ShortNews in English
Jasol: 12.07.2012
Acharya Mahashraman said in Upasak Training Camp to develop Sanskar of morality.
News in Hindi
जीवन में हो अच्छे संस्कारों का निर्माण
जसोल १२ जुलाई २०१२ जैन तेरापंथ न्यूज ब्योरो
जैन तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाश्रमण ने मनुष्य को धार्मिक व्यवहार रखने की प्रेरणा देते हुए कहा कि व्यक्ति का व्यवहार धर्म से प्रभावित होगा तो संस्कार युक्त व्यवहार होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में अच्छे संस्कारों का निर्माण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विचार व आचार को जोडऩे के लिए जो पुल चाहिए, वो सेतु संस्कार है। विचार संस्कार बन जाए तो वह आचार में परिणित हो जाता है। आचार्य चातुर्मास प्रवचन के दौरान श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उपासक-उपासिकाओं को कुछ अंशों में संस्कार निर्माण का काम करने की प्रेरणा देते हुए कहा कि पर्यूषण में जाए तो अच्छे संस्कार भरें, यह भी एक सेवा है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति में नैतिकता का संस्कार विकसित होना चाहिए। सभी चोरी, झूठ, अनैतिकता से बचने का प्रयास करें। सभी में विनय का संस्कार पुष्ट होना चाहिए। व्यवहार फूहड़ नहीं, शिष्ट व शालीन होना चाहिए। बाल पीढ़ी पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। बाल पीढ़ी के सामने संभावित लंबा भविष्य है। उनमें संस्कार आने से उनका भविष्य संवारा जा सकता है। वाणी विवेक की प्रेरणा देते आचार्य ने कहा कि शब्दों का सम्मानपूर्वक उपयोग होना चाहिए। ऐसे शब्दों का प्रयोग हो कि सच्चाई भी रहे और कटुता भी न हो। बाल पीढ़ी युवा पीढ़ी व बड़ों में संस्कार ऐसे हो कि भाषा भी उच्च स्तर की, शालीन व शिष्ट हो जाए। व्यक्ति अपने व्यवहार में नम्रता रखें। जीवन विज्ञान के बारे में आचार्य ने कहा कि आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ ने जीवन विज्ञान की बात प्रस्तुत की। यह विद्यार्थियों के लिए बहुत उपयोगी है। अनेक प्रांतों में यह कार्य कर रही है। बाल पीढ़ी को जीवन विज्ञान जैसा आलंबन व अणुव्रत जैसा संकल्प मिल जाता है तो जीवन में संस्कारों का निर्माण हो सकता है। आचार्य ने कहा कि ज्ञानशाला भी एक व्यापक कार्यक्रम है। ज्ञानशाला का जो उपक्रम है वह संस्कार निर्माण का अच्छा माध्यम है इससे तत्व ज्ञान भी हो सकता है। कार्यक्रम में जीवन विज्ञान संस्कार निर्माण प्रतियोगिता 2012 की जानकारी हनुमान शर्मा ने दी। जीवन विज्ञान के प्रभारी मुनि किशनलाल ने जीवन विज्ञान के संदर्भ में विचार व्यक्त किए। मुनि नीरज कुमार ने, बनेगा भारत देश महान गीत का संगान कर जीवन विज्ञान की महत्&52द्भ;व पर प्रकाश डाला। राकेश बोहरा, जसराज बुरड़ व हनुमान शर्मा ने शिक्षा जगत के लिए जरूरी है, नया चिंतन पुस्तक जो आचार्य महाप्रज्ञ के द्वारा तथा दुख:ख मुक्ति का मार्ग पुस्तक जो आचार्य महाश्रमण द्वारा लिखी हुई है, आचार्य को उपह्रत की। साथ में प्रतियोगिता का ब्राउसर भी भेंट किया। जसोल सभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष खूबचंद भंसाली ने नई कार्यकारिणी टीम की घोषणा की। आचार्य की सन्निधि में निवर्तमान सभाध्यक्ष बाबूलाल लूंकड़ ने शपथ ग्रहण करवाई। खूबचंद भंसाली ने भी विचार व्यक्त किए। संपत राज चौपड़ा ने संचालन की भूमिका निभाई। आचार्य ने सभी को अच्छा कार्य सौहार्दपूर्ण तरीके से करने की प्रेरणा दी। मंत्री मुनि सुमेरमल ने कहा कि धार्मिक व्यक्ति अपने जीवन के हर कार्य में विवेक रखता है। वह कार्य करने से पहले उसकी आवश्यकता पर ध्यान देता है और करणीय कार्य में विवेक को काम में लेता है। उन्होंने कहा कि धार्मिक के लिए यह जीवन-विज्ञान है कि वह हर समय कर्मों से बचता रहता है। व्यक्ति की जीवनचर्या अच्छी होनी चाहिए। जिस व्यक्ति को पाप कर्मों से बचना आ गया तो उसको जीवन विज्ञान आ गया।