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Jasol: 09.07.2012
Acharya Mahashraman said Navkar mantra is Mahamantra. Mantra does not contain name of anyone but praise qualities of a person. We can move on the way of Veetaraga by Navkar Mantra.
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नवकार मंत्र है महामंत्र: आचार्य श्री महाश्रमण
जसोल ९ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
युवा मनीषी आचार्य महाश्रमण ने रविवार को अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद की ओर से आयोजित मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों बच्चों को नवकार महामंत्र के महात्म्य के बारे में बताते हुए कहा कि विभिन्न धर्मों में शास्त्रों के विभिन्न मंत्र प्राप्त होते हैं। हर अक्षर अपने आप में मंत्र बनने की क्षमता रखता है। कोई भी अक्षर अमंत्र नहीं है। परन्तु अक्षरों को मिलाकर मंत्र बनाने का ज्ञान रखने वाले मनीषी कम ही मिलते हैं या मिलना कठिन है। मंत्र अपने आप में एक विशिष्ट बात होती है। जैन शासन में नमस्कार महामंत्र का प्रभाव प्रकट है। दूसरे लोग भी नमस्कार महामंत्र का लोहा मानते हैं। इसका बड़ा प्रभाव है। आचार्य ने नवकार मंत्र की आत्मा वीतरागता का बताते हुए कहा कि अर्हत व सिद्ध वीतरागी होते हैं। आचार्य वीतरागता के साधकों का नेतृत्व करने वाले होते हैं। उपाध्याय वीतराग की वाणी का अध्ययन करने व कराने वाले होते हैं और साधु वीतराग की साधना करने वाले होते हैं। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र से विघ्न बाधाओं का निवारण होना एक बात है। परन्तु नवकार मंत्र से हम वीतरागता की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। इस मंत्र के पांच नामों की पांच महाशक्तियों को हम समझने का प्रयास जाने और समझे। मंत्र दीक्षा में उपस्थित नन्हें बच्चों की ओर इंगित करते हुए आचार्य ने कहा कि छोटे बच्चों में मंत्र जपने का क्रम शुरू हो जाए तो यह एक सुंदर प्रस्थान है। इस कार्यक्रम के द्वारा बच्चों को एक ऐसा संस्कार, एक ऐसा शक्ति का क्रम और एक ऐसा डंडा मिले जिससे वे आत्मनियंत्रण कर सके। आचार्य ने कहा कि स्कूलों में रहने वाले, टीवी, इंटरनेट, गेम से संपर्क रखने वाले बच्चों में धार्मिक संस्कार आ जाए तो यह उपयोगी बात होती है। मंत्र दीक्षा को जपने व स्वीकार ने का उपक्रम है। नमस्कार महामंत्र के लिए विशेष बात यह भी है कि इसके व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है। जिससे भी विशेषताएं है। उन सबको नमस्कार किया गया है। पहले पद में अर्हतों को, जो तीर्थकर है, दूसरों पद में सिद्धों को, जो सर्वकर्माे से मुक्त होकर मोक्ष में विराजित है। तीसरे पद में आचार्यों की जो आचार संहिता का पालन स्वयं करते हैं और आचार पालने की प्रेरणा देते है। चौथे पद में उपाध्यायों को आगमों के जानकार होते हैं। और पांचवे पद में सभी शुद्ध साधु-साध्वियों को नमस्कार किया गया है। आचार्य ने कहा कि यह पंच नमस्कार मंत्र सब पापों का नाश करने वाला है। सभी मंगलों में प्रथम मंगल है। इसलिए सभी को इसका लीनता के साथ जप करना चाहिए। मंत्री मुनि सुमेरमल ने जीवन में विघ्नों को खत्म करने के उपाय बताते हुए कहा कि व्यक्ति जीवन को निर्विघ्न बनाने के लिए मंत्र आदि का प्रयोग करता है और उनमें नवकार मंत्र चमत्कारिक मंत्र है। इसके जप से अपूर्व शक्ति होती है। इसमें अभय होने की साधना है। इसके बराबर अन्य कोई मंत्र नहीं है। व्यक्ति मनोयोग से इसका जप करें तो इसकी प्रभाविकता को प्राप्त कर सकता है। कार्यक्रम में आचार्य ने नमस्कार महामंत्र का बच्चों से समवेत स्वर में उच्चारण करवा उसको मंत्र दीक्षा प्रदान की। कार्यक्रम के प्रारंभ में तेयुप प्रभारी मुनि दिनेश कुमार ने मंत्र दीक्षा की प्रेरणा दी। मुमुक्षु रौनक संकलेचा ने आचार्य से दीक्षा की अर्ज की। आचार्य ने उसे साधु प्रतिक्रमण सीखने का आदेश दिया।
मुमुक्षु प्रतीक टोडरवाल के दीक्षा की अर्ज पर आचार्य ने 5 नवंबर को जसोल में इसे मुनि दीक्षा देने की घोषणा की। जसोल ज्ञानशाला के बच्चों ने मंत्र दीक्षा के संदर्भ में संवाद की प्रस्तुति दी। तेयुप के कुमारपाल संकलेचा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
साध्वी मधु रेखा की प्रेरणा से जगराओं में भरे गए गुरू धारणा के 108 फार्म आचार्य को प्रवीण जैन उपह्रत किए। कार्यक्रम का संचालन मुनि हिमांशु कुमार ने किया।