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Samdari: 01.06.2012
Acharya Mahashraman said that Diksha is start of new life. Acharya Mahashraman gave Diksha to Mumukshu Hemlata. She was given new name after Diksha by Acharya Mahashraman. She will be known now as Sadhvi Hemprabha. Sadhvi Pramukha Kanak Prabha did first Kesh Lunchan of Sadhvi Hemprabha. Mantri Muni Sumermal also spoke on occasion. Sadhvi Pramukha Kanak Prabha said that moment of Diksha is unique moments of life. Muni Madan Kumar and Muni Rajkumar also spoke.
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दीक्षा से नए जीवन की शुरूआत: महाश्रमण
समदड़ी Friday, 01 Jun 2012 जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
दीक्षा संस्कार जीवन का महत्वपूर्ण क्षण माना जाता है। दीक्षा के बाद नए जीवन की शुरूआत होती है। जीवन में त्याग व संयम का बड़ा महत्व है। ऎसे में दीक्षा लेेने वाला व्यक्ति शिष्य धर्म से जुड़ जाता है। तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण ने गुरूवार को कस्बे में आयोजित जैन भागवती दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम में श्रद्धालुओं को संबोघित करते हुए यह बात कही। हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में महाश्रमण ने मुमुक्षु हेमलता को धर्मसंघ की परम्परा के अनुसार दीक्षित किया। मुमुक्षु से साध्वी बनी हेमलता का नामकरण हेमप्रभा रखने की घोषणा की गई।
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि गृहस्थ भी सामायिक स्वीकार करते हैं। जीवन में साधु भी सामायिक करते हैं, लेकिन इन दोनों में अंतर है। गृहस्थी जीवन में अल्पकाल के लिए सामायिक करते हंै, लेकिन साधु सर्वसुखों को त्यागकर जीवन भर के लिए सामायिक करते हैं। तेरापंथ धर्म संघ में दीक्षित होना अनुकरणीय है। धर्मसंघ में आज्ञा की व्यवस्था है। हमारा शासन एक कल्पवृक्ष है।
उन्होंने उपस्थित लोगों को संयम व त्यागमय जीवन जीने की बात कही। मुनि सुमेरमल ने कहा कि दीक्षा एक कल्याणक है। दीक्षा लेने वाले का जीवन धन्य हो जाता है। तीर्थकरों के पांच कल्याणकों में से एक कल्याण दीक्षा है। मुनि मदन कुमार ने कहा कि दीक्षा महात्याग है। साध्वी प्रमुख कनकप्रभा ने कहा कि दीक्षा एक विलक्षण क्षण है। मुनि राजकुमार ने धार्मिक गीत प्रस्तुत किया।
मुमुक्षु हेमलता बनी साध्वी हेमप्रभा
आचार्य महाश्रमण के साçन्नध्य में सुबह आयोजित कार्यक्रम में मुमुक्षु हेमलता ने सांसारिक जीवन त्यागकर संयम पथ को ग्रहण किया। हजारों श्रद्धालु इस क्षण के साक्षी बने। डूंगरमल बागरेचा ने मुमुक्षु को दीक्षित करने के लिए परिजनों द्वारा लिखित आज्ञापत्र महाश्रमण के चरणों में अर्पित कर दीक्षा देने की विनती की। इसके बाद महाश्रमण ने दीक्षार्थी सहित परिवारजनों से दीक्षा देने के बारे में व्यवहारिक अनुमति ली। इसके बाद आचार्य ने नवकार मंत्र का जाप करते हुए धर्मसंघ परम्परा के अनुसार मुमुक्षु को दीक्षित किया। इसके बाद साध्वी प्रमुख कनकप्रभा ने नव दीक्षिता के केश लोचन संस्कार कर संयम व अनुशासन पर चलने की सीख दी। आचार्य ने नवदीक्षित साध्वी का नाम हेमप्रभा रखने की घोषणा की। इससे पूर्व मुमुक्षु हेमलता ने कहा कि भगवान महावीर का शासन अध्यात्म का शासन है। आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति समदड़ी के मंत्री घीसूलाल जीरावला ने तेरापंथ के विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी।
जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मांगीलाल जीरावला ने आभार ज्ञापित किया। संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया। इस अवसर पर विधायक कानसिंह कोटड़ी, सरपंच बाबूलाल परिहार, भाजपा नेता बाबूसिंह राजगुरू, कृषि उपज मण्डी समिति के उपाध्यक्ष पारसमल भण्डारी, मांगीलाल चौवटिया, जवाहरलाल भण्डारी, प्रकाश जीरावला, प्रकाशचंद मेहता, लक्ष्मीचंद छाजेड़, विशनसिंह, श्यामसुंदर दवे, भीकचंद लूंकड़ मौजूद थे।
विहार आज
आचार्य महाश्रमण समदड़ी में अपने छह दिवसीय प्रवास के बाद शुक्रवार सुबह छह बजे कस्बे से विहार करते हुए जेठन्तरी गांव में प्रवास करेंगे। इसके अगले दिन यहां से विहार कर पारलू गांव पहुंचेंगे।