ShortNews in English
Ladnun: 24.04.2012
Muni Dhananjay Kumar was speaking in workshop held by Mahila Mandal on topic of 14 Niyam. He told to accept vow is very important for spiritual uplift. Indian culture tells us importance of Vrata.
News in Hindi
२३ अप्रेल २०१३ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो -समृधि नाहरव्रत हैं संयम का प्रतीक
व्रत संयम त्याग - ये भारतीय संस्कृति के प्रतीक शब्द हैं। आध्यात्मिक विकास की दृष्टि से इन शब्दों का महत्व अतुलनीय हैं। व्रत जीवन का सुरक्षा कवच हैं। वर्तमान युग की समस्याओं का समाधान व्रत चेतना को जगा कर किया जा सकता हैं- ये विचार स्थानीय तेरापंथ महिला मंडल द्वारा आयोजित चौदह नियम कार्यशाला के अवसर पर मुनि धनंजयकुमार ने व्यक्त किए। सही अर्थ में श्रावक बनने की प्रेरणा देते हुए मुनिश्री ने कहा - श्रावक वही हैं जिसके जीवन में व्रत के अभाव में श्रावकत्व की सुरक्षा नहीं की जा सकती । यदि कोई श्रावक अपने जीवन में एक व्रत अथवा नियम भी अपना ले तो वह अपने जीवन को धन्य बना सकता हैं। ऋषभ द्वार में आयोजित इस कार्यक्रम के प्रथम चरण को सान्निध्य प्रदान करते हुए मुनि ने कहा कि स्वेच्छा से स्वीकृत नियम व्यक्ति के जीवन की एक अनमोल धरोहर होते हैं। अध्यात्म की दिशा में आगे बढऩे वाले व्यक्ति के लिए नियमों को स्वीकार करना अत्यन्त अपेक्षित होता हैं। नियम और व्रत की चेतना को व्यापक बनाने की प्रेरणा देते हुए मुनि धनंजयकुमार ने कहा - ये चौदह नियम आकांक्षाओं को सीमित करने का पंथ प्रशस्त करते हैं भोगोपभोग के समीकरण पर आधारित ये नियम व्यक्ति त्व का रूपान्तरण करने की असीम क्षमता रखते हैं। इनका अनुसरण कर व्यक्ति अपनी विवेक और संकल्प की चेतना को जगाकर कल्याण के मार्ग पर अग्रसर हो सकता हैं। इस अवसर पर मुनि सुधांशकुमार ने गीतिका के माध्यम से यथार्थ जगतï् में जीने की प्रेरणा दी । मुनि मलजयकुमार ने इच्छाओं के परिणाम का महत्व बताते हुए लालसाओं से मुक्त होने की बात कही । कार्यक्रम का दूसरा साध्वी प्रमोदश्री के सन्निध्य में रहा । साध्वीजी ने कहा - ये चौदह नियम व्यक्ति की चेतना को आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा मंगलाचरण किया गया ।