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Pachpadra: 28.06.2012
Mangal Bhavana function held for happy journey of Acharya Mahashraman. Many people express their good wishes for forthcoming Chaturmas. Acharya Mahashraman said people to give attention to Tyag and Pratyakhyana. people should give time for soul purification beside entrainment. it is duty of guardians to give good Sanskar to Childs. Good time management should be maintained to hear daily Pravachan.
News in Hindi
आत्मशुद्धि की साधना में प्रत्याख्यान महत्वपूर्ण: आचार्य
पचपदरा २८ जून २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
आचार्य महाश्रमण ने व्यक्ति को पापों के प्रत्याख्यान की प्रेरणा देते हुए कहा कि अतीत की भूल, दोष से व्यक्ति को निवृत्त होकर भविष्य में उसे फिर नहीं दुहराने करने का संकल्प रखना चाहिए। अध्यात्म की साधना में आत्मशुद्धि की साधना में प्रत्याख्यान का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है। आचार्य महाश्रमण बुधवार को पचपदरा में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिस आदमी की जीवन शैली के साथ प्रत्याख्यान जुड़ जाता है, उसकी आध्यात्मिकता निखर जाती है। व्यक्ति को त्याज्य का और अठारह पापों को प्रत्याख्यान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधु का जीवन विशिष्ट त्यागमय होता है। गृहस्थ जीवन में भी त्याग-प्रत्याख्यान किए जा सकते हैं। गृहस्थ जीवन में त्याग-प्रत्याख्यान बढऩा चाहिए। चातुर्मास काल में गृहस्थियों को विशेष साधना की प्रेरणा देते हुए आचार्य ने कहा कि चातुर्मास काल विशेष साधना का होता है। इसमें गृहस्थी विशेष त्याग-प्रत्याख्यान का प्रयास करें। ज्यादा कठिनाई न हो तो रात्रि में भोजन का त्याग करे और चौविहार करना अति उत्तम बात है। व्यक्ति हिंसा से बचने का प्रयास करें। व्यक्ति गाली, कटु शब्दों का प्रयोग न करें और शांत रहने का अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि व्यक्ति रात्रि में सोने से पहले अपनी दिनभर की चर्या के बारे में चिंतन करें। उन्होंने कहा कि त्याग सुख है, राग दु:ख है। व्यक्ति राग पर त्याग का अंकुश लगाए। व्यक्ति केवल भोग ही नहीं, योग-साधना का भी प्रयोग करें। केवल मनोरंजन ही नहीं, आत्मरंजन का भी प्रयास करें। व्यक्ति झूठ नहीं बोलकर अनेक बुराइयों से स्वयं को बचा सकता है। उन्होंने कहा कि मां-बाप का कर्तव्य है कि बच्चों में अच्छे संस्कार भरे जाए तो वे संस्कारी बन सकते हैं। बच्चों में ज्ञान बढ़े, वे अच्छे संस्कारी हो, इस रूप में ज्ञानशाला की उपयोगिता है। गृहस्थ गृहस्थी में रहते हुए त्याग-प्रत्याख्यान से संन्यासी बन सकता है। चातुर्मास काल में व्यक्ति उपवास, एकासन, नवकारसी का अभ्यास करें और खाने के संयम का अभ्यास कर साधना कर सकता है। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि महापुरुषों का आगमन कभी-कभी होता है। व्यक्ति को इसका लाभ उठाना चाहिए। व्यक्ति प्रवचन का लाभ जरूर उठाए। विशेषकर सवेरे के प्रवचन का। इसके लिए वह अपने समय का प्रबंधन व कार्य कौशल को सही नियोजित करें। क्योंकि गुरूदेव के प्रवचन से मिलने वाली शिक्षाएं जीवन का पथ दर्शन करने वाली होती है। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुनि विजय कुमार ने गुरु का आशीर्वाद सभी का मंगल हो गीत प्रस्तुत किया। समणी प्रवकपज्ञा ने हे योगीश्वर तव चरणों में शीश झुकाते हैं गीत गया। मंगल भावना समारोह में तेयुप अध्यक्ष आनंद आर चौपड़ा, दिलीप मदानी, महिला मंडल अध्यक्षा चंचल देवी चौपड़ा, सभाध्यक्ष नेमीचंद चौपड़ा, सिवांची-मालाणी तेरापंथ अध्यक्ष पूनमचंद चौपड़ा, ओस्तवाल समाज अध्यक्ष पुखराज छाजेड़, तेरापंथ कन्या मंडल संयोजिका माया चौपड़ा, किशोर मंडल संयोजक प्रेम कोठारी, प्रवास व्यवस्था समिति महामंत्री डूंगरमल बागरेचा, प्रवास व्यवस्था समिति संयोजक पुखराज मदानी, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी यश चौपड़ा ने विचार व्यक्त किए। न्यूजर्सी ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी अंश डोसी ने भी विचार व्यक्त किए।
दायित्व-ध्वज हस्तांतरण
जसोल प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों को पचपदरा की प्रवास व्यवस्था समिति, सभा, तेयुप के पदाधिकारियों ने ध्वज के साथ दायित्व हस्तांतरित किया।
इस मौके पर आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति जसोल के संयोजक गौतम सालेचा व पचपदरा के संयोजक पुखराज मदानी ने विचार व्यक्त किए।
पचपदरा. दायित्व ध्वज हस्तांतरित करते पदाधिकारी।
पचपदरा. धर्मसभा को संबोधित करते आचार्य महाश्रमण व धर्मसभा में उपस्थित श्रावक-श्राविकाएं।
मंगल भावना समारोह में त्याग,प्रत्याख्यान की दी सीख