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Pachpadra: 09.06.2012
Acharya Mahashraman was addressing 9th Adhiveshan of Kanyamandal at Pachpadra. He advised Kanyamandal to develop strong will power and high morale. He also told audience to be polite and full of Sanskar.
News in Hindi
आत्मबल व मनोबल जरूरी'
पचपदरा ०९ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जिस आदमी का संकल्प मजबूत होता है उस आदमी के लिए कुछ भी दुष्कर नहीं होता, क्योंकि जीवन में आत्मबल व मनोबल का बहुत महत्व है। मनोबल व आत्मबल मजबूत होने पर कठिन से कठिन कार्य करने के लिए भी व्यक्ति तैयार हो जाता है। यह संकल्प बल को मजबूत बनाने का मंगल संदेश आचार्य महाश्रमण ने शुक्रवार को अभातेममं के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय नवम् राष्ट्रीय कन्या अधिवेशन 2012 के समापन समारोह में कहे।
उन्होंने बताया कि आचार्य भिक्षु में कोई विशिष्ट आत्मबल था और उसी के आधार पर उन्होंने धर्म क्रांति की ओर उसके आधार पर चल सके। उन्होंने प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति में संकल्प शक्ति का विकास होना चाहिए। व्यक्ति के स्वप्न नहीं संकल्प पूरे होते हैं। कन्याओं में संकल्प बल की शक्ति है। इनका बौद्धिक बल भी अच्छा है। विद्या के क्षेत्र में भी ये काफी आगे बढ़ रही है। ऐसी कन्याएं धर्मसंघ में आती हैं तो इनमें विद्या के साथ विनय भी होता है। संस्कार संपन्नता होती है तो ये आत्म साधना के साथ-साथ संघ व मानव जाति की सेवा कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि आज महिलाओं ने काफी विकास किया हैं। व्यक्ति को प्रेरणा मिले तो उसमें तेजस जाग सकता है। इसलिए ज्ञानियों को अपना ज्ञान बांटना चाहिए।
संघ महा निदेशिका साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा ने कन्याओं को अपनी क्षमताओं व अर्हताओं को ज्यादा उत्कर्ष की ओर ले जाने की प्रेरणा देते हुए कहा कि कन्याएंं स्वयं की पहचान कायम करें। कन्याओं में सकारात्मक सोच का विकास होना चाहिए। कन्याए चिंतन करे कि उन्हें कौनसा उत्कर्ष करना है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि हर व्यक्ति जीवन में उत्कर्ष चाहता है। व्यक्ति के जीवन में संपन्नता के साथ ज्ञान, श्रमशीलता, सहनशीलता होने पर वह सर्वांगीण रूप से आगे बढ़ता है। इसलिए कन्याओं के जीवन में सहिष्णुता का विकास हो और वे अपनी संस्कृति को भी बराबर ध्यान में रखे। मुख्य नियोजिका साध्वी विद्युत प्रभा ने मंगल भावना से संपन्न बनने की बात बताते हुए सम्पन्न बनने की सूत्रों का प्रयोग करवाया। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि राजकुमार के सोच विचारे कन्याएं गीत प्रस्तुत किया। कन्या मंडल ने भी गीतों की प्रस्तुति दी। मोनिका छाजेड़ लूणकरणसर व सोनल मादरेचा मुंबई ने इन दो दिनों सीखे अनुभवों को अभिव्यक्त किया। अभातेममं की अध्यक्षा सूरज बरडिय़ा ने कन्याओं से उत्कर्ष के लिए आह्वान किया। राष्ट्रीय संयोजिका पूनम गुजरानी ने कन्या मंडल के बड़े व छोटे क्षेत्रों में प्रथम, द्वितीय व तृतीय और सांत्वना पुरस्कार पाने वाले नामों की घोषणा की। कार्यक्रम में अभातेममं पदाधिकारियों की ओर से आचार्य को संकल्पों की छतरी भेंट की गई और तत्वज्ञान की पुस्तक का लोकार्पण किया गया।
महासभा उपाध्यक्ष किशन डागलिया ने जैन श्वेतांबर तेरापंथ महासभा की ओर से जारी सहभागिता योजना के ब्रोशर का लोकार्पण आचार्य के हाथों करवाया। महामंत्री पुष्पा बैद ने अतिथियों का आभार प्रकट किया। संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।
राष्ट्रीय कन्या अधिवेशन का समापन समारोह