रवचन में कहा कि जब तक बुढ़ापा नहीं आता शरीर में वैचारिक इंद्रियों की शक्ति क्षीण नहीं होती है। तब तक आदमी को साधना कर लेनी चाहिए। उन्होंने अङ्क्षहसा यात्रा का लक्ष्य अनुकामना का विकास बताया। इसी बीच कोशीवाड़ा गांव के बैनर का विमाचन भी हुआ। जिसमें किसनलाल डागलिया एवं गंभीरमल डागलिया ने अनावरण किया। बिजनौल में आचार्यश्री ने स्कूल के बच्चों को एवं किसानों को नशा से मुक्त रहने के बारे में बताया। दूसरी ओर नमाणा गांव से विहार कर मंत्री मुनि सुमेरमल, उदित मुनि, साध्वी प्रमुखा का रास्ते में सुखसाता पूछी और आचार्यश्री के सामने पहुँचे। कार्यक्रम में गांव के अलावा पूरे मेवाड़ के श्रावक दर्शन और रास्ते की सेवा का लाभ ले रहे थे। डगवाड़ा में नाथद्वारा के विधायक कल्याण ङ्क्षसह के निवास पर भी गुरूदेव ने पगलिए किए। विधायक के आवास पर भंवरलाल कर्णावट, हेमलता बाफना, ललिता सालेचा, विनोद कच्छारा, सुनील हिरण, सोहनलाल धाकड़, कुंदन धाकड़, सुरेंंद्र कोठारी, सोहनलाल कच्छारा, अखिल भारतीय मेवाड़ कांफ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश लोढ़ा, प्रांताध्यक्ष नेमीचंद धाकड़, किशनलाल बोहरा, वरिष्ठ समाजसेवी एकङ्क्षलगलाल लोढ़ा, रूपलाल सांखला ने कालोड़ा एवं कडिय़ा पधारने की विनती की।
आचार्य आज कुंचोली में
नाथद्वारा APRIL 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो प्रस्तुती)
आचार्य महाश्रमण धर्मसभा के बाद कोठारिया तेरापंथ भवन पहुंचे। यहां पर उनसे मिलने, दर्शन करने व आशीर्वाद लेने वालों का दिनभर तांता लगा रहा। इधर, कोठारिया से नाथद्वारा तक दिनभर चहल- पहल रही। आचार्य ने सोमवार शाम को तेरापंथ भवन में उपस्थितों को संबोधित भी किया। यहां पर क्षेत्र के जैन धर्मावलंबियों ने आचार्य एवं मुनियों व साध्वियों का स्वागत किया। कोठारिया में रात्रि विश्राम के बाद मंगलवार सुबह साढ़े छ: बजे आचार्य की अहिंसा यात्रा कोठारी फार्म हाउस, कुंचोली गांव के लिए विहार करेगी।
सद्गुण अपनाएं, दुर्गुणों से दूर रहें
12 APRIL 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो प्रस्तुती)
आचार्य महाश्रमण ने आस्तिकवाद तथा नास्तिकवाद की भी व्याख्या की। उन्होंने कहा कि आस्तिकवादी दया, पुण्य, धर्म, कर्म पर विश्वास रखते हैं, जबकि नास्तिकवादी खाओ, पीओ, मजा करो पर चलते हैं। उन का सोचना है जितने दिन जिंदगी है उतने दिन मजा कर लो, लेकिन इस सत्य को कभी नहीं भूलना चाहिए कि जो जन्मा है, वह मरता है और जो मरता है, वह जन्म भी लेता है। उन्होंने सद्गुण अपनाने तथा दुर्गुणों से दूर रहने का आह्वान किया। इस अवसर पर विधायक चौहान सहित जिला भाजपा अध्यक्ष नंदलाल सिंघवी, जिला महामंत्री महेश पालीवाल, श्रीकृष्ण पालीवाल, नीमसिंह चौहान, रमेश दवे, शिवशंकर पुरोहित, परेश सोनी, गिरीश पुरोहित, योगेश त्रिपाठी, सत्यनारायण पालीवाल सहित बड़ी संख्या में श्रावक व श्राविकाएं मौजूद थे। आचार्य महाश्रमण अपनी धवल सेना के साथ सोमवार सुबह 7 बजे ढीली गांव से अहिंसा यात्रा के रूप में आगे बढ़े। आचार्य ने रविवार रात ढीली गांव स्थित सोनी फॉर्म हाउस पर विश्राम किया।
‘चार दोषों का निवारण जरूरी’
अहिंसा यात्रा के साथ आचार्य महाश्रमण कोठारिया से कुंचोली पहुंचे, कोठारी फार्म हाउस में हुई धर्मसभा
नाथद्वारा. कुंचोली में कोठारी फार्म हादस पर धर्मसभा को संबोधित करते आचार्य महाश्रमण।
नाथद्वारा 13 APRIL 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो प्रस्तुती)
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जो अपनी आत्मा का हित चाहता है, उसे चार दोषों का निवारण करना जरूरी है। ये दोष हैं क्रोध, मान, माया और लोभ। ये चारों वास्तव में दोष हैं, इनके सिवाय और कोई दोष स्पष्ट नजर नहीं आता।
वे मंगलवार को कुंचोली में कोठारी फार्म हाउस में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। आचार्य ने कहा कि जिस किसी व्यक्ति ने इन दोषों का निराकरण की साधना कर ली, उसने अपने जीवन की सबसे बड़ी साधना कर ली। भगवान राम के जीवन में भी बड़ी साधना थी।
रामनवमी तथा आचार्य ने रामायण ग्रंथ के प्रति जैनधर्म की श्रद्धा व अनुसरण की बात करते हुए कहा कि जैन रामायण के अनुसार जनमानस में राम के प्रति सहज श्रद्धाभाव है। लोग नाम लेते हैं मिलने जुलने में भी राम का नाम लेते हैं। जैन धर्म श्रद्धा में रामायण ग्रंथ का जितना व्यापक वाचन होता है, उतना किसी और व्याख्यान का नहीं होता। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आचार्य भिक्षु, आचार्य महाप्रज्ञ एवं गुरुदेव तुलसी सहित उन्होंने भी रामायण का विस्तृत वाचन किया है। जैन रामायण के अनुसार राम के जीवन में भी संकट आया था, जब सीता का हरण हो गया था, वे शोक संतप्त हो गए थे। उनकी निस्पृहता अद्भुत थी। किसी भी वस्तु का लोभ नहीं था। आचार्य ने कहा कि प्राप्त सुखों को छोड़कर उन्हें कंटीले मार्गों पर जाना पड़ा, जो एक सुकुमार राजकुमार के लिए कठिन कार्य है। इस अवसर पर कई अन्य मुनि गणों सहित साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा, मंत्रीमुनि सुमेरमल लाडनूं ने भी धर्मसभा को संबोधित किया।
नाथद्वारा. कुंचोली में कोठारी फार्म हाउस पर धर्मसभा में शामिल श्राविक व श्राविकाएं।
कोठारी फार्म हाउस पर हुआ स्वागत: कोठारी फार्म हाउस में आचार्य का भव्य स्वागत किया गया।