08.06.2012 ►Pachpadra ►Acharya Tulsi Was Divine Light► Acharya Mahashraman

Published: 08.06.2012
Updated: 21.07.2015

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Pachpadra: 08.06.2012

Acharya Mahashraman said he learned many things from Acharya Tulsi. He paid his homage to Acharya Tulsi on his 16th Mahaprayan Day.

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आज ही के दिन महा सूर्य अदृश्य हुआ: आचार्य

आज ही के दिन महा सूर्य अदृश्य हुआ: आचार्य
पचपदरा ०८ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो

आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ के उत्तराधिकारी तेरापंथ अधिशास्ता आचार्य महाश्रमण ने नवमाधिशास्ता आचार्य तुलसी की 16वीं पुण्यतिथि के मौके पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गुरुदेव तुलसी के जीवन पर अनेक वक्ताओं व गायकों ने प्रकाश डालने का प्रयास किया, पर कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जिनको टॉर्च से दिखाने का प्रयास किया जाए फिर भी वे पूर्णतया दिखाए नहीं जा सकते। वक्ता के वक्तव्यों में वो शक्ति नहीं कि वे उस व्यक्तित्व को पूर्णतया व्याख्यात कर दे। यह हमारी सीमा है पर फिर भी जितना दिखाया जा सकता है, जितना प्रकाशित किया जा सकता है उतना करने का प्रयत्न किया जाता है। मेरे लिए भी सर्वथा असंभव है कि गुरुदेव को मैं अपनी भाषा से पूर्णतया प्रकट कर सकूं। केवल ज्ञानी सब कुछ जानता है वह भी शब्दों से सब कुछ नहीं बता सकता। मैं उनके न केवल शरीर के निकट रहा, भावनात्मक स्तर पर भी मैं उनके निकट रहा और गुरुदेव से कुछ सीखने-जानने का मौका मिला था। मैंने देखा, आचार्य तुलसी में परमात्मा प्रकट की क्षमता व पुरुषार्थ था। उनके श्वास की समस्या होने के बाद भी उन्होंने दक्षिणी भारत, कलकत्ता, बंगाल की यात्रा की वो एक विशेष बात है। एक महा सूर्य हमसे अदृश्य हो गया था। एक दिव्य पुरुष हमसे ओझल हो गए। गुरूदेव ने कइयों को भवदान दिए। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद साध्वी हेमप्रज्ञा की बड़ी दीक्षा का कार्यक्रम हुआ। जिनमें आगमवाणी से आचार्य ने उन्हें छेदोपस्थानीय चारित्र में उपस्थित किया। साध्वी कनकप्रभा ने कहा कि आचार्य तुलसी ने अपने जीवन में जो स्वप्न देखे उनको साकार करने के लिए दृढ़ संकल्प किया। उन्होंने कहा कि आचार्य तुलसी का संपूर्ण जीवन साहसिक गाथाओं से भरा पड़ा है, उन्हीं के युग में तेरापंथ इतना व्यापक बना और नई ऊंचाइयों को छुआ। मुनि ने कहा कि आचार्य तुलसी भाग्यशाली आचार्य थे। उन्हें संयम के साथ समय का सहयोग रहा और उनका शिष्य समुदाय भी समर्पित था। मुख्य नियोजिका साध्वी विद्युत विभा ने कहा कि आचार्य तुलसी के भीतर आनंद का स्त्रोत प्रावधान रहता था। इसलिए उनका अभाव मंडल शक्ति संपन्न था। उनका अन्नकरण ज्ञान दर्शन चरित्र का प्रकाश पुंज था। जिससे उनके पास आने वाले व्यक्ति को नया आलोक प्राप्त होता था। कार्यक्रम का प्रारंभ कन्या मंडल के मंगल गान से हुआ। आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कन्याओं में शक्ति होती है। आगे लंबा भविष्य है। वे आध्यात्मिक उत्कर्ष भी करे। अभातेममं अध्यक्षा सरोज बरडिया व विजयराज संकलेचा ने विचार व्यक्त किए। पचपदरा महिला मंडल ने घट-घट के उजियारे गीत प्रस्तुत किया। खुशबू भंडारी व प्रेम कोठारी ने गीतिका की प्रस्तुति दी।

Sources

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Sushil Bafana

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