News in English:
Location: | Lambodi |
Headline: | Try To Stay Away From Delusion◄ Acharya Mahashraman |
News: | Acharya Mahashraman gave his lecture on Karma Theory. Mohaniya Karma is responsible for bad activities. Every person has to face result of his bad deeds. We can stay away from Moha by doing Sadhana. Jap and Meditation will lead us in right way. |
News in Hindi:
मोह से मुक्तरहने की साधना करें: आचार्य महाश्रमण
लांबोड़ी- चारभुजा 03 july 2011 (जैन तेरापंथ समाचार ब्योरो)
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि जो व्यक्ति मोह से प्रभावित होकर कर्म करता वह व्यक्ति कर्मा कहलाता है। जब मोह कर्म की प्रबलता हो जाती तब शरीर में अशुभ की प्रवृत्तियां बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि जिन कार्यों में मोह जुड़ गया वह कर्म पाप कर्म की ओर बढ़ जाता है। इस प्रकार के कर्म का परिणाम मनुष्य को खुद को भोगना पड़ता है।
वे लांबोड़ी प्रवास के दूसरे दिन शनिवार को श्रावक सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आत्मा शुद्धि के लिए अच्छे कर्म करना चाहिए। आचार्य ने मनुष्य को मोह से शुद्ध रहने की साधना करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि जीवन में धैर्य धारण करने का प्रयास करने के साथ ही मोह के प्रभाव से बचकर रहना चाहिए। जप व ध्यान करने से मोह कमजोर होगा तथा व्यक्ति शुभ कर्म की ओर बढ़ता है तथा पुरुषार्थ स्वयं फलित होता है।
उन्होंने मन को विषमता से बचाए रखने के लिए साधना करने की सीख दी। आचार्य ने दिवंगत साहित्य मनीषी मुनि दुल्हराज द्वारा लिखित व मुनि राजेंद्र कुमार, मुनि जितेंद्र कुमार द्वारा संकलित पुस्तक आगम मुनि दुल्हराज का विमोचन किया। महाश्रमण ने मुनि दुल्हराज को विशिष्ट साहित्य प्रेमी व लेखक कहा। मंत्री मुनि सुमेर मल ने कहा कि जिस व्यक्ति के जीवन में राग द्वेष की मात्रा कम होती जाती है वह धर्म के अभ्यास में आगे बढ़ता जाता है। हमारे धर्म में आध्यात्मिकता का आयाम हो तथा कषायवृतियों की महत्ता रहे तभी हम धर्म परायण बन सकते हैं। मुनि दिनेश कुमार ने कहा कि व्यक्ति सुख चाहता है। सुख दो प्रकार के होते हैं, पहला क्षणिक सुख व दूसरा सात्विक सुख। उन्होंने श्रावकों को धर्म का आचरण करने की सीख दी। प्रवचन में कई श्रावक मौजूद थे।