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Pachpadra: 20.06.2012
Acharya Mahashraman said Mohaniya karma is king of all Karma. Anger, Ego and Greed are family members of Mohaniya karma.
News in Hindi
आहार छोडऩा भी साधना: आचार्य
धर्मसभा में आचार्य ने बताए मोहनीय कर्म वश में करने के उपाय
पचपदरा २०जुन २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
मोह एक ऐसा तत्व है, जिससे जो प्राणी आवृत रहता है, वह मंद हो जाता है। जिस प्रकार आकाश में सूर्य के आगे बादल आने से उसका प्रकाश मंद हो जाता है, उसी प्रकार चेतना के प्रकाश पर मोह का मेघ आने पर चेतना की ज्योति व वीतरागता मंद पड़ जाती है। पचपदरा में मंगलवार को आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य महाश्रमण ने यह बात कही। आचार्य ने जैन कर्मवाद के अनुसार मोहनीय कर्म का उल्लेख करते हुए कहा कि पाप की दृष्टि से मोहनीय कर्म आठों कर्मों का सम्राट होता है। पापकर्म का बंधन मोहनीय कर्म के कारण होता है। पापरूपी वृक्ष की जड़ मोहनीय कर्म को बताते हुए आचार्य ने कहा कि साधना मुख्यतया मोहनीय कर्म को प्रतनु बनाने की होनी चाहिए। मोहनीय कर्म के क्षीण होने से ज्ञान प्राप्त होता है। सघन पुरुषार्थ की अपेक्षा मोहनीय कर्म को क्षीण करने के लिए होती है। उन्होंने कहा कि मोहनीय कर्म से प्रभावित चेतना सुध-बुध खोकर उन्मत हो जाती है। सम्यक्त्व के लिए दर्शन व चारित्र मोहनीय दोनों का विलय आवश्यक है। मोहनीय कर्म शैतान है जो व्यक्ति को आकृष्ट मूढ़ बना देता है। आचार्य ने कहा कि आहार छोडऩा भी साधना है पर आवेश को शांत, अहंकार को कम करना विशेष बात है। व्यक्ति को वीतरागता की दिशा में आगे बढऩा चाहिए। उसके लिए आवेश को शांत करने की आवश्यकता रहती है। अध्यात्म व ध्यान की साधना की निष्पति यह आए कि कषाय शांत हो जाए। आचार्य ने प्रेरणा देते हुए कहा कि क्रोध, अहंकार, माया, लोभ आदि को मिलाकर मोहनीय कर्म का संयुक्त परिवार है। व्यक्ति का लक्ष्य इस संयुक्त परिवार को विखंडित करना है। व्यक्ति एक साथ इन सब को नहीं छोड़ सके तो एक-एक करके इन्हें छोडऩे का प्रयास करे या कम करके नियंत्रण में लाने का प्रयास करें।
व्यक्ति मोह को कर्म करके मोक्ष की ओर आगे बढऩे का प्रयास करें। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि व्यक्ति को सफलता पाने के लिए अपने समय का सम्यक नियोजन करते हुए मंजिल के अनुरूप मार्ग पर आगे बढऩे का प्रयास करना चाहिए और विवेक के साथ आगे बढ़ता हुआ अनावश्यक बंधन में न बंधे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजय कुमार की ओर से मंगलमय आज का दिन गीत प्रस्तुत किया गया। साध्वी मार्दवयशा की ओर से बाबा भिक्षु की करे आराधना गीत से भिक्षु स्वामी को श्रद्धा प्रणति दी गई।
जोधपुर से अर्ज के लिए आए समागत श्रावकों में से सिद्धराज भंडारी, दलपत लोढ़ा, विधायक कैलाश भंसाली ने अपनी अर्ज प्रस्तुत की। अहमदाबाद सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष महेन्द्र चौपड़ा ने अपनी भावना व्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया।